प्राचीन काल में ‘करवा’ नाम की एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी किनारे एक गाँव में रहती थी । कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी (चौथ) के दिन उसका पति नदी में स्नान करने के लिए गया । स्नान करते स
करवाचौथ सुनो ना, सीमा ने प्यार से पति रवि के कंधे पर सिर रखते हुए कहा... "करवाचौथ मे सिर्फ तीन दिन रह गए है । क्या उपहार चाहिए तुम्हें । "रवि ने सीमा की बात बीच मे काटते हुए तल्खी भरी आवाज म
शक्ति की भक्ति में,डूबा हर व्यक्ति है,माँ की आराधना को,"दीप" आई नवरात्रि है।बिना उसकी मर्जी से,हिलती नहीं पत्ती है,दुनियाँ को चलाने वाली,वो ऐसी आदि शक्ति है।देवी की भक्ति से,मिलती नव शक्ति है,फूल और प
Aa gai saptami,ab hogi asthmi Fir bhi dekho jeevan me ,rah gai koi kami Ayegi navmi ,fir ayega dusshara Fir bhi meri ankho me abhi bhi hi kuchh bhara Shayad jb aye diwali Mere jeevan m ho khushha
आज नवरात्र सिर्फ साधु-सन्यासियों की शक्ति साधना पर्व ही नहीं अपितु आम लोगों के लिए अपनी मनोकामना, अभिलाषा पूर्ति और समस्याओं के समाधान के लिए देवी साधना कर कुछ विशिष्ट उपलब्धि प्राप्ति का सौभाग्यद
स्त्री सरल शब्दों में कहा जाए तो औरतजो एक अगरबत्ती की तरह हैजो अपने घर को भरपूर सुगंध देती हैमगर वक्त आने पर किसी को जला भी सकती है,औरत सरल शब्दों में कहा जाए तो नारीजो एक ज्योति कि तरह हैजो
हर एक औरत दुर्गा का ही रूप होती है, यदि आप उसका सम्मान करोगे, तो वह आपको आशीष देगी, यदि आप उसका अपमान करोगे, तो वह काली बन शीश भी काट लेगी,,, हर औरत गृह लक्ष्मी होती है, यदि आप उसको सम्मान दोगे,
एक देवी जितनी शक्ति होती है नारी के हर एक रूप में,पूजा ना कर सको तो कोई बात नहीं, सम्मान अवश्य करना।।
शिव के भावों के साकार रूप को शक्ति रूप में वर्णित किया गया हैं। शिव जो सत्य हैं सनातन हैं आदि हैं अनंत हैं अनामय हैं उन्ही के समस्त भावों की की उत्तपति शक्ति हैं। नवरात्री में शक्ति के नौ रूप की आराध
शीर्षक --माँ के भक्तों बिन मांगे भरती है तु झोली माँ,कोई न जाता है तेरे दर से खाली माँ,सदा तेरी दया यूँ ही बरसती रहे माँ,ऐसे ही अपनों भक्तों की टोली पर माँ।राहों के पत्थर को फूल बना देती है,मंझधा
शक्ति और उपासनाब्रह्म और ब्रह्मांड की सक्रिय अवस्था ही शक्ति है, जैसे उष्णता आग से अभिन्न है ,ठीक वैसे ही शक्ति ब्रह्म से अभिन्न है।माया ,महामाया, मूल प्रकृति, विद्या अविद्या, परमेश्वरी , सभी शक्ति के
माँ जगदम्बा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। जिनकी उपासना हिन्दू समाज में प्राचीन काल से ही की जाती रही है। जीवन में शक्ति का होना जितना आवश्यक है उसके साथ-साथ उस शक्ति पर नियंत्रण रखने का गुण भी निता
Hello friendsशक्ति और उपासना पौराणिक समय से ही चली आ रही है । पहले के पूर्वज प्रकृति की उपासना करते थे फिर धीरे - धीरे मूर्तियों का प्रचलन हुआ । मनुष्य मूर्तियों की पूजा करने लगा । शक्ति और उपास
जिस प्रकार इंसान को ऊर्जा प्राप्त करने के लिये भोजन की आवश्यकता होती है व उसी भोजन को प्राप्त कर हमारे शरीर को शक्ति मिलती है ठीक उसी प्रकार प्रकृति को संचालन करने वाली शक्ति का नाम मां दु
🕉️ ॐ नमः चंडिकायै !! 🕉️ मेरे प्यारे अलबेले मित्रों ! बारम्बार नमन आपको 🙏🙏 🕉️ भक्ति शक्ति मुक्ति की देवी माता जगजननी की उपासना के प्रथम दिन मैं अपनी भजन गायन मंडली के साथ आपके समक्ष उपस्
जैसा कि आप सभी को विधित है कि इस माह नवरात्रि का पर्व शक्ति और उपासना करने का पर्व होता है साथ ही कुछ लोग यह बात जानते हैं कि साल में चार नवरात्रि आते हैं वसंत और शारदीय नवरात्रि, आषाढ़ और पौष नव
अंतर्मन को निर्मल करके,मानव का रूप पहचान करो।व्रत धारण कर मानव रक्षा का,मानव बनकर अहसान करो।शक्ति तेरे अंदर कितनी ,यह पता नहीं तुझको मानव।तू ईश्वर का रूप निराला,इसे पहचान अंध मानव।।भक्ति और साधना से ,
मां से अदभुत है संसार,जन्मदायिनी मां ही होती।उंगली पकड़ चलना सिखाती,मां ये अदभुत काज सिखाती।।मां से अदभुत है संसार,प्रथम शिक्षिका मां ही होती।पढ़ना लिखना मां ही सिखाती,स्कूल का रास्ता वही दिखाती।।मां