कहते हैं कि हिंदू धर्म में ब्रह्मा की पूजा नहीं की जाती. पूरे भारत में सिर्फ एक ही मंदिर है ब्रह्मा का, पुष्कर में. लोग इसकी शर्मनाक वजह बताते हैं. उन्होंने अपनी बेटी से रोमांस किया था इसलिए. पूरा मामला क्या है और क्या है उसके पीछे का सच.
इस कहानी के पीछे भागवत के इस श्लोक का लॉजिक दिया जाता है:
वाचं दुहितरं तन्वीं स्वयंभूर्हतीं मन:।
अकामां चकमे क्षत्त्: सकाम् इति न: श्रुतम् ॥(श्रीमदभागवत् 3/12/28)
इसका मतलब कि ब्रह्मा अपनी जवान बेटी पर मोहित हो गए. हालांकि बेटी जवान हो गई थी. लेकिन उस पर काम वासना का असर नहीं हुआ था. फिर भी ब्रह्मा उस पर मोहित हो गए. ऐसा सुना जाता है.
इसके सिवा एक जगह और ऐसा ही लिखा आता है. जिसका प्रयोग लोग ब्रह्मा को अपूज्य बताने के दावे में करते हैं.
प्रजापतिवै स्वां दुहितरमभ्यधावत्
दिवमित्यन्य आहुरुषसमितन्ये
तां रिश्यो भूत्वा रोहितं भूतामभ्यैत्
तं देवा अपश्यन्
“अकृतं वै प्रजापतिः करोति” इति
ते तमैच्छन् य एनमारिष्यति
तेषां या घोरतमास्तन्व् आस्ता एकधा समभरन्
ताः संभृता एष् देवोभवत्
तं देवा अबृवन्
अयं वै प्रजापतिः अकृतं अकः
इमं विध्य इति स् तथेत्यब्रवीत्
तं अभ्यायत्य् अविध्यत्
स विद्ध् ऊर्ध्व् उदप्रपतत् ( एतरेय् ब्राहम्ण् 3/333)
इसका मतलब ये है कि प्रजापति दौडा अपनी बेटी की तरफ. उस लाल लडकी के पीछे भागा. देवताओं ने देखा. कहा कि ये प्रजापति तो गंदा काम कर रहा है.तब उन्होंने तमाम बड़े बड़े शरीर जोड़ कर एक भारी ग्रुप बना दिया शरीरों का. उस ग्रुप से कहा कि यह प्रजापति गंदा काम कर रहा है. मार दे इसे. उस ग्रुप ने तथास्तु कहकर प्रजापति को एक तीर मारा. प्रजापति घायल हो कर वहीं गिर गया.
इस श्लोक का हर जगह यूज किया जाता है ब्रह्मा को बदनाम करने के लिए. लेकिन इसकी गहराई में जाए बगैर. इसमें कहा गया है कि प्रजापति दौड़ा लाल रंग की लड़की की तरफ. लेकिन ब्रह्मा की बेटी सरस्वती तो धवल यानि सफेद हैं. फिर कौन है ये लाल लड़की. उषा लाल हो सकती है. उषा मतलब उगते हुए सूरज के वक्त आसमान में जो लाली होती है. लेकिन वो ब्रह्मा की बेटी ही नहीं है. अब बड़ी मिस्ट्री ये है कि ये साहब प्रजापति हैं कौन? और कौन है उसकी बेटी.
अथर्व वेद में ये श्लोक है
सभा च मा समितिश्चावतां प्रजापतेर्दुहितौ संविदाने।
येना संगच्छा उप मा स शिक्षात् चारु वदानि पितर: संगतेषु।
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