मत्तगयन्द सवैये के अंतर्गत 7 भगण और अंत मे दो गुरु का प्रयोग होता है। 16/16 पर यति भी दे दी जाय तो रचना और निखर जाती है।
साधारण शब्दों मे मत्तगयन्द सवैये की मापनी इस तरह.होती है ----- 211/211/211/211/211/211/211/22 मत्तगयन्द सवैया छंद ७ भगण +२ गुरु = २३ वर्ण ] वर्णिक मात्रा प्रभार ३२ ] १२ /११ वर्ण / वर्णिक मात्रा भार १६/ १६ यति उत्तम सृजनार्थ
"मत्तगयन्द सवैया"
होकर मानव भूल गए तुम मान महान विचार बनाये।
रावण दानव जन्म लियो नहिं बालक पंडित ज्ञान बढ़ाये।।
अर्जुन नाहक वीर भयो नहिं नाहक ना दुरयोधन जायो।
कर्म किताब पढ़ो नर नायक नाहक ना अहिरावण आयो।।
जाति न पाति न साधक साधन श्री हनुमान मही पहिचानो।
राज करो जन काज करो मत जीवन को खलनायक मानो।।
क्वार करार किसान करो तब चैत विसात असाढ़ निदानो।
देश महान रहा जग से तुम भी अपनी अवकात पिछानो।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी