५-८-१८ मित्र दिवस के अनुपम अवसर पर आप सभी मित्रों को इस मुक्तक के माध्यम से स्नेहल मिलन व दिली बधाई
"मिलन मुक्तक"
भोर आज की अधिक निराली ढूँढ़ मित्र को ले आई।
सुबह आँख जब खुली पवाली रैन चित्र वापस पाई।
देख रहे थे स्वप्न अनोखा मेरा साथी आया है-
ले भागा जो अधर कव्वाली मैना कोयलिया गाई।।
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी