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ससुराल में पूनम ने विपरीत परिस्थितियों का सामना धैर्य और समझदारी से किया। वह सभी कार्य करते हुए बात-बात में सास और पति को जता भी देती थी कि वो गलत हैं। जब उसके पिता उसे लेने आये तो उसने न जाने का नाटक किया पर सास ने उसे जाने की अनुमति दे दी। आज पिंजरे का दरवाजा मालिक ने स्वयं खोला था और वह मायके चली गयी।
अब आगे---
पूनम मायके में आ गई उसने एक निश्चिंतता की सांस ली। अब वह एक पड़ाव पार कर चुकी थी पिंजरे के रखवाले ने ही उसको पिंजरे से बाहर भेजा था। अब बस एक-दो कदम और... और मंजिल उसे पास आती लगी।
मायके में वह आगे की योजना भी बना रही थी। ससुराल में सभी के व्यवहार में परिवर्तन तो लक्षित हो रहा था बस अब उसे अंजाम तक पहुंचाना था। अब उसे ससुराल रुपी पिंजरे को अपने ख्वावों के महल में तब्दील करना था।
अभी चार दिन भी नहीं बीते कि सास का फोन आ गया कि उसके बिना ससुराल में कोई रौनक नहीं है जो सिस्टम उसने खाने पीने का घर का सेट किया था,वह सब बिगड़ रहा है। उसने पूछ लिया वापिस आ जाऊं क्या.मम्मीजी...?
"नहीं नहीं.. अब तो त्यौहार करके ही आना। शादी के बाद पहली राखी है ना तुम्हारी। सास ने जल्दी से कहा। "
हफ्ता होते-होते जतिन का फोन आ गया। पति के स्वर में मायूसी थी और कितने दिन बाद आओगी.?
पूनम को भी याद तो आ रही थी लेकिन वह यह कहना नहीं चाहती थी।
"मैं क्या करूं मम्मी जी ने ही भेजा है,मैं तो आना ही नहीं चाहती थी। आप मम्मीजी से बात करो"
आज वह अपनी सहेलियों के घर आई हुई थी जब उसके भाई का फोन पहुंचा कि जीजाजी आए हुए हैं। उसे हैरानी हुई।
घर आई तो देखा नितिन सभी से हंस- हंस के बातें कर रहा है।
यह वह वाला नितिन नहीं था जो पहली बार आया था। यह शायद उसकी बातों का असर था जो उसने नितिन से कई बार बातों बातों में कही थीं कि जो भी मेरे मां बाप को सम्मान देगा मेरे दिल में उसके लिए सम्मान और प्यार होगा।
एक बार जतिन ने कहा"वह ऐसा क्यों कह रही हो तब उसने कहा,
क्यों.. क्या आप नहीं चाहते कि आपके मां-पापा को सभी से सम्मान मिले और जो उनका सम्मान करता है वो आपको अच्छा लगता है। मैं भी तो आपको तभी अच्छी लगती हूं है ना... उसने उसके मन को टटोला। वैसा मुझे भी अच्छा लगेगा। "
नितिन शायद उसका इशारा समझ गया था कि पूनम कहना क्या चाहती है और आज वह उसके व्यवहार में दिख रहा था।
उसने आन्तरिक खुशी महशूस की। पति का प्यार तो सबको चाहिए पर मां-पिता का सम्मान भी करे ये भी हर बेटी चाहती है और आज यह दिख रहा था।
मन का बन्द पिंजरा शायद खुलने लगा था.....
मां बाप के कहने और भाई की जिद पर जतिन ने वहीं रुकने को कहा तो उसने टोक दिया " मम्मी-पापा नाराज होंगें... । "
"मैं फोन कर देता हूं। "उसने उसकी ओर देखते हुये जबाब दिया।
सुबह नाश्ते के बाद जतिन चला गया और पूनम को अपनी मंजिल नजदीक नजर आने लगी।
टीका कर उसने राखी बांध भाई की आरती उतारी। आफिस के बाद जतिन उसे लेने आ चुका था। उसने आगे की प्लानिंग कर रखी थी। लंच करके वह ससुराल चली।
प्रीति शर्मा" पूर्णिमा"