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"लक्ष्मी"भाग-12

29 नवम्बर 2021

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  अभी तक आपने पढ़ा--

रुक्मिणी हॉस्पिटल में एडमिट थी और सीमा जो बात पवन से नहीं पूछ पाई वह लक्ष्मी से पूछती है अभी वह बातें कर रही हैं तभी पवन दवाई लेकर आ गया और नगीना ,गगन ,भुवन भी वहां आ गए और पवन नगीना को रुक्मिणी की तबीयत के बारे में बताने लगा अब आगे।.....

नगीना, सीमा और गगन ,भुवन रुक्मणी को देखने अंदर कमरे में आ गए।दवाई के असर के कारण रुकमणी सोई हुई थी।उसके चेहरे पर मुर्दनी सी छाई थी।

    नगीना की निगाह जब रुक्मणी पर पड़ी तो एकबारगी सन्न रह गये। उन्हें तो देखे हुए ही पांच-छह साल साल हो गए थे।वह लगभग साठ के होने वाले थे लेकिन अभी भी स्वस्थ,जबान और रौबीले लगते थे ।अपनी उम्र से कम आठ-नौ साल छोटी रुक्मणी को उन्होंने देखा जो बुड्ढी सी नजर आ रही थी।उम्र ने जैसे उसे चारों तरफ से घेर लिया था, बाल सफेद,आंख गड्ढे में धंस गयी थीं, आंखों के पास चारों तरफ  काला घेरा हो गया था ,शरीर अस्थिपंजर मात्र था ।

  करुणा का भाव उनको अंदर तक उन्हें भिगो गया।रुक्मिणी के साथ बिताए शुरू के छह-सात साल अनायास उनकी आंखों के आगे घूम गए।

क्या यह वही रुकमणी है जिसके लिए वह तीन-चार साल घर से बाहर न निकले थे।उन्हें अपने -आप पर ग्लानि महसूस हुई।उन्होंने प्रश्नसूचक दृष्टि से सीमा की ओर देखा।सीमा भी अपने को ग्लानि से भरा महसूस कर रही थी,उसने निगाह झुका लीं।घर में सब यही सोचते थे कि सीमा रुक्मिणी के प्रति अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही है और वह सब इससे मुक्त हैं।सीमा ने भी उन सभी को इसी तरह का एहसास दिलाया था और  सीमा का सारे घर पर जो अधिकार, आधिपत्य था कोई भी उसके आगे ज्यादा अपनी बात नहीं रखता था।
नगीना की यह निगाह ,सीमा को शर्मिंदा कर गई कुछ देर बाद सभी बाहर आ गए पवन ने उन्हें घर जाने को कहा।             
    नगीना और सीमा दोनों के दिमाग में बहुत कुछ एक साथ चल रहा था।विशेष तौर से नई बहू लक्ष्मी के सामने दोनों शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे।एक तो लक्ष्मी और उनके घर वालों से सच्चाई छुपाना और दूसरे रुक्मिणी की यह अवस्था लक्ष्मी के सामने आना।    
   थोड़ी देर वे सोचते से खड़े रहे लेकिन फिर रुकने की उनकी मानसिक अवस्था ना रही।पवन को रूक्मिणी का ध्यान रखने का और पैसे के बारे में पूछ कर बाहर निकल गए।निकलते- निकलते नगीना वापस मुड़े और उन्होंने जेब से नोटों की एक गड्डी निकालकर पवन के हाथ में रख दी मानो पश्चाताप कर रहे हों।

 लक्ष्मी ने सीमा से कहा,

   आप भी घर चले जाइए मांजी।आप भी थक गई होंगी,यहां हम संभाल लेंगे।
यह सब देखकर गगन और भुवन भी कहने लगे,
हम भी यहीं रुक जाते हैं भाभी के साथ... ।

 सीमा चुपचाप नगीना दास के पीछे -पीछे धीमे कदमों से बाहर चली गई। सीमा सोच रही थी,नगीना दास शायद उससे कुछ कहेंगे हो सकता है दुत्कारें, प्रश्न पूछें तो वह क्या जवाब देगी? इस तरह की परिस्थिति कि उसने कभी कल्पना भी न की थी ।

  उधर नगीनादास खुद शर्मिंदा थे कि उन्होंने कभी भी रुक्मिणी पर ध्यान नहीं दिया, सीमा के कहे को ही सच मानते रहें और हमेशा उसकी बातों में उसकी हां में हां मिलाते रहे। बच्चे चाहे ना कहते हों, पर हो सकता है मन में उनके लिए में उपेक्षा का भाव हो, डर से या आदर से वे उनके सामने ना बोलते हों।अब बच्चें जवान भी हैं और समर्थ भी। अब जब नई बहू आ गई है तो वह क्या सोचती होगी?

पवन से उसने हमारे बारे में क्या कहा होगा? इन्हीं बातों में डूबते -उतरते नगीना दास चले जा रहे थे ।दोनों अपनी- अपनी सोच में गुम थे ।

क्रमशः


प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

29/11/2021 


Anita Singh

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सुन्दर

21 दिसम्बर 2021

Jyoti

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👌

21 दिसम्बर 2021

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मेरी यह पुस्तक नारी जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में दो कहानियां हैं। "ससुराल रूपी पिंजरा "जिसमें शादी के बाद आनेवाली बहुत सी समस्याओं में से एक कहानी का विषय है। लड़कियों के जीवन में विवाह के बाद आये बदलाव और सामंजस्य बिठाने को लेकर लिखी गयी यह कहानी भारतीय मूल्यों को बरकरार रखते हुए लिखी गयी है, जहां लडकियों का संयम और समझदारी ही राह दिखाते हैं और समस्याओं से पार होना सिखाते हैं।आशावादी रवैया और धैर्य समस्याओं का हल निकालता है। दूसरी कहानी "लक्ष्मी" पहली कहानी के उल्ट बहू द्वारा सास को उसके घर में पुनर्स्थान की है वो भी शान्ति और सौहार्दपूर्ण तरीके से। आशा है पुस्तक की दोनों कहानियाँ पाठकों को पसंद आयेंगी। पुस्तक निःशुल्क रखी गयी थी ताकि ज्यादा से ज्यादा साथी पढ सकें पर कुछ ज्यादा समीक्षायें नहीं दिखीं।
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