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लक्ष्मी बहु बनकर ससुराल आई तो ससुराल के बारे में उसे कुछ नयी जानकारी मिली और वो उसके बारे में सोचने लगी।अभी तक की कहानी को विस्तार से जानने के लिए लक्ष्मी केभाग1-6तक पढें।
अब आगे.....
लक्ष्मी अपनी सास सीमा के पांव दबा रही थी तथा मन ही मन दुविधा में थी कि सुबह की बातचीत के बारे में पूछताछ करे या नहीं..?
लक्ष्मी पढ़ी- लिखी व समझदार थी। परिस्थितियों को समझकर ही कोई कार्य करना चाहिए,यह वह जानती थी। जल्दबाजी में काम अक्सर बिगड़ जाते हैं और रिश्ते भी।अभी वह कुछ निश्चय न कर पाई थी।पवन से बात करने का भी मौका उसे न मिला था,तभी सीमा की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।
जाओ बहू!अब तुम भी सो लो।सुबह से काम में लगीं हो, थक गई होगी.. ।
जी मांजी,कहते हुये लक्ष्मी खड़ी हो गई। जाते-जाते वह एकाएक ठिठक गई।
क्या है बहु ...कुछ कहना है?सीमा ने उसे रूकते देखकर पूछा।
दूध लेके आऊं मांजी....लक्ष्मी ने अपने मन पर काबू करते हुये पूछा।
नहीं,बच्चों को दे देना और तुम भी ले लेना, जम्हाई लेते हुए सीमा ने कहा।
लक्ष्मी कमरे से बाहर आ गई।उसने निश्चय किया इस बारे में वह पवन से ही पूछेगी।
कमरे में पवन उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था उसने दूध का गिलास उसके हाथ में पकड़ा दिया और बैठ गई।वह फिर सोच में पड़ गयी।पवन से बात करे न करे...? अभी तो पवन से भी उसकी हिचक पूरी तरह न खुली थी।स्वभाव के बारे में भी उसे ज्यादा पता भी न था।
पवन जिन परिस्थितियों में पला-बढ़ा था,वह कम ही बोलता था।सहज ही किसी से घुलता मिलता न था।एक नया रिश्ता उसे अभी-अभी मिला था।अतः वह बेहद प्रशन्न था।कल जब लक्ष्मी आई थी तब कितनी खुश दिख रही थी पर आज शाम होते -होते क्या हुआ जो अब इतनी गंभीर है..? उसने जब लक्ष्मी को सोच में पड़ा हुआ चुप-चाप देखा तो टोक दिया।
क्या सोच रही हो लक्ष्मी?
कुछ नहीं-लक्ष्मी ने मन के भाव छिपाने की कोशिश की।
थक गईं क्या?..
दूध का गिलास रखते हुये उसने स्नेह से पूछा।हो सकता है,इसने मायके में कभी काम ही न किया हो और आज यहां सारा दिन घर का सारा काम संभाला।पवन ने सोचते हुये उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया।
लक्ष्मी ने पूछने के लिए मुंह खोला, फिर बन्द कर लिया
कुछ कहना है... ?पवन ने हाथ सहलाते हुए कहा।
लक्ष्मी को लगा,यही मौका है, वरना वह सोच-सोच कर ही रह जायेगी और परेशान होती रहेगी।
हां...उसने धीरे से कहा ।
तो पूछो न.....अब हम पति पत्नी हैं।आपस में हिचक कैसी.... मुझसे अपने दिल की बात न करोगी तो किससे करोगी?हाथ को प्यार से दबाकर मानो उसने आश्वासन दिया।
पवन के आश्वासन ने लक्ष्मी को हिम्मत दे दी।
पवन मैं यह जानना चाहती हूं कि सीमा मम्मी कौन हैं और तुम्हारी अपनी मां कहां है...? एक झटके में लक्ष्मी ने अपना प्रश्न पवन की ओर दाग दिया।
जैसे कोई विस्फोट हुआ हो... पवन के हाथ से लक्ष्मी का हाथ छुट गया।
तुम्हें ये किसने बताया लक्ष्मी... ?पवन के स्वर में हैरानी भी थी और दुःख भी
घर में कोई बात हुई क्या?
नहीं,घर में नहीं पर...क्या ये सच है पवन.. ? लक्ष्मी ने उसका हाथ पकड़कर पूछा।
हां..पवन एकदम सहम सा गया,इसे कैसे पता लगा। सीमा मां ने तो मां को शादी की सभी रस्मों से दूर रखा था।अब सीमा की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी।हमने तो यह बात इसके घरवालों से छिपाई थी....
उसने कुछ घबराहट के साथ पूछा-
फिर तुम्हें कैसे पता लगा,बताओ ना लक्ष्मी...उसने पत्नी के कन्धे पर हाथ रख दिए और उसकी आँखों में झांकने लगा।
तब लक्ष्मी ने जो कुछ सुबह-सुबह गली में औरतों को बात करते सुना था,बता दिया।
ओह... सीमा मां हमारी छोटी मां हैं और मेरी सगी मां रूक्मिणी हैं जो कोठी के पीछे रहती हैं....
पवन ने बचपन से अब तक की सारी कहानी लक्ष्मी को सुना दी।उसकी आंखों में आंसू थे,जो उसकी बेबसी को बयान कर रहे थे.
सीमा मां ही हमारी मां के खाने-पीने व पहनने का ध्यान रखतीं हैं।उन्होंने हमें पहले स्कूल,कालेज की पढ़ाई के बहाने मां से दूर रखा तो कभी मां की मानसिक अस्थिरता को जरिया बनाकर.... मीना जब तक थी,तब वो जरूर सीमा मां के व्यस्त होने या कहीं जाने पर मां के पास जाकर उनको नहलाने व खाना खिलाने जाती थी। मैं भी कभी-कभी मौका मिलने पर उन्हें देख आता हूं....
लक्ष्मी आश्चर्य से पवन को देख रही थी मानो आठवां अजूबा हो।कोई अपनी सगी मां के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है?
तुम्हारे पिता ने तुम्हारी मां के साथ अन्याय किया और तुम विरोध नहीं कर पाये क्योंकि तब तुम छोटे थे,पर आज तो तुम समर्थ हो,आज तुम्हारी क्या मजबूरी है, बोलो पवन जबाव दो...... ?लक्ष्मी की आवाज़ में दुःख के साथ साथ आक्रोश भी था।
क्रमशः
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"