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"पिंजरा बना सपनों का महल"

28 अक्टूबर 2021

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अभी तक आपने पढा---

पूनम को उसके पिता लेने आये तो सास ने उसे भेज दिया और फिर हफ्ता होते ही जतिन भी उससे मिलने आगया और एक दिन रुककर गया। आज उसका व्यवहार पहली बार से भिन्न था।

अब आगे---

टीका कर उसने राखी बांध भाई की आरती उतारी।आफिस के बाद जतिन उसे लेने आ चुका था। उसने आगे की प्लानिंग कर रखी थी।लंच करके वह ससुराल चली।अंदर पहुंची तो सास ने खुशी खुशी उसके घर का हाल-चाल पूछा और उसके वापस आने पर खुशी जाहिर की।उसने पैर छूकर सासु मां का आशीर्वाद लिया और पूछा,

"क्या आप अपने भाई के राखी बांध आईं"

उसकी बात को सुन वह चुप हो गयीं।शायद कुछ उदास भी...

जतिन अपने कमरे में जा चुका था।तभी बैल बजी, उसने बढ़कर दरवाजा खोला। आपकी उदासी आज दूर हो जायेगी मम्मी।उसने मन ही मन कहा।

"कौन है..?

कहकर उसकी सासु वहां आ गयी।दरवाजे पर भाई को देख अपने स्थान पर जड़ रह गयी।आज दस सालों बाद वह अपने भाई को देख रही थीं।

पति और ससुराल के दबाव में और कुछ मायके की गरीबी से उनके रिश्ते में दूरियां आ गई थीं।ससुराल को साधते-साधते वह मायके को भूल बैठी।फिर दस साल पहले मां-बाप के जाते ही ये दूरियां रिश्ते टूटने का कारण बन गयीं।ना वह मायके जाती थी और ना ही भाई बहन के तेवर देख यहां आता था।

अचानक भाई को सामने देख इतने सालों से अंदर भरा दुःख आंसू के जरिए बाहर आ गया।आज के दिन वह हमेशा भाई को याद करती पर अहंकारवश कभी भाई से मिलने की पहल नहीं की।

भैय्या.... कहते हुए वह भाई की तरफ बढ़ी लेकिन फिर अपने कदम पीछे खींच लिये।

भाई ने बहन को देखा, "नाराज है सुमि.... .." सुमि चुप रही।

तब तक पूनम थाली में राखी और मिठाई रखकर ले आई।

" अब यह भाई बहन का रूठना मनाना बाद में.. मम्मी जी.. पहले राखी बांधकर मामा जी की आरती करिए" पूनम ने बोला तो सिमी की आंखों में आये आंसू झर झर बहने लगे मानो अन्दर का सारा अहंकार पिघल कर बह रहा हो।

भाई ने उसकी आंखों से आंसू को पौंछा,"आंसुओं से ही स्वागत करेगी क्या..? सुमि ने भाई के टीका किया और राखी बांधी और फिर मुंह में घेवर रखा और उसके बाद गले मिल रोने लगी।पिंजरा टूटकर बिखर रहा था।पिछले दस सालों में जो आसपास बुना गया था सोने का। भाई बहनों का मिलन देख पूनम बहुत ही राहत महशूस कर रही थी।

दोनों भाई-बहन पिछले दस सालों के गिले-शिकवे निबटाकर अपनी घर-गृहस्थी की बातें करने में लगे पडे़ थे मानो कभी कोई दूरी रही ही ना हो।

जतिन और उसके पापा यह सब देख रहे थे।इतने सालों बाद मामा को सामने देख जतिन भी बहुत खुश हुआ।वास्तव में आज वह अपनी मां को बहुत प्रसन्न देख रहा था।दोनों के बीच किस कारण दूरी हुई थी यह तो उसे भी नहीं पता था।      

लेकिन पूनम ने उनका मिलन कराया है जान उसने पूनम को गले लगा लिया।

"बहुत बहुत धन्यवाद... पूनम, तुमने मेरी मां को आज बहुत बड़ी खुशी दी है।मैंने मां को आज तक इतना खुश कभी नहीं देखा।"

वास्तव में सच कहते हैं कि मां की खुशी बच्चों के लिए बहुत मायने रखती है और जो उनको खुश रखता है उनका वह सम्मान भी करता है।यह आज हकीकत में दिख रहा था।पूनम के जीवन का सबसे खुशी का पल था जब उसकी सास ने आकर उसको गले से लगा लिया और अब तक के अपने किए गए व्यवहार पर क्षमा मांगते हुये कहा,

 "मैने तुम्हारे और तुम्हारे परिवार वालों के साथ बहुत गलत व्यवहार किया क्योंकि वह सब कभी मेरे साथ हुआ था और मैं वही सब कर रही थी जो भोगा था... लेकिन आज तुमने मेरी आंखें खोल दीं और मुझे अपनी गलती समझ आ गई।अब यह उसका ससुराल नहीं बल्कि उसका अपना घर है जहां वह जैसे चाहे अपने घर को चला सकती है।"

धैर्य,संयम और समझदारी से पूनम ने आज अपनी" ससुराल को पिंजरे" की बजाय अपने" ख्वावों के महल" में तब्दील कर दिया था।

प्रीति शर्मा" पूर्णिमा"

28/10/2021 

कविता रावत

कविता रावत

ससुराल को पिंजरे" की बजाय अपने" ख्वावों के महल" में तब्दील कर दिया था। सच यही होना चाहिए तभी खुद और सभी खुश रह सकते हैं, बहुत सुन्दर सुखांत

14 जनवरी 2022

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

1 फरवरी 2022

बहुत बहुत धन्यवाद कविता जी🙏🙏🙏

Jyoti

Jyoti

👌

21 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बहुत सुन्दर रचना

21 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

काश कि सभी ससुराल वाले ऐसे ही बदल जाते 😊

8 दिसम्बर 2021

Subhash Sharma

Subhash Sharma

बहुत सुन्दर रचना 💐💐🙏🙏

20 नवम्बर 2021

Subhash Sharma

Subhash Sharma

Beautiful starting 👌👌

29 अक्टूबर 2021

Subhash Sharma

Subhash Sharma

Very nice story 👌👌👌

29 अक्टूबर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बढिया लिखा है। 👍

28 अक्टूबर 2021

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

7 नवम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद जी 🌹🌹🙏🙏

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रचनाएँ
"ससुराल रूपी पिंजरा "
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मेरी यह पुस्तक नारी जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में दो कहानियां हैं। "ससुराल रूपी पिंजरा "जिसमें शादी के बाद आनेवाली बहुत सी समस्याओं में से एक कहानी का विषय है। लड़कियों के जीवन में विवाह के बाद आये बदलाव और सामंजस्य बिठाने को लेकर लिखी गयी यह कहानी भारतीय मूल्यों को बरकरार रखते हुए लिखी गयी है, जहां लडकियों का संयम और समझदारी ही राह दिखाते हैं और समस्याओं से पार होना सिखाते हैं।आशावादी रवैया और धैर्य समस्याओं का हल निकालता है। दूसरी कहानी "लक्ष्मी" पहली कहानी के उल्ट बहू द्वारा सास को उसके घर में पुनर्स्थान की है वो भी शान्ति और सौहार्दपूर्ण तरीके से। आशा है पुस्तक की दोनों कहानियाँ पाठकों को पसंद आयेंगी। पुस्तक निःशुल्क रखी गयी थी ताकि ज्यादा से ज्यादा साथी पढ सकें पर कुछ ज्यादा समीक्षायें नहीं दिखीं।
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