अब तक आपने पढ़ा कि लक्ष्मी को अपनी ससुराल में आये कुछ ही दिन हुये थे कि उसे पता लगा कि जिसे उसने अपनी सास समझा था वो पति की छोटी मां है। उसकी सास की हकीकत के बारे में जब उसको पता लगा तो उसने अपने पति के साथ सास को घर में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए योजना बनाई और उसे अंजाम देने में जुट गयी।
अब आगे......
सीमा अभी सोच में थी कि तभी पवन घबराया हुआ आया।
छोटी मां मम्मी की तो बहुत तबियत खराब है। खाना भी नहीं खा पाई,सांसें भी तेज़ चल रही हैं, डाक्टर को बुला लें.... नहीं डाक्टर बुलाने और आने में कहीं देर न हो जाये, हमें उन्हें हास्पीटल ले जाना पड़ेगा।पवन बोले जा रहा था।
सीमा की समझ न आया कि वह क्या कहे?
दरअसल पिछले दिनों वह रूक्मिणी की देखभाल के लिए गई ही न थी। शादी में व्यस्त वो रूक्मिणी को बिसरा चुकी थी। नौकरानी ने ध्यान रखा या नहीं, उसने पूछा ही नहीं।कहीं सचमुच कुछ हो गया तो.....वह कुछ घबरा सी उठी।पवन व बाकी बच्चों की नजरों से वह गिर जायेगी, कहीं नगीना भी उसे गलत न समझने लगें।
इस समय बहु घर में हैं ,पता नहीं उसे क्या-क्या पता लगा है और पवन भी कुछ बदला सा है।
हां,..हां, डाक्टर के ले चलो। सीमा सकपकाई सी बोली। शादी के काम में मैं उनका ठीक से ध्यान नहीं रख पाई और नौकर तो तुम जानते हो कैसे होते हैं, लगता है उन्होंने अच्छे से ध्यान नहीं रखा।सीमा सफाई सी देते हुए बोली । मैं भी साथ चलती हूं।तुम्हारे पापा तो फैक्ट्री चले गए।
सीमा हास्पीटल में डाक्टर के कमरे के बाहर बैंच पर बैचेन सी बैठी थी।पवन व लक्ष्मी , रूक्मिणी के साथ अन्दर थे। उसके दिमाग में बहुत सी बातें एक साथ चल रही थीं।सुबह जो हुआ था वह उसे अभी समझ न आया था।पवन से पूछने का मौका न मिला था ऊपर से एक और समस्या आ गई।सुबह वो जितनी खुश और संतुष्ट थी,उतनी ही अब चिन्तित व बैचेन थी। उसके मन में एक डर सा फैलता जा रहा था कि कहीं बीस साल से जिस साम्राज्य का सुख भोग रही थी,कहीं वह बिखर तो नहीं जायेगा।मौका मिलते ही वह पवन से बात करेगी और पता करेगी कि लक्ष्मी को उसने क्या और क्यों बताया?वह अपने विचारों में गुम थी कि तभी पवन वहां आ गया।सीमा ने पवन की ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा।
कैसी हैं जीजी? ....घबराहट भरे स्वर में वह बोली। ये घबराहट रूक्मिणी के लिए थी या अपने आने वाले कल की चिंता पर थी,ये तो सीमा का दिल ही जानता था।
मम्मी की हालत ज्यादा अच्छी नहीं.…….…..पवन की आवाज में पश्चाताप ध्वनित हो रहा था।
बेटा मैं……...सीमा ने कुछ कहना चाहा,पर पवन ने बीच में ही रोक दिया।
नहीं छोटी मां।आप की कोई गलती नहीं,आप ने तो हम सबको संभाला है।गलती मेरी है, मुझे भी तो मम्मी का ख्याल रखना चाहिए था।पवन ने दिलासा सी देते हुए सीमा को कुछ राहत प्रदान की।
जबकि हकीकत यह थी कि शादी से दस दिन पहले ही छोटी बहिन मीना आ गयी थी और वह लक्ष्मी के आने से एक दिन पहले ही ससुराल गयी थी और उसने उन दिनों रूक्मिणी की देखभाल की थी।पवन भी उन दिनों दो-तीन बार मां से आशीर्वाद लेने गया था और वह शांत थीं।बेटी के साथ ने उन्हें कुछ संभाल दिया था।दरअसल जब से मीना की शादी हुई थी,वह जब भी आती उसकी कोशिश होती कि मौका मिलते ही वह मां के साथ समय बिताये। यद्यपि वह सीमा का अब भी ज्यादा लिहाज करती थी। सीमा ने इसे कुछ महशूश भी किया लेकिन मीना से उसने कुछ न कहा। कभी- कभी तो आती है और उसे तो पहले सा मान देती है।
पवन के व्यवहार में अपने लिए सीमा को कोई परिवर्तन नहीं लगा तो उसे कुछ चैन सा आया।
छोटी मां !मैं आपको घर छोड़ आता हूं,आप थक गई होंगी।पवन ने आग्रह किया।
पवन मैं कुछ पूछना चाहती हूं,सीमा के मन में चल रहा द्वन्द्व जुवां पर आ गया।
हां,छोटी मां,क्या पूछना है?पवन ने सामान्य आवाज में पूछा। जबकि वह जानता था कि सीमा के दिमाग में सुबह से क्या चल रहा है।
तुमने लक्ष्मी को ये बताया कि मैं तुम्हारी सौतेली मां हूं और रूक्मिणी जीजी सगी मां हैं।तुमने लक्ष्मी को और क्या -क्या बताया जीजी और मेरे बारे में?
क्रमशः
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"