अभी तक आपने लक्ष्मी के 1,2,3 भाग पढे।आपने अगर नहीं पढे तो पहले ये सभी पढें, तभी कहानी पूरी तरह समझ आयेगी।
मां-बाप का साया उठते ही नगीना दास एकदम स्वच्छंद हो गया था।रुक्मिणी के गृहस्थी में फंस जाने पर उसका ध्यान फिर अपने पुराने साथियों में जा लगा और फिर मनमौजी हो गया।रुक्मणी को जब तक खबर हुई उसकी पहुंच से बाहर हो चुका था और दोनों के बीच एक बड़ी खाई खुद चुकी थी।इस माहौल ने बच्चों पर भी असर डालना शुरू कर दिया और नगीना रुकमणी से और भी दूर होने लगा।
अब आगे......
फैक्ट्री में पिता के समय से ही लाला चंदरलाल मुंशी का काम करते थे। नगीना उनका बहुत सम्मान करता था और फैक्टरी का सारा लिखा-पढ़ी का काम उन्हीं पर छोड़ रखा था।उम्रदराज लाला बेटे की तरह नगीना को सलाह-मशविरा दिया करते| इसीलिए नगीना उनकी बहुत इज्जत भी करते थे और उनके ऊपर काम छोड़कर मौज-मस्ती में लग जाते।
दो वर्ष पहले लाला चंदरलाल की पत्नी,बहू और बेटे की एक एक्सीडेंट में मृत्यु हो चुकी थी और बेटे की एकमात्र निशानी के तौर पर उनकी पोती सीमा थी जो इस समय पन्द्रह-सोलह साल की हो रही थी।
जब भी नगीना ज्यादा समय फैक्टरी में रुकते तो अक्सर लाला चन्दरलाल उनके लिए घर से खाना लेकर आते और जब कभी नगीना की लड़ाई रुक्मिणी से हो जाती तो वह नाराज होकर रात को भी फैक्ट्री पर ही रुक जाते।तब लाला चंदरलाल उसको घर पर खाने के लिए ले जाते जहां पर नगीना की निगाह सीमा पर पड़ गई।
खूबसूरत कली सी खिलती सीमा उनके मन को भाने लगी थी और उनका मन उसके लिए मचलने लगा।नौ-दस साल पहले रूक्मिणी भी उन्हें ऐसे ही भायी थी।उसका यौवन उन्हें खींचने लगा था। आते-जाते कभी-कभी सीमा भी उनसे बात करने लगी।
सौभाग्य कहिए या दुर्भाग्य अचानक लाला चंदरलाल बीमार पड़े तो कई दिन फैक्टरी नहीं जा पाए।तब नगीना कारण जानने के लिए जब घर गये तो पता लगा लाला चंदरलाल बीमार हैं और फिर दवाई देखभाल का जिम्मा स्वयं ले लिया। इस तरह नगीना का घर में आना-जाना बहुत ज्यादा होने लगा और सीमा भी उनसे खुल गई।
देखभाल के बहाने नगीना काफी समय लाला चंदरलाल के यहां गुजारने लगा।कई बार तो वह सुबह ही पहुंच जाता और नाश्ता, खाना, रात का खाना सब कुछ वहीं खाने लगा।सीमा से वह बहुत प्यार से बात करता और सीमा उसे साहब कहकर पुकारती।.
जैसे-जैसे उसकी सीमा से निकटता बढ़ती जा रही थी,रुक्मिणी उनके दिल से बिल्कुल दूर होती जा रही थी।अब वह सीमा के ही सपने देखते और उसका मन बहलाने को तरह तरह के जतन कहते। अल्हड़ सीमा को इस सब की समझ ना थी।नगीना का अतिरिक्त ध्यान देना उसे अच्छा लगता और माँ-बाप के बाद दादा ही एक सहारे थे और उनकी बीमारी में नगीना एकमात्र सहायक।
इधर लाला चन्दरलाल को सीमा की चिन्ता सता रही थी कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो सीमा का क्या होगा?
उन्होंने नगीना से चिन्ता व्यक्त की।
बेटे मेरी बीमारी ठीक होते नहीं दिखती... लगता है जल्दी ही बुलाबा आ जायेगा। मेरे बाद सीमा क्या होगा...?बहुत छोटी उम्र है उसकी और शादी के बारे में सोच रहा थाकि इस बीमारी ने घेर लिया...।
आप चिंता मत करिये मुंशीजी.. जल्द ही आप ठीक हो जायेंगें और मैं हूँ न... सीमा की चिंता मत करिये। बस आप भगवान पर भरोसा रखिये.... नगीना ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह सीमा का अपनी तरफ से उसका पूरा ध्यान रखेगा।
क्रमशः
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
21/11/2021