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पवन लक्ष्मी ने रूक्मिणी को अस्पताल में भर्ती करा दि और वह कमरे के बैठीं हैं।
सीमा पवन से कु पूछना चाहती है कि तभी लक्ष्मी बाहर आ जाती है।
अब आगे--
सीमा पवन से पूछ रही थी कि तभी लक्ष्मी बाहर आ गई और पवन चुप हो गया। लक्ष्मी ने पवन को दवाइयों की पर्ची दी और पवन दवा लेने चला गया। अब सीमा सोचने लगी कि पवन से तो बात हो नहीं पाई क्या लक्ष्मी से पूछूं?
लक्ष्मी ने सीमा से कहा, मांजी आप कुछ सोच रही है क्या ?
सीमा ने कहा - हां.. आं... मुझे तुमसे कुछ पूछना तो है।
लक्ष्मी जानकर भी अनजान बनी हुई थी बोली ,
पूछिए मांजी।
लक्ष्मी क्या तुम्हें पवन ने मेरे बारे में कुछ बताया?कुछ सकुचाते हुये सीमा ने पूछ लिया।
जी.. लक्ष्मी ने प्रश्नवाचक नजरों से सीमा की ओर देखा।
सीमा ने बात बदल दी और पूछा ,
रुक्मिणी दीदी की तबीयत अब कैसी, क्या मैं उनको देख आऊं?
लक्ष्मी बोली ,
नहीं...वह ठीक नहीं है और अभी सो रही हैं।दवाइयों का असर है।आप वैसे दूर से देख सकते हो ।
नहीं.. वह सो रही हैं तो बाद में देख लुंगी।सीमा कुछ हिचकिचाते हुए बोली।
थोड़ी देर दोनों चुप रहीं। फिर सीमा से रहा नहीं गया और फिर पूछ बैठी।
लक्ष्मी तुम्हें कैसे पता लगा कि मैं पवन की छोटी मां हूं और रुक्मणी दीदी उसकी सगी मां.. ?
पवन ने...कहते हुये वह रूक गयीं और उठकर वार्ड में झांककर देखने लगी।
सीमा ने दरवाजे से झांक कर रुक्मिणी को देखा वह सोई हुई थी।वह वापिस आ गई। उन्होंने बात चालू रखी।क्या पवन ने......
लक्ष्मी बोली ,
नहीं, उन्होंने तो मेरे को नहीं बताया था.. यह तो मुझे गली में बात कर रही कुछ औरतों से कल सुनाई दिया था।
लक्ष्मी आगे बोली ,
गली में बात कर रही कुछ औरतें हमारे घर के बारे में चर्चा कर रहीं थीं, जब कल सुबह मैं किचन में काम कर रही थी।
क्या कह रही हो बहू....? कुछ आश्चर्य करते हुये सीमा बोली।
मांजी.. यही सच है और फिर उसने उन औरतों की बातचीत कुछ घुमा फिरा के अपने तरीके से सीमा के सामने दोहरा दी।
लक्ष्मी की बात सुनकर सीमा बोली,
अब मैं क्या बताऊं बहू, रुक्मिणी दीदी को कभी -कभी पागलपन का दौरा पड़ता है, इसलिए उनको कोठी के पीछे अलग कमरे में रखा जाता है। उस समय वह अपने को या किसी और को भी हानि पहुंचा सकती हैं। तुम मेरे बारे में कुछ गलत ना सोच लेना। अगर मैं उनको सौत मानती तो पवन, मीना और गगन को अपने बच्चों की तरह कैसे पालती? पवन मीना और गगन को अपने बच्चे की तरह ही क्यों मानती? मेरा तो भाग्य ही खराब है जो रुक्मिणी जीजी मेरे घर में आने के बाद ही पागल हो गईं।पहले तो वो मानसिक रूप से कमजोर ,चिड़चिड़ी थीं,पर बाद में उनकी हालत ज्यादा खराब हो गयीं...
सफाई से देते शब्दों में सीमा एक ही सांस में सब बोल गयी।
लक्ष्मी ने देखा इतना कहते-कहते सीमा की आंखें नम हो गईं।वह वहां से दूर बेंच पर जाकर बैठ गई और अपने चेहरे को हाथों से ढक लिया।
सीमा को मन ही मन कुछ तसल्ली हुई कि पवन अभी भी उसके कहे में है और लक्ष्मी से उसने कुछ नहीं बताया।
लक्ष्मी ने सोचा शायद उनकी असलियत उसके सामने आ गई है, इसलिए वे अपने भाग्य को कोस रही हैं।
तभी उसकी तंद्रा भंग हुई ।पवन दवाई लेकर आ गया था। तभी दूसरी तरफ से नगीनादास जी और गगन, भुवन भी साथ आते दिखाई दिए सीमा चुप बैठी थी पवन ने नगीना को मां की तबीयत के बारे में बताया।
क्रमशः-
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"