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"लक्ष्मी"भाग-6

23 नवम्बर 2021

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अभी तक आपने पढ़ा--

 ससुराल में आते ही लक्ष्मी को कुछ ऐसा पता लगता है जिससे वो अनभिज्ञ थी। नगीनादास की पारिवारिक अंदरूनी हकीकत जिसको शहर में कोई नहीं जानता था। यहां तक कि उसके मायके वाले भी नगीनादास को एक प्रतिष्ठित व सम्मानित व्यक्ति के रूप में ही जानते थे और उनसे प्रभावित हो कर ही उन्होंने लक्ष्मी की शादी बड़े बेटे पवन से कर दी थी।

अब आगे.... 

 शहर आते ही सीमा ने कोठी के पिछवाड़े नोहरे में एक छोटा सा कमरा रूक्मिणी को रहने को दिया जबकि बच्चों को अपने साथ कोठी में रखा।

उसे अब तक इतना तो पता लग ही गया था कि नगीना अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है और अगर बच्चे उसके साथ रहे तो उसे अपने हित में साधना आसान है। बच्चों से उसे कोई परेशानी भी न थी। सच तो ये था कि रूक्मिणी की नफ़रत ने उसे उसके खिलाफ कर दिया था ।

शुरुआत में उसने रूक्मिणी के साथ छोटी बहिन की तरह ही रिश्ता निभाया था और खुद को उसका अपराधी मान सामंजस्य बिठाने की कोशिश भी की थी ।रूक्मिणी की इस दुर्दशा का जिम्मेदार अगर कोई था तो वो नगीना ही था,सीमा तो अपनी परिस्थितियों से मजबूर उसकी जिंदगी में आ गई थी।

  नगीना और रूक्मिणी के रिश्ते तो पहले से ही खराब हो चुके थे।वह न आती तो कोई और आ जाती।इस तरह वह अपने को वो निर्दोष मान स्वच्छंद हो चुकी थी। रूक्मिणी को अब वो महत्वहीन समझ चुकी थी। नगीना ने घर के सभी फैसले उस पर छोड़ दिये थे।अब वो घर में अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती थी।

  पवन अब दस वर्ष का था और बहुत कुछ समझने लगा था लेकिन सीमा के व्यवहार से बच्चे खुश रहते थे और मां के प्यार की कमी ज्यादा महशूस न करते।दूसरा वे सीमा को नाखुश भी नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने रूक्मिणी के अलग रहने पर सीमा या पिता को न कुछ कहा और ना पूछा। कभी -कभी वे मां से मिलने उसके कमरे में जाते लेकिन अब उन्हें वह स्नेह न मिलता जो उन्हें मां की ओर खींच पाता।     रूक्मिणी अपनी इस दशा से खिन्न हो बच्चों के प्रति भी रूखी हो चुकी थी और इस सब से विमुख मानसिक रूप से असंतुलित हो गयी थी,उसे कुछ भी अच्छा न लगता।

  इसी तरह समय बीतता गया।कुछ समय बाद सीमा के एक पुत्र हुआ जिसका नाम भुवन रखा गया। नगीना ने बहुत बड़ा जलसा किया, जिसमें नगर के सभी सम्मानित लोग निमन्त्रित किये गये थे पर रूक्मिणी वहां कहीं नहीं थी।पत्नी के रूप में सीमा ही सबसे मिली और जो वह चाहती थी ,समाज में वही नगीना की पत्नी के रूप में प्रतिष्ठित हो गई।

शहर में आये उन्हें पन्द्रह वर्ष हो चुके थे और बी .ए.करने के बाद पवन पिता के साथ फैक्ट्री का काम संभालने लगा था जो अब काफी फैल चुका था। मीना की शादी हो चुकी थी और वह अपनी ससुराल में प्रसन्न थी।गगन और भुवन अभी पढ़ाई कर रहे थे। बहिन -भाइयों के बीच स्नेह था, सौतेलेपन का कहीं ज़िक्र भी न था।

और अब पवन की शादी लक्ष्मी से हो चुकी थी।

क्रमशः

प्रीति शर्मा" पूर्णिमा"

23/112021

Jyoti

Jyoti

बहुत अच्छा

21 दिसम्बर 2021

Anita Singh

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रचनाएँ
"ससुराल रूपी पिंजरा "
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मेरी यह पुस्तक नारी जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में दो कहानियां हैं। "ससुराल रूपी पिंजरा "जिसमें शादी के बाद आनेवाली बहुत सी समस्याओं में से एक कहानी का विषय है। लड़कियों के जीवन में विवाह के बाद आये बदलाव और सामंजस्य बिठाने को लेकर लिखी गयी यह कहानी भारतीय मूल्यों को बरकरार रखते हुए लिखी गयी है, जहां लडकियों का संयम और समझदारी ही राह दिखाते हैं और समस्याओं से पार होना सिखाते हैं।आशावादी रवैया और धैर्य समस्याओं का हल निकालता है। दूसरी कहानी "लक्ष्मी" पहली कहानी के उल्ट बहू द्वारा सास को उसके घर में पुनर्स्थान की है वो भी शान्ति और सौहार्दपूर्ण तरीके से। आशा है पुस्तक की दोनों कहानियाँ पाठकों को पसंद आयेंगी। पुस्तक निःशुल्क रखी गयी थी ताकि ज्यादा से ज्यादा साथी पढ सकें पर कुछ ज्यादा समीक्षायें नहीं दिखीं।
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