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"लक्ष्मी"भाग-8

25 नवम्बर 2021

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       आपने लक्ष्मी के पिछले भाग नहीं पढ़े तो पहिले उन्हें पढ़ें तभी कहानी का मूल भाव समझ आयेगा।

 पिछले भागों में आपने पढ़ा कि नवविवाहिता लक्ष्मी को पता लगता है कि उसकी सास कोई और है और जिसे वह अपनी सास समझती थी वह पवन की दूसरी मां हैवह इस बारे में पवन से बात करती है
अब आगे.....
       "लक्ष्मी अभी तुम्हें घर का माहौल नहीं पता। छोटी मां इस घर की मालकिन हैं। उन्हें जो सही लगता है वही इस घर में होता हैहम उनके आगे नहीं बोल सकते... " लाचारी भरे स्वर में पवन बोला
   पर तुम स्वयं फैक्ट्री संभालते हो,क्या कभी घर में यह कहा कि तुम अपनी मां को साथ रखना चाहते होघर के बड़े बेटे को इतना अधिकार तो घर में होगा... "रोष व्यक्त करते हुए लक्ष्मी ने कहा
     नहीं,फैक्ट्री पापा के नाम है।यह घर भी सीमा मां का है। सीमा मां ने ही बचपन से हमारा ख्याल रखा है यहां तक कि हम तीनों भाई-बहनों को मां का प्यार भी दिया, हम उन्हें कैसे नाराज कर सकते हैं.. ?
पापा जी भी नाराज हो जाएंगे, फिर मम्मी भी तो पागलों के जैसे रहतीं हैं... पवन ने अपनी मजबूरी के साथ अपनी सोच भी लक्ष्मी के सामने रख दी।
      लेकिन वो तुम्हारी सगी मां हैं पवन और उनकी इस हालत का जिम्मेवार कौन है,क्या तुम नहीं जानते.. ?लक्ष्मी ने पवन को हैरानी से देखते हुये कहा
    पर मेरे हाथ में क्या है,उनकी देखभाल के चक्कर में कहीं छोटी मां और पापा नाराज हो गये तो कहीं मेरा और उनका दोनों का अहितहो जाए... ?
पवन ने अन्दर का डर पत्नी के सामने जाहिर कर दिया।
    "ये अहित अब नहीं होगा पवन।",लक्ष्मी सोचते हुए बोली
कैसे.....? पवन उसके मुख की ओर प्रश्नवाचक मुद्रा में देख रहा था।
मैं इस घर में बहु बनकर आई हूं। सब कुछ संभाल लुंगी और किसी को भी नाराज होने का अवसर नहीं दुंगी, साथ ही मम्मी भी ठीक हो जायेंगीबस मुझे तुम्हारे साथ और सहायता की आवश्यकता है.. लक्ष्मी ने पवन को आश्वस्त करते हुए कहा
लेकिन..... पवन ने कुछ बोलना चाहा।
लेकिन, किन्तु,परन्तु..... .ये सब छोड़ दो।बस एक बात ध्यान रखो कि हमें मां को फिर से परिवार में उनका स्थान दिलाना है और उसके लिए उनका पूर्णतः ठीक होना जरूरी है।
   मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं। सब कुछ अगर पहले जैसा हो जाय तो सबसे ज्यादा खुश मैं होऊंगा और जीवन भर तुम्हारा अहसान मानूंगा।पर सब कुछ सोच-समझकर करनाकोई भी एक ग़लत कदम हमारी मुश्किलें बढ़ा सकता है... पवन कुछ उम्मीद और चेतावनी के से स्वर में बोला।
   तुम चिन्ता मत करो और जो मैं कहती हूं ध्यान से सुनो। लक्ष्मी पवन के समीप आ गयी। धीमी आवाज में वह पवन को कुछ समझाने लगी।उसकी बातें पवन को हैरत में डाल रहीं थीं साथ ही उम्मीद भी जगा रही थीं। बीच-बीच में पवन सिर हिला देता और हां,ना कर देता।
"ठीक है न पवन"लक्ष्मी ने सब समझाने के बाद पवन से पूछा।
    तुमने तो सच में कमाल कर दिया। मैंने तो कभी ऐसे सोचा ही नहीं और ना ही कभी हिम्मत हुई।तुम मेरे जीवन में खुशियों की बहार लेकर आई हो।पवन प्रसन्न होते हुये बोला।
    सच....।
     हां...।
    तो कुछ इनाम ...।
     क्या दूं...बताओ।मेरा सब कुछ तो तुम्हारा ही हैजो भी कहोगी और जो मेरे वश में होगा... खुशी से भरी आवाज़ में पवन ने लक्ष्मी का हाथ प्यार से थाम लिया।
बताओ ना..।
तुम्हारा प्यार और विश्वास..।
हुंह..।
रात आधी बीत चुकी थी। पति -पत्नी के बीच का प्रेम इस बीती आधी रात में प्रगाढ़ हो चुका था
मन और आत्मा का मिलन ही सच्चे गृहस्थ जीवन की नींव है ,जिस पर आने वाली ज़िन्दगी टिकी होती है

क्रमशः


प्रीति शर्मा" पूर्णिमा"


Jyoti

Jyoti

👍

21 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बढिया है 👌

8 दिसम्बर 2021

Jagrit Vats

Jagrit Vats

बहुत सुन्दर रचना 🙏👌👌👌

29 नवम्बर 2021

Jagrit Vats

Jagrit Vats

बहुत सुन्दर रचना 🙏🙏👌👌

29 नवम्बर 2021

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रचनाएँ
"ससुराल रूपी पिंजरा "
4.8
मेरी यह पुस्तक नारी जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में दो कहानियां हैं। "ससुराल रूपी पिंजरा "जिसमें शादी के बाद आनेवाली बहुत सी समस्याओं में से एक कहानी का विषय है। लड़कियों के जीवन में विवाह के बाद आये बदलाव और सामंजस्य बिठाने को लेकर लिखी गयी यह कहानी भारतीय मूल्यों को बरकरार रखते हुए लिखी गयी है, जहां लडकियों का संयम और समझदारी ही राह दिखाते हैं और समस्याओं से पार होना सिखाते हैं।आशावादी रवैया और धैर्य समस्याओं का हल निकालता है। दूसरी कहानी "लक्ष्मी" पहली कहानी के उल्ट बहू द्वारा सास को उसके घर में पुनर्स्थान की है वो भी शान्ति और सौहार्दपूर्ण तरीके से। आशा है पुस्तक की दोनों कहानियाँ पाठकों को पसंद आयेंगी। पुस्तक निःशुल्क रखी गयी थी ताकि ज्यादा से ज्यादा साथी पढ सकें पर कुछ ज्यादा समीक्षायें नहीं दिखीं।
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"लक्ष्मी "भाग-3

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"लक्ष्मी "भाग-5

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"लक्ष्मी"भाग-13

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