भाग-1
घर में सुबह से बहुत चहल-पहल थी ऐसा लगता था जैसे कोई त्यौहार मनाने की तैयारी चल रही हो।सभी सदस्य अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार काम में लगे हुए थे।कोई घर की सफाई कोई बाजार का काम तो कोई किसी में और काम में ऐसा लग रहा था जैसे घर में कोई बहुत बड़ा फेरबदल हो रहा है।
पूनम कॉलेज से जब लौट कर आई तो उसे ऐसा लगा जैसे कोई पार्टी की तैयारी चल रही हो।किताबें रखकर वह किचन में गई और मां से पूछने लगी,
"मां आज घर में क्या हो रहा है?
कुछ खास तैयारी है,कोई आ रहा है क्या... ?"
मां ने उसे प्यार भरी नजरों से देखा,उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली," हां.. तुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं।"
"क्या.... ???" उनके मुंह से आवाज निकली।
इतनी जल्दी क्या है मां... अभी तो मेरी ग्रेजुएशन भी नहीं हुई।"
" हां बेटे, एक अच्छा रिश्ता है तेरे लिए।तेरे पापा के ऑफिस के कोई अफसर हैं,उन्होंने अपने बेटे के लिए तेरा हाथ मांगा है।" मां ने बड़े उत्साहित स्वर में उसे कहा।
"लेकिन... अभी मेरी पढ़ाई ही पूरी नहीं हुई,अभी शादी की क्या जल्दी है.. ?
मैं अपने पैरों पर खड़े होना चाहती हूं ।"
मां शायद इस रिश्ते से बहुत खुश थी।"
बहुत बड़ा घर है। बहुत पैसे वाले लोग हैं। तू बहुत खुश रहेगी पूनम।"
पूनम की समझ नहीं आया कि मां को कैसे समझाए??
वह बाहर आई ड्राइंग रूम में पापा के पास पहुंच गई
" पापा यह सब क्या सुन रही हूं मैं??
आपने मेरी शादी के लिए सोच लिया,अभी से।"
पापा का चेहरा भी खुशी से दमक रहा था।मानो कोई मन मांगी मुराद मिल गई हो।
" हां बेटा मैंने भी सोचा था कि तुम पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी होओगी, तब शादी करूंगा लेकिन यह रिश्ता इतना अच्छा है और खुद चलकर हमारे घर आया है, तो मैं इससे इनकार नहीं कर पाया।अपनी बेटी का अच्छा कौन नहीं चाहता?
जब तेरे किस्मत के द्वार खुल रहे हैं तो मैं खुद कैसे बंद कर दूं ?"
मां-बाप दोनों की बातें सुनकर और उनका उत्साह देख कर पूनम चुप कर गई।आखिर उसे मां-बाप की इच्छा का मान रख उनकी बात तो माननी ही थी।
शाम को लड़के वाले आए उसकी खूबसूरती देख सब ने तुरंत हां कर दी यहां तक कि पंडित जी को बुला शादी की तारीख भी निकलवाने लगे।
पूनम के मन में बड़ी दुविधा थी।वह अपने मन की बात कहना चाहती थी लेकिन मां-बाप का ध्यान रख संकोच बस कह नहीं पा रही थी।तभी लड़के की मां ने पूछ लिया,
"बेटी तुम्हें कुछ कहना है?"
जैसे पूनम इसी मौके की तलाश में थी।
"हां जी... आंटीजी ,मैं चाहती थी कि मेरे फाइनल के पेपर देने के बाद ही शादी हो तो ..." उसने मां बाप की ओर देखते हुए बात अधूरी छोड़ दी।
एक बार तो सभी चुप हो गए।
उसके मां-बाप ने बात संभाली" दरअसल,जी दो महीने की बात है।इसका बड़ा मन था आगे कुछ करने का लेकिन आप लोगों के रिश्ते के लिए मना नहीं कर सके।अगर आप लोग दो महीने तक रुक जाएं... "
उसके पिता ने भी उनके आगे हाथ जोड़ते हुए कहा।
इसकी ग्रेजुएशन पूरी हो जाएगी फिर तो इसे घर में ही रहना है।
लड़के ने गहरी नजर से पूनम की तरफ देखा।उसके मां-बाप ने आंखों ही आंखों में इशारा किया और कहा,
" वैसे तो हमें इसकी कोई आवश्यकता महशूस नहीं होती।हमें कोई नौकरी तो करानी नहीं लेकिन यह चाहे तो शादी के बाद भी परीक्षा दे सकती है।"
इधर किस्मत ने कुछ साथ दिया और शादी की तारीख ही दो महीने बाद की निकली।पूनम ने जैसे राहत की सांस ली।चलो कम से कम बी. ए. तो पूरी हो जाएगी। बाकी शादी के बाद देखेंगे।
उनके मां बाप ने अपनी हैसियत से ज्यादा शादी का इंतजाम किया।लड़के वालों की हर ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश की।पूनम ने कई बार ऐसा करने पर रोकने के लिए सोचा भी लेकिन मां-बाप के उत्साह को देखते हुए वह चुप रही।जब भी वह कुछ कहती दोनों कह देते, "हमारी बेटी हो,अच्छे से अपने घर चले जाओगी, सुखी रहोगी, हमें और क्या चाहिए।तेरा छोटा भाई ही तो है तो उसके लिए मेरी पे ही काफी है।"
शादी होकर पूनम ससुराल पहुंची।बहुत ही राजसी वैभव से सजा संवरा बड़ा सा बंगला था।बहुत से रीति-रिवाज निभाते हुए दो दिन बीत गये।
शादी के दो दिन बाद बहुत बड़ा रिसेप्शन उसके ससुराल वालों ने किया लेकिन उसे यह जानकर बड़ा दुख हुआ कि उसके मां-बाप को वहां बुलाया नहीं गया था।अंदर ही अंदर उसने अपने को बड़ा दुःखी महसूस किया और अपने पति नितिन से इस बारे में बात की।
क्या आपने पापा को मैसेज नहीं किया?
नितिन ने एक बार उसको गहरी निगाह से देखा और कहा, शायद मम्मी पापा ने किया होगा, मुझे पता नहीं। तुम इस बात को छोड़ो और रिसेप्शन के लिए तैयार होने ब्यूटी पार्लर चली जाओ गाड़ी में।अच्छे से तैयार होकर आना,तुम्हें बहुत खूबसूरत दिखना है आज।
अभी वह कुछ और पूछती उससे पहले ही सासु मां आ गई और एक पैकेट उसके हाथ में थमा दिया।ये कपड़े पहनने हैं और ये सेट।
नितिन कमरे से बाहर चला गया था तो उसने अपनी सासु से भी पूछ लिया, मम्मी जी एक बात पूछनी थी।
हां, हां पूछो...
"आपने मम्मी-पापा को नहीं बताया क्या रिसेप्शन के बारे में?"
उसने सोचा भी नहीं था कि उसकी सासु मां ऐसा ज़बाब देगी।
"यह हमारे अपने घर का फंग्शन है और यहां बहुत बड़े-बड़े लोग आएंगे,वहां उनका कोई काम नहीं।"
पूनम अपनी सासुमां की बात सुनकर अवाक् रह गई।उसे समझ नहीं आया,वह कैसे प्रतिक्रिया दे?
" चलो अब गाड़ी तैयार है।तैयार होने के लिए जाओ। शाम को तुम्हें बहुत खूबसूरत लगना है।सभी मेहमान तुम्हारी तारीफ करें और तुम्हारी सुंदरता में खो जाएं।तुम्हारे घर के बारे में पूछना ही भूल जायें।"
अपने परिवार वालों के बारे में ससुराल वालों के ख़यालात सुन पूनम को एक जोर का धक्का लगा।
बड़े बड़े लोगों से उसे मिलवाया जा रहा था।पूनम बाहर से तो मुस्कुरा रही थी सबसे नमस्ते कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर उसका दिल रो रहा था।शादी होते ही उसके ससुराल वालों का व्यवहार उसके मायके वालों के प्रति एकदम से कैसे बदल गया।
खैर जैसे-तैसे पार्टी समाप्त हुई और पूनम अपने कमरे में थकी हुई निढाल कपड़े उतारने लगी।तन से ज्यादा वह मन से थक गई थी तभी वहां नितिन आ गया और उसने आते ही उसको बाहों में जकड़ लिया।
आज बहुत सुंदर लग रही हो बिल्कुल परी... ।उसके मुंह से शराब की गंध आ रही थी।पूनम को उबकाई आने लगी।
"यह क्या आप शराब पीते हैं ??" पूनम ने घबराकर पूछा।
नितिन हंसते हुए उसे खींचने लगा, "हां इसमें क्या है?
सभी बड़े लोग पीते हैं पार्टियों में.... ।"
"लेकिन आपने शादी से पहले तो यह नहीं बताया था?"
लो इसमें बताने वाली क्या बात है,बड़े घरों में सभी पीते हैं। हां.. लेकिन तुम क्या जानो, तुम कभी बड़े लोगों में बैठी नहीं ना... ।
नितिन ने बड़ी सहजता से कहा और यह बात उनके दिल को तीर सी चुभी।उसे समझ आ गया कि जैसा वह या उसके घरवाले समझ रही थे,उसके ससुराल वाले और वहां का माहौल वैसा नहीं है।शायद वह गलत जगह आ चुकी है।क्या वह मां पापा को बताये? नहीं ... उन्हें बहुत बुरा लगेगा।वह धैर्य से काम लेगी।पहले खुद परिस्थितियों को देखेगी।
नितिन निढाल ऐसे ही सो चुका था और पूनम की सारी रात करबटें बदलते हुए बीती।
क्रमशः
आगे ससुराल में क्या होगा पूनम के साथ
जानने को पढ़िये अगला भाग....
🙏🙏🙏🙏
प्रीति शर्मा" पूर्णिमा"
18/10/2021