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"पिंजरे में बन्द"

20 अक्टूबर 2021

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अभी तक आपने पढ़ा--- 

  दो दिन बाद ही उसे एहसास हो गया कि उसके ससुराल वाले वैसे नहीं है जैसे कि उसके पिता ने समझा था। ससुराल में हुई रिसेप्शन में उन्होंने उसके मायके वालों को इनवाइट ही नहीं किया था और पूछने पर उपेक्षा भरा जवाब पूनम को दिया गया। तभी उसे पता लगा कि उसका पति शराब पीता है। ससुराल की हकीकत जान कर पूनम चिंता में पड़ गई। पूनम को सास और पति की बातें सुनकर धक्का लगा। सोच से विपरीत ससुराल वालों का दूसरा ही रूप देखने को मिला। अहंकारी पैसे वाले जिन्हें गरीब रिश्तेदारों से सम्बन्ध रखने में कोई रुचि नहीं थी और सुन्दर बहु उनके लिए सभा सोसाइटी में एक सजावटी वस्तु के जैसे थी।  

अब आगे....

   पूनम की शादी को महीना हो गया था। दस दिन के लिए उसे नितिन के साथ हनीमून के लिए पहाड़ पर भेज दिया गया था। उसके बाद जब उसके पापा उसे लेने आये तो बहाना बनाकर वापिस भेज दिया कि अभी उनके यहां आना-जाना लगा हुआ और वह इन सब से फ्री होकर उसे स्वयं ही भेज देंगे लेकिन वो दिन अभी तक नहीं आया था।  

  एक दिन बड़ी हिम्मत कर उसने नितिन से कहा तो उसने मां से पूछ लो... कहकर टाल दिया और ऑफिस चला गया।

पूनम ने फिर अपनी सासु मां से पूछ ही लिया।

"शाम को नितिन मिला लायेगा। " कहकर सासु मां ने उसे थोड़ी सी राहत दी।

          शाम को बड़ी सी गाड़ी में फलों के टोकरे और मिठाइयों के डिब्बों के साथ गहनों से लदी जब वह मायके पहुंची तो सभी उसे देख निहाल हो गये। मां के गले लग पूनम के आंसू जो जाने कब के पलकों में रुके थे, झरझर बहने लगे।

सभी ने इसे उसका प्यार समझा शादी के महीने बाद पहली बार जो आई थी तो भावुक होना लाजिमी था। मां उससे ससुराल की बातें पूछने लगी।

    मां बाप का उत्साह देख अपने मन की पीड़ा वह मन में ही दबा गयी।

आखिर बताती भी क्या...?

कि उसके ससुराल वाले मायके वालों को कुछ नहीं समझते। पति शराब पीता है। घर में तो सब यही समझेंगे कि बड़े लोगों में अपने बड़प्पन का गुमान तो होता ही है।   

  सब ठीक है... कह उसने ठंडी सांस ली। सुंदर कपड़े, मेकअप और गहनों की चमक ने उसके हार्दिक दुःख, चेहरे की उदासी को ढक दिया।

लेकिन दिमाग कहता कि बताना चाहिए... ससुराल की हकीकत मां बाप को बताये... ना बताए, इसी कशमकश में थी कि मां का ये कहना कि उसकी बेटी ससुराल में सुखी है.., यह देखकर वह बहुत प्रसन्न हैं, दामाद भी कितना हंसमुख है, पूनम ने अपने आप को रोक दिया।

        उसने मां से कहा" मां में यहां रुकना चाहती हूं। दो-चार दिन आपके साथ रहकर चली जाऊंगी। आप नितिन को कहो ना।

मां ने लाड़ से उसके सिर पर हाथ फेरा।

  "ठीक है मैं भी चाहती हूं कि दो-चार दिन हमारे साथ रह जाए फिर तो अपनी गृहस्थी में फंस जाएगी। "

       पूनम मन ही मन सोच रही थी सोने के पिंजरे से कुछ दिन के लिए शायद उसे राहत मिल जाए और वह फिर से अपने मां-बाप परिवार के साथ पुरानी मनमानी जिंदगी कुछ दिन फिर जी ले क्योंकि अब ससुराल रूपी पिंजरा उसका भविष्य था और मां बाप को सच्चाई बता कर अपने दुःख से दुःखी करने का उसका मन न था।

  डिनर करते हुए मां ने जतिन से उसे कुछ दिन छोड़ जाने के लिए कहा तो नितिन एकदम से तेज आवाज में ना कर बैठा।

नहीं .. नहीं यह कैसे रुक सकती है?"

   फिर सबको अपनी ओर आश्चर्य से देखते हुए देख, उसने अपने स्वर को संभाला।

" मेरा मतलब ..मां ने साथ ही लाने को कहा था। मां से कह कर नहीं आए हैं। अब इसके बिना घर में कोई काम नहीं होता। मां ने तो सब इसी को सौंफ दिया है। "

    नितिन की बात सुनकर सबका उत्साह ठंडा हो गया लेकिन उसके मां-बाप यह जानकर कि उसका अपने ससुराल में कितना महत्व है, उसे वहां कितना चाहते हैं, सभी खुश हो गए।

            पूनम समझ गई कि नितिन जान-बूझकर उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता। उन सभी की असलियत अपने मायके में ना बता दे।  

  उसने अनुभव किया कि वह अपने ससुराल वालों के लिए पालतू पक्षी की तरह है जिसे सिर्फ अपने शौक के लिए पाला जाता है सभी को दिखाने के लिए। वह नितिन के साथ ही मात्र चार-पांच घंटे मायके में बिता कर वापस ससुराल रूपी पिंजरे में चली गई।   

          जी हां! पूनम के लिए उसकी ससुराल, पिंजरा ही थी जहां उसे खाने-पीने, पहनने ओढ़ने को सुख -सुविधायें तो मिलेगी लेकिन अपने मन का करने की आजादी नहीं... अपनों से, अपने परिवार से मिलने की आजादी नहीं... । अपनों को दुःख ना हों, वे खुश रहें उनका भरम बना रहे। चाहे वह पिंजरे में बंद फड़फड़ाये, वह नितिन के साथ वापस सोने के पिंजरे में आ गई।

आगे ससुराल में क्या होगा पूनम के साथ

जानने को पढ़िये अगला भाग.... 

क्रमशः-

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

20/10/2021 

Jyoti

Jyoti

बहुत अच्छा

21 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

सही चेहरा दिखाया है समाज का 🙏🏻🌷🙏🏻

8 दिसम्बर 2021

Purnima

Purnima

बहुत सुन्दर रचना 🙏👌

22 अक्टूबर 2021

Purnima

Purnima

सुन्दर कहानी 👌👌🌹🌹

22 अक्टूबर 2021

Jagrit Vats

Jagrit Vats

Beautiful 💐💐💐💐

21 अक्टूबर 2021

21 अक्टूबर 2021

Subhash Sharma

Subhash Sharma

Nice written 👌👌🙏🙏

21 अक्टूबर 2021

आशा झा सखी

आशा झा सखी

कटु सत्य समाज का

20 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
"ससुराल रूपी पिंजरा "
4.8
मेरी यह पुस्तक नारी जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में दो कहानियां हैं। "ससुराल रूपी पिंजरा "जिसमें शादी के बाद आनेवाली बहुत सी समस्याओं में से एक कहानी का विषय है। लड़कियों के जीवन में विवाह के बाद आये बदलाव और सामंजस्य बिठाने को लेकर लिखी गयी यह कहानी भारतीय मूल्यों को बरकरार रखते हुए लिखी गयी है, जहां लडकियों का संयम और समझदारी ही राह दिखाते हैं और समस्याओं से पार होना सिखाते हैं।आशावादी रवैया और धैर्य समस्याओं का हल निकालता है। दूसरी कहानी "लक्ष्मी" पहली कहानी के उल्ट बहू द्वारा सास को उसके घर में पुनर्स्थान की है वो भी शान्ति और सौहार्दपूर्ण तरीके से। आशा है पुस्तक की दोनों कहानियाँ पाठकों को पसंद आयेंगी। पुस्तक निःशुल्क रखी गयी थी ताकि ज्यादा से ज्यादा साथी पढ सकें पर कुछ ज्यादा समीक्षायें नहीं दिखीं।
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भाग-1"शादी और ससुराल की हकीकत"

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"लक्ष्मी "भाग-3

20 नवम्बर 2021
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"लक्ष्मी "भाग-5

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"लक्ष्मी"भाग-6

23 नवम्बर 2021
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26 नवम्बर 2021
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"लक्ष्मी "भाग-10

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29 नवम्बर 2021
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"लक्ष्मी"भाग-13

30 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr"><b> अभी </b><b>तक</b><b> </b><b>आपने</b><b> </b><b

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