दुनिया के हाँ कहने से क्या होता है, गर वो हाँ कहे तो फिर कोई बात हो।
भाषाओँ के बारे में एक बात प्रचलित है कि जिन भाषाओँ में समय सापेक्ष परिवर्तन नहीं हुआ वे भाषाएं या
मित्रो , हम हिन्दू वास्तव में भावनापूर्ण मूर्ख ( emotional fools) ही रहे हैं ।
एक लड़की अपनी कार से बड़ी तेजी से जा रही थी। तभी रास्ते में देखती है कोई लड़का घायल पड़ा हु
प्रकृति को आज परेशा हमने देखा है...
जो कल पेड लगा गए थे उन्हें काट
लोकतन्त्र में जायज कुछ चीजें ऐसी हैं कि कब उनका रूप नाजायज़ हो जाये कुछ कह नहीं सकते । एक है किसी मांग को लेकर आंदोलन और जुलूस। नहीं कह सकते कि कब ये हिंसक और विध्वंसकारी हो जाये । कुछ नारे कनफ्यूज करते हैं ,और डराते भी हैं । उनमें एक है "हमें चाहिये आज़ादी"। बड़े संघर्ष और बलिदानों के बाद तो देश को आज़
बढ़ ही रहा है ---------------------------- यह खूंखार मंजर ----------------------------------- साल गुज़रते रहे ======तरसते रहें हम "अच्छे दिनों " को और " सबका विकास " से !!!!!!!???????? RSS को हिन्दुओं की नहीं बल्कि हिंदुत्व की चिंता सता रही है. यह आडम्बर किस लिए ????!!!!!!
मैं किसी राजनीति क पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं हूँ फिर भी राजनैतिकऔर राजअनैतिक गतिविधियों से प्रभावित तो होता ही हूँ । जब श्री अरविंद केजरीवाल राजनीति में आये और ए ए पी बनायी मुझे लगा देश में वाकई क्रांति आने वाली है । इसका शुरुआती अच्छा असर ये हुआ था कि सारे राजनीतिक दल