वादे रहे।
दर्दे दिल की दवा देंगे।
चुनाव आने से पहले हवा देंगे।
नौकरी देंगे, लैपटॉप मोबाईल देंगे।
किसानों का साथ देंगे, फसल का रेट देंगे।
वोट लेने के बाद, गली मुहल्ले से मुंह मोड़ लेंगे।
याद कर हमें तड़पोगे पाँच साल, गाय गोरु हाँकते हुए।
इसे पिरामिड़ न समझो यारों।
आने वाले समय मे, चुनाव का माहोल बदल देंगे।
हमी ने दर्द दिया, हमी दवा देंगे, यह सोच समझकर।
पोलिंग बूथ पर जाकर, निःसकोच बटन दबा देंगे।
तुम फिर आओगे, जले में नमक छिड़कने के लिए।
मरहम न मिलेगा, घाव भरने के लिए, तड़पेंगे फिर एक बार चकोर और पपीहा की तरह। न सुनेगा कोई फिर अज़नबी मुसाफ़िर की तरह।
ओमिक्रोन का दबाव है, चुनाव का माहोल है। वायरस के लपेटे में राजनेता है।