वृंदावन का एक साधू अयोध्या की गलियों में राधे कृष्ण - राधे कृष्ण जप रहा था । अयोध्या का एक साधू वहां से गुजरा तो राधे कृष्ण राधे कृष्ण सुनकर उस साधू को बोला - अरे जपना ही है तो सीता राम जपो, क्या उस
प्रकृति मे विभिन्न रंग होते है।कभी सुखद कभी दुखद।जबप्रक्रिति अपने संतुलन को बचाने के लिए रोद्र् रूप धारण करत है तो उसे प्रकृतिक् आपदा कहते है।मानव् इससे बचने के लिए अनेक उपक्रम करता है पर अंत मे जीत प
मीराबाई की जीवनी... पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो।बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो।सत की नाव खेवहि
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, ... मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे |
रिस्तो को कैसे प्राप्त करे? # कैसे उन मे मधुरता लेके आये ? एक गाँव में एक बूढ़ी माई काकी रहती थी । काकी का आगे – पीछे कोई नहीं था इसलिए बूढ़ी काकी बिचारी अकेली रहती थी । एक दिन उस गाँव में एक संत आए
भजन – दीनानाथ मेरी बात छानी कोणी तेरे से लिरिक्स दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से || खाटू वाले श्याम तेरी, शरण में आ गयो, श्याम प्रभु रूप तेरो,
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व, जन जन रहा मनाय। वृंदावन धूमे मची, मात तात मुस्काय।। मात तात मुस्काय, जन जन है रहा रिझाय। माखन मटकी फोड़, मोहना चोर कहलाय।। झांकी सज रही है, ख
कान्हा ने बांसुरी बजाई।राधिका भी भागती आई।।ग्वाल बाल संग धेनु चरावे।वन उपवन भी घुलमिल जावे।।मोर मुकुट पीताम्बर धारी।देख देख जग बलिहारी।।कहे यशोदा नंद के लाला।श्याम सलोना वो है
प्यारी काव्यांक्षी कैसी हो सखी। तुमसे मुलाकात का समय ही नहीं मिल पा रहा प्यारी मैं भी क्या करू एक ये त्यौहार और ज्वाइन फैमिली कितना काम हो जाता तुमसे थोड़
❤️मेरे छूटू से नन्हू से लड्डू गोपाल🌹🌹दिनभर लोगों को करते रहते परेशान❤️❤️ये करते है माखन की चोरी🌹🌹पर लोगो की हो जाती है रैन की चोरी❤️❤️उनके श्याम रंग की है दुनियाँ दिवानी🌹🌹उनके नैयनों की है राधा
बालपन में हीं राक्षसों का नाश करके ,असुरों का बन गया था काल ,करता चोरी माखन की , ऐसा था नटखट श्याम ।गोपियों के संग रास रचाए , शाखाओं के संग गाय चराए, राधा को दिल से चाहे , ऐसे
दिलरुबा दिनांक 19/8/22 दिन-शुक्रवार प्यारे साथियों मेरी और दिलरुबा की तरफ़ से जन्माष्टमी की आपको ढेरों शुभकामनाएं और बधाइयां,,,,। प्यारी दिलरुबा आज जन्माष्टमी है,, श्री कृष्ण जी से जुड़े हजारों प्रेरक
जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में आज के दिन भगवान श्री कृष्ण के जीवन की घटनाओं को स्मरण करना भी बड़े पुण्य की बात है ।औरते इस दिन व्रत रखती है ।हमे ये आज तक समझ नही आया। भाई भगवान जन्म लेने वाले है उस समय तो
मनमोहक रूप निराला,वो ऐसा मुरलीवाला,मुरली की धुन पर जिसकी,दौड़ी दौड़ी आये बृजवाला,वो ऐसा मुरलीवाला...यशोमति मैया का राज दुलारा,और कहलाये वो नंदलाला,खेल-खेल में उसने,विषधर को नथ डाला,वो ऐसा मुरलीवाला...नि
आयो नंद घर ललना, ब्रज में मची खुशहाली। घर घर दीप जल रहे, बजा रहे हैं थाली।। बगिया में फूल खिल रहे, सीचें बगिया का माली। धरती अंबर झूम रहा, धरा पे छाई हरियाली।। पत्त
स्वागतम कृष्णा आओ गिरधर गोपाल मुरलीधर नंद लाल तुम्हारी याद आई है । तुम्हारी याद आई है । तरस गए नयन दरस को एक आस लगाई है आओ गिरधर गोपाल मुरलीधर नंद लाल तुम्हारी याद आई है । तुम्हारी याद आई है बहुत कि
कृष्णा एक बार फिर आ,अपनी बाँसुरी से प्रेम धुन बजा। निश्चल प्रेम जिसे हम भूल चुके हैं,सब मैं के स्वार्थ में ही फंसे है।।जन्म से ही कौतुक दिखाना,सबसे अपनी पहचान छिपाना।क्या पूतना क्या कंस, सबको सबक
डायरी दिनांक १९/०८/२०२२ सुबह के आठ बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं । माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण आज से ५१३४ वर्ष पूर्व धरा पर अवतरित हुए थे। प्रत्येक कल्प के आठवें मन्वंतर जिसे वैवस्वत मन्वंतर
पूरे श्री कृष्ण ही अपने आप में है प्रेरक,क्या गिनवाने जाओ में पामर उनकी खूबी,भगवान थे पर इंसान के जैसे है सामन्य,इसलिए तो हुवे जग में वो सबको मान्य।
आज उनका निवास कृष्णमय है क्योंकि आज जन्माष्टमी है हर जन्माष्टमी में वे अदभुद साधना करते हैं वे सारा दिन श्री कृष्ण कीर्तन में डूबे रहते हैं और उनकी लीला की बातें करते रहते हैं।आज उनके साथ कीर्तन में .