डियर काव्यांक्षी
Good morning 🌞☕☕😘😊 कैसी हो, आ गई तुमसे गपशप करने ,काव्यांक्षी एक बात बताओ
हम रिश्तों ने बंध तो जाते है , पर खुश क्यों नहीं रह पाते,
क्यों वक्त के साथ रिश्ता प्रगाढ़ होने के बजाय कमज़ोर होने लगता है, काव्यांक्षी पता नहीं क्यों मुझे एक बात समझ नहीं आती जन्म के रिश्ते टूटते नहीं है, तो रस्मों से बंधे रिश्ते क्यों टूट जाते है, अगर बेटी या बेटा गलती करे तो उसे ना रिश्ता तोड़ते है ना घर छोड़ने को बोलते है , वहीं बहू गलती कर दे तो घर वाले रिश्ता भी तोड़ देते है , ओर सात जन्मो के लिए जुड़ा रिश्ता तलाक से टूट भी जाता है, इस रिश्ते का अंजाम क्यों है जब दूसरे रिश्ते कभी नहीं टूटते चाहे साथ रहे ना रहे कहीं भी रहे ।
काव्यांक्षी खैर मै कुछ और बात करने लग गई , अच्छा ये रस्मो से जुड़े बंधन में अक्सर खुशी कहीं गुम सी हो जाती है ऐसा क्यों , ओह सही कह रही हो तुम काव्यांक्षी जब रिश्तों मे प्यार अपनेपन की जगह अपेक्षाएं ले लेती है तो प्यार को खुशी को गुम होना ही है ,
आमतौर पर अग्नि के फेरों की साक्षी में, प्रगाढ़ प्रेम में या दूसरी किसी न किसी औपचारिक रस्मों में बंध जाने के बाद हम अपने जीवनसाथी से क्या कुछ अपेक्षाएं रखते हैं और क्या कुछ पूरी हो पाती हैं ऐसे में कुछ लोग हालत को समझकर कोशिशें करते है रिश्तों को बेहतर बनाने की ओर कुछ
शिकायतों में जीवन बिताते है कुछ नियति समझ कर समझौता कर लेते है कुछ रिश्ते को खत्म कर देते है।
काव्यांक्षी क्या सच में रिश्ते बनकर टूट जाते है
या अपनी मर्जी से सात जन्मों के नाम देते है,
काव्यांक्षी पता नहीं या तो मतलब के हिसाब से रिश्तों की भी परिभाषा बदलती रहती है या लोग अपने हिसाब से रिश्तों को बदलते है
मैं तो इतना ही कहूंगी काव्यांक्षी बदलने के लिए ईश्वर ने मौसम ओर हालत बनाए जरूरत के हिसाब से रिश्ते ना बदले अच्छा काव्यांक्षी यही विराम देते है अपनी बातों को
वो क्या है ना हमारी बाते तो खत्म होनी नहीं है कभी
अपना ख्याल रखना काव्यांक्षी लव यू बहुत सारा 😘😘😘😘💓💓💓💓💓💓💓🌺
रस्मों से ना रिश्ते की ना कायम करो परिभाषा
रिश्ते दिल से जुड़े तो मिले ना कभी निराशा
एक निभाए एक तोड़े
रब ने इसलिए तो रिश्ते नहीं जोड़े
बिना रस्मो मे बंधे एक है राधा ओर श्याम
रस्मों मे बंधकर भी साथ ना राह पाए सीता ओर राम
काव्या💓