हैलो काव्यांक्षी
आज तुमसे प्रेम के बारे में बात करनी आई हू, प्रेम किसी लड़के का नाम नहीं है तुम भी ना काव्यांक्षी कुछ भी सोचती हो, हां तो प्रेम ,प्यार, इश्क, मुहब्बत क्या इसका मतलब तुम्हे पता है काव्यांक्षी
अच्छा बाबा मानती हू तुम्हे पता है और होगा भी क्यों नहीं तुम तो सबकी सखी हो सभी तो तुमसे अपने मन के भाव साझा करते है तुम्हे तो पता होगा ही
जरा मुझे भी तो समझा दो ना काव्यांक्षी
सच्ची बड़ी उलझन है सच्चे प्रेम को परिभाषित करना और शब्दो में ढालना या किसी को समझाना
या किसी के प्रेम को समझना यार काव्यांक्षी अब तुम उलझन बढ़ा नहीं देना ।
सच्चे प्यार की परिभाषा क्या है, सच्चा प्यार क्या है, प्यार का सही अर्थ, सच्चे प्यार की पहचान, सच्चे प्यार के मायने प्यार वो एहसास है जो किसी से भी कभी भी हो सकता प्यार के लिए ना रस्मो के बंधन जरूरी है, ना अलग रहने से दूरी है प्यार मे तो दिल से चाहत मन की मंजूरी है जरूरी है , जब बेवजह याद आए , किसी के बिना एक लम्हा भी दिल आराम ना पाए, कोई दिल में इस क़दर बस जाए, रूह के हर जर्रे में मौजूदगी का एहसास छोड़ जाए,प्रकृति के कण-कण में प्रेम समाया है प्रेम के सभी के लिए अलग अलग मायने है संगीतकार के लिए संगीत प्रेम कलाकार के लिए कला
चित्रकार को रंगो में प्रेम नजर आता, वैसे जिस क्षेत्र में रुचि उसके लिए वही प्रेम,
प्रेम वह शब्द है जिसकी व्याख्या असंभव है पर इसमे जीवन छुपा है ,जीने की चाह छुपी है प्रेम कोई समझौता नहीं है, प्रेम कोई बंधन नहीं है, प्रेम तो एक बहाव है जो दिल से निकल कर बहता है. प्रेम एक ऐसी नदी है जो कभी समाप्त नहीं होती
आजकल आकर्षण को प्रेम का नाम देकर प्रेम के मायने ही बदल दिए ,आज प्रेम नजरो से शुरु होकर बातों के जरिए बिस्तर तक खत्म भी ही जाता है और फिर किसी और प्रेम हो जाता है , इसी कारण आज प्रेम की नींव कमज़ोर हो गई क्यों किसी प्रेम की चाहत नहीं में बहलाने की हसरत है ऐसे में ना प्रेम समझ आना है ना किसी ने प्रेम कर पाना
अच्छा काव्यांक्षी अब इतना ही क्योंकि प्रेम की परिभाषित करना तो असंभव है ,जितना करो उतना ही कम है ,हो भी क्यों नहीं प्रेम पूरा नहीं होता ,प्रेम ,प्यार मुहब्बत,इश्क सारे शब्द ही अधूरे जो है सही समझी तुम
काव्यांक्षी प्रेम बस किया जा सकता परिभाषित नहीं किया जा सकता
चलती हूं फिर मिलेंगे जल्दी है में मन की उलझन लेकर आखिर तुम्हे ही सुलझानी है मेरी उलझन👉😍🤗💓😙
काव्या