डियर काव्यांक्षी
तुम्हारी ऐसी आदत हो गई की बार बार आ जाती हूं ,तुम भी मेरी सुबह और दोपहर को चाय सी हो गई हो जरूरी सी देखो तो कैसे इतरा रही हो 😁😜
आदत तो तुम्हे भी मेरी हो गई है ना मेरे बक बक की भी है ना जानती हु, तुम भी इंतजार करती हो ना मेरा तभी तो आ जाती ही तुम्हारा याद करना खींच जो लता है मुझे 😘😘💖💖💖🤗🤗🤗🤗🤗💕💕
आज कल रिश्ते भी राजनीति से हो गए काव्यांक्षी मतलब के लिए बनते और टूटते है कहा पहले एक बार रिश्ता जोड़ लिया तो जन्मों जन्म के लिए जुड़ जाते थे और आज देखो जहां ये ही हाल है छोटी छोटी बातो पर तकरार और पल में टूटते रिश्तों के तार
आजकल का तो ये ट्रेंड है जब तक
विचार मिले साथ रहो , जिस दिन महसूस हो की रिश्ते सिर्फ नाम के बिना कोई कोशिश किए रिश्ते को सुधारने की अलग हो जाते है ,फिर क्यों कहते है की रिश्ते अटूट होते है जन्मों जन्म का बंधन है, ताउम्र साथ रहना ही जीवन है आजकल रिश्ता तोड़कर तो दोस्त बनकर रह लेते है पर रिश्तों को सहेजने की कोशिश नहीं करते ,
आजकल के रिश्तों की व्याख्या
ना करे कद्र
रिश्तों में रहा ना सब्र
जब ना मिले विचार
रिश्तों में ना रहे प्यार
ना शिकायत ना करे शिकवा
हो जाते दूर न करे दिखावा
कच्ची सी ये डोर पल में टूट जाती है
सजी सजाई दुनिया पिछे छूट जाती है
आगे बढ़ जाते नई राहों पर यार
रिश्ते है या बन गया ये व्यापार
बस इतना सा अब रह गया कायदा
छोड़ दे साथ
जहां नही हो रिश्तों में फायदा
काव्या