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डियर काव्यांक्षी

27 मार्च 2022

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डियर काव्यांक्षी 
    
       कैसी हो प्यारी, मै भी अच्छी हूं, पता है आज दशा माता व्रत का दिन  है, कहते है आज दशा माता के पूजन से जीवन की बुरी दशा खत्म हो जाती है माताजी की कृपा से जीवन में सुख शांति मिलती है , नही काव्यांक्षी मै ये व्रत नहीं करती क्योंकि मेरे ससुराल में ये व्रत नहीं करते हां मेरी मम्मी करती है व्रत और पूजा जब उनके पास होती हु इस दौरान ये व्रत आता है तो इसकी हर कथा मैं उन्हे पढ़कर सुनाती हू, इस व्रत की कथा और पूजन विधि बड़ी रोचक है काव्यांक्षी, आज से 10 पहले से शुरू हो जाती है ये पूजा हर रोज एक कहानी सुनते है, पर जिन्हे समय की कमी होती है वो आज के दिन यानी दशमी को पूजा कर सारी कहानियां आज ही सुन लेते है
    अच्छा तुम्हे भी ये कथा सुननी है, चलो सुनाती हू 10 तो ज्यादा हो जायेगी इसलिए तुम्हे एक सुनाती हू पर मैं ये कथा पूरी मन से नहीं सुना पाऊंगी क्योंकि थोड़ी बड़ी है ना तो कथा को मै कॉपी पेस्ट करके सुनाती हूं

दशामाता के कोप से बचाएगी यह पौराणिक कथा 


दशामाता व्रत की प्रामाणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में राजा नल और दमयंती रानी सुखपूर्वक राज्य करते थे। उनके दो पु‍त्र थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी और संपन्न थी। एक दिन की बात है कि उस दिन होली दसा थी। एक ब्राह्मणी राजमहल में आई और रानी से कहा- दशा का डोरा ले लो। बीच में दासी बोली- हां रानी साहिबा, आज के दिन सभी सुहागिन महिलाएं दशा माता की पूजन और व्रत करती हैं तथा इस डोरे की पूजा करके गले में बांधती हैं जिससे अपने घर में सुख-समृद्धि आती है। अत: रानी ने ब्राह्मणी से डोरा ले लिया और विधि अनुसार पूजन करके गले में बांध दिया। 

 
कुछ दिनों के बाद राजा नल ने दमयंती के गले में डोरा बंधा हुआ देखा। राजा ने पूछा- इतने सोने के गहने पहनने के बाद भी आपने यह डोरा क्यों पहना? रानी कुछ कहती, इसके पहले ही राजा ने डोरे को तोड़कर जमीन पर फेंक दिया। रानी ने उस डोरे को जमीन से उठा लिया और राजा से कहा- यह तो दशामाता का डोरा था, आपने उनका अपमान करके अच्‍छा नहीं किया। 

 
जब रात्रि में राजा सो रहे थे, तब दशामाता स्वप्न में बुढ़िया के रूप में आई और राजा से कहा- हे राजा, तेरी अच्छी दशा जा रही है और बुरी दशा आ रही है। तूने मेरा अपमान करने अच्‍छा नहीं किया। ऐसा कहकर बुढ़िया (दशा माता) अंतर्ध्यान हो गई। 

अब जैसे-तैसे दिन बीतते गए, वैसे-वैसे कुछ ही दिनों में राजा के ठाठ-बाट, हाथी-घोड़े, लाव-लश्कर, धन-धान्य, सुख-शांति सब कुछ नष्ट होने लगे। अब तो भूखे मरने का समय तक आ गया। एक दिन राजा ने दमयंती से कहा- तुम अपने दोनों बच्चों को लेकर अपने मायके चली जाओ। रानी ने कहा- मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी। जिस प्रकार आप रहेंगे, उसी प्रकार मैं भी आपके साथ रहूंगी। तब राजा ने कहा- अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में चलें। वहां जो भी काम मिल जाएगा, वही काम कर लेंगे। इस प्रकार नल-दमयंती अपने देश को छोड़कर चल दिए।

चलते-चलते रास्ते में भील राजा का महल दिखाई दिया। वहां राजा ने अपने दोनों बच्चों को अमानत के तौर पर छोड़ दिया। आगे चले तो रास्ते में राजा के मित्र का गांव आया। राजा ने रानी से कहा- चलो, हमारे मित्र के घर चलें। मित्र के घर पहुंचने पर उनका खूब आदर-सत्कार हुआ और पकवान बनाकर भोजन कराया। मित्र ने अपने शयन कक्ष में सुलाया। उसी कमरे में मोर की आकृति की खूंटी पर मित्र की पत्नी का हीरों जड़ा कीमती हार टंगा था। मध्यरात्रि में रानी की नींद खुली तो उन्होंने देखा कि वह बेजान खूंटी हार को निगल रही है। यह देखकर रानी ने तुरंत राजा को जगाकर दिखाया और दोनों ने विचार किया कि सुबह होने पर मित्र के पूछने पर क्या जवाब देंगे? अत: यहां से इसी समय चले जाना चाहिए। राजा-रानी दोनों रात्रि को ही वहां से चल दिए।

सुबह होने पर मित्र की पत्नी ने खूंटी पर अपना हार देखा। हार वहां नहीं था। तब उसने अपने पति से कहा- तुम्हारे मित्र कैसे हैं, जो मेरा हार चुराकर रात्रि में ही भाग गए हैं। मित्र ने अपनी पत्नी को समझाया कि मेरा मित्र कदापि ऐसा नहीं कर सकता, धीरज रखो, कृपया उसे चोर मत कहो। 

आगे चलने पर राजा नल की बहन का गांव आया। राजा ने बहन के घर खबर पहुंचाई कि तुम्हारे भाई-भौजाई आए हुए हैं। खबर देने वाले से बहन ने पूछा- उनके हाल-चाल कैसे हैं? वह बोला- दोनों अकेले हैं, पैदल ही आए हैं तथा वे दुखी हाल में हैं। इतनी बात सुनकर बहन थाली में कांदा-रोटी रखकर भैया-भाभी से मिलने आई। राजा ने तो अपने हिस्से का खा लिया, परंतु रानी ने जमीन में गाड़ दिया।

चलते-चलते एक नदी मिली। राजा ने नदी में से मछलियां निकालकर रानी से कहा- तुम इन मछलियों को भुंजो, मैं गांव में से परोसा लेकर आता हूं। गांव का नगर सेठ सभी लोगों को भोजन करा रहा था। राजा गांव में गया और परोसा लेकर वहां से चला तो रास्ते में चील ने झपट्टा मारा तो सारा भोजन नीचे गिर गया। राजा ने सोचा कि रानी विचार करेगी कि राजा तो भोजन करके आ गया और मेरे लिए कुछ भी नहीं लाया। उधर रानी मछलियां भूंजने लगीं तो दुर्भाग्य से सभी मछलियां जीवित होकर नदी में चली गईं। रानी उदास होकर सोचने लगी कि राजा पूछेंगे और सोचेंगे कि सारी मछलियां खुद खा गईं। जब राजा आए तो मन ही मन समझ गए और वहां से आगे चल दिए। 

चलते-चलते रानी के मायके का गांव आया। राजा ने कहा- तुम अपने मायके चली जाओ, वहां दासी का कोई भी काम कर लेना। मैं इसी गांव में कहीं नौकर हो जाऊंगा। इस प्रकार रानी महल में दासी का काम करने लगी और राजा तेली के घाने पर काम करने लगा। दोनों को काम करते बहुत दिन हो गए। जब होली दसा का दिन आया, तब सभी रानियों ने सिर धोकर स्नान किया। दासी ने भी स्नान किया। दासी ने रानियों का सिर गूंथा तो राजमाता ने कहा- मैं भी तेरा सिर गूंथ दूं। ऐसा कहकर राजमाता जब दासी का सिर गूंथ ही रही थी, तब उन्होंने दासी के सिर में पद्म देखा। यह देखकर राजमाता की आंखें भर आईं और उनकी आंखों से आंसू की बूंदें गिरीं। आंसू जब दासी की पीठ पर गिरे तो दासी ने पूछा- आप क्यों रो रही हैं? राजमाता ने कहा- तेरे जैसी मेरी भी बेटी है जिसके सिर में भी पद्म था, तेरे सिर में भी पद्म है। यह देखकर मुझे उसकी याद आ गई। तब दासी ने कहा- मैं ही आपकी बेटी हूं। दशा माता के कोप से मेरे बुरे दिन चल रहे है इसलिए यहां चली आई। माता ने कहा- बेटी, तूने यह बात हमसे क्यों छिपाई? दासी ने कहा- मां, मैं सब कुछ बता देती तो मेरे बुरे दिन नहीं कटते। आज मैं दशा माता का व्रत करूंगी तथा उनसे गलती की क्षमा-याचना करूंगी।

अब तो राजमाता ने बेटी से पूछा- हमारे जमाई राजा कहां हैं? बेटी बोली- वे इसी गांव में किसी तेली के घर काम कर रहे हैं। अब गांव में उनकी खोज कराई गई और उन्हें महल में लेकर आए। जमाई राजा को स्नान कराया, नए वस्त्र पहनाए और पकवान बनवाकर उन्हें भोजन कराया गया। 

अब दशामाता के आशीर्वाद से राजा नल और दमयंती के अच्छे दिन लौट आए। कुछ दिन वहीं बिताने के बाद अपने राज्य जाने को कहा। दमयंती के पिता ने खूब सारा धन, लाव-लश्कर, हाथी-घोड़े आदि देकर बेटी-जमाई को बिदा किया। 

रास्ते में वही जगह आई, जहां रानी में मछलियों को भूना था और राजा के हाथ से चील के झपट्टा मारने से भोजन जमीन पर आ गिरा था। तब राजा ने कहा- तुमने सोचा होगा कि मैंने अकेले भोजन कर लिया होगा, परंतु चील ने झपट्टा मारकर गिरा दिया था। अब रानी ने कहा- आपने सोचा होगा कि मैंने मछलियां भूनकर अकेले खा ली होंगी, परंतु वे तो जीवित होकर नदी में चली गई थीं।

चलते-चलते अब राजा की बहन का गांव आया। राजा ने बहन के यहां खबर भेजी। खबर देने वाले से पूछा कि उनके हालचाल कैसे हैं? उसने बताया कि वे बहुत अच्छी दशा में हैं। उनके साथ हाथी-घोड़े लाव-लश्कर हैं। यह सुनकर राजा की बहन मोतियों की थाल सजाकर लाई। तभी दमयंती ने धरती माता से प्रार्थना की और कहा- मां आज मेरी अमानत मुझे वापस दे दो। यह कहकर उस जगह को खोदा, जहां कांदा-रोटी गाड़ दिया था। खोदने पर रोटी तो सोने की और कांदा चांदी का हो गया। ये दोनों चीजें बहन की थाली में डाल दी और आगे चलने की तैयारी करने लगे। 

वहां से चलकर राजा अपने मित्र के घर पहुंचे। मित्र ने उनका पहले के समान ही खूब आदर-सत्कार और सम्मान किया। रात्रि विश्राम के लिए उन्हें उसी शयन कक्ष में सुलाया। मोरनी वाली खूंटी के हार निगल जाने वाली बात से नींद नहीं आई। आधी रात के समय वही मोरनी वाली खूंटी हार उगलने लगी तो राजा ने अपने मित्र को जगाया तथा रानी ने मित्र की पत्नी को जगाकर दिखाया। आपका हार तो इसने निगल लिया था। आपने सोचा होगा कि हार हमने चुराया है। 

दूसरे दिन प्रात:काल नित्य कर्म से निपटकर वहां से वे चल दिए। वे भील राजा के यहां पहुंचे और अपने पुत्रों को मांगा तो भील राजा ने देने से मना कर दिया। गांव के लोगों ने उन बच्चों को वापस दिलाया। नल-दमयंती अपने बच्चों को लेकर अपनी राजधानी के निकट पहुंचे, तो नगरवासियों ने लाव-लश्कर के साथ उन्हें आते हुए देखा।

सभी ने बहुत प्रसन्न होकर उनका स्वागत किया तथा गाजे-बाजे के साथ उन्हें महल पहुंचाया। राजा का पहले जैसा ठाठ-बाट हो गया। राजा नल-दमयंती पर दशा माता ने पहले कोप किया, ऐसी किसी पर मत करना और बाद में जैसी कृपा करी, वैसी सब पर करना।

कैसी लगी ये कथा काव्यांक्षी है बड़ी ही रोचक 💖अच्छा अब चलती हु फिर मिलते है
  
काव्या

Ram Sewak gupta

Ram Sewak gupta

अति उत्तम है पोस्ट आपकी। आपकी कलम में जादू है शुभ दोपहर।। शुक्रिया जी।

29 मार्च 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

29 मार्च 2022

Shukriya sir🙏🙏

Manish

Manish

bahut achi likhi he

27 मार्च 2022

Meenakshi Suryavanshi

Meenakshi Suryavanshi

Bahut sundr dairy lekhn ke sath sundr jankari..

27 मार्च 2022

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दैननंदिनी एक नई शुरुआत नई सखी के साथ

1 मार्च 2022
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1मार्च 2022 मंगलवार डियर डायरी हमे

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एक बार फिर से शुक्रिया🤗🤗

2 मार्च 2022
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2 मार्च 2022बुधवार🤗💕                      हैलो काव्यांक्षी कैसी हो, तुम्हे अपना नाम तो जरूर पसंद आया होगा, हां बिलकुल सही पहचाना ये नाम मेरे नाम और मीनाक्षी के नाम से बना है, तभी तो और प्यारा हो गया

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मन के विचार काव्यांक्षी के साथ

3 मार्च 2022
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💕Hiii काव्यांक्षी 💕                    लो फिर आ गई मैं, थोड़ा फ्री टाइम मिला तो सोचा तुमसे ही बात कर लू ,कल प्रतिलिपि का विषय मिला था महिला सशक्तिकरण  महिला सशक्तिकरण का मतलब महिलाओं को स्वतंत्र र

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फ़ुरसत के पल चाय और कॉफी के संग

4 मार्च 2022
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❤️डियर काव्यांक्षी 💓                                     लो आ गई फुर्सत पाते ही तुमसे बाते करने, पता है काव्यांक्षी कल प्रतिलिपि पर टॉपिक था चाय और कॉफी सभी ने अपने अपने अंदाज में चाय और कॉफी पेश क

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हाथों में हाथ काव्यांक्षी संग एक छोटी सी मुलाकात

5 मार्च 2022
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5march Saturday💖हैलो प्यारी काव्यांक्षी💖 तुमसे मुलाकात का सिलसिला तो बढ़ता ही जा रहा है, खुश तो हो ना मुझे अपनी सखी बन

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यादें एक अहसास

6 मार्च 2022
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Hii काव्यांक्षी 💕 I miss you काव्यांक्षी 💓 सही पहचाना तुमने काव्यांक्षी मै यादों के बारे में ही बात कर रही हूं, यादें ही तो हमे एक

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सुनो काव्यांक्षी दिल के कुछ अहसास

7 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी 💖                               आज तुमसे दिल के कुछ अहसास शेयर करने आई हूं कुछ अहसास, इश्क के जज्बात, दिल के अल्फ़ाज़कितने नाम कितने रूप में शब्दो ढालने की कोशिश करते है ना सभी इश्क

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अनकही कुछ बाते ना रहे अनसुनी

8 मार्च 2022
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रचना 08 Mar 2022डियर काव्यांक्षी कैसी हो ❤️मै भी अच्छी हू , एक औरत की जीवन की अनकही बाते, काव्यांक्षी अनकही बाते अनसुनी रह जाती है कोई समझ नहीं पाता काव्यांक्ष

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बेवफ़ाई दर्द का अहसास

9 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी 💟              कैसी हो। लो अब तुम क्यों नाराज हो, वक्त पर तो मिलने आ जाती ही फिर शिकायत क्यों भला ,और हां जो बार बार मिलने आई तो ये हमारे सारे चाहने दोस्त बौर ना हो जाए,अच्छा तुम्हे

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रिश्ते या बंधन

10 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी Good morning 🌞☕☕😘😊 कैसी हो, आ गई तुमसे गपशप करने ,काव्यांक्षी एक बात बताओहम रिश्तों ने बंध तो जाते ह

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प्रेम क्या है काव्यांक्षी

11 मार्च 2022
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हैलो काव्यांक्षीआज तुमसे प्रेम के बारे में बात करनी आई हू, प्रेम किसी लड़के का नाम नहीं है तुम भी ना काव्यांक्षी कुछ भी सोचती हो, हां तो प्रेम ,प्यार, इश्क, मुहब्बत क्या इसका मतलब तुम्हे पता है काव्या

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मन क्यों विचलित सा हुआ

12 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी कैसी हो, मै कैसी हूं मेरा मन बहुत विचलित है आज कभी कभी न समझ हो नही आता, आखिर हम चाहते क्या है, मन में हजारों ख्वाहिशें पन

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खूबसूरत अहसास

13 मार्च 2022
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मेरी प्यारी काव्यांक्षी आज मै बहुत बहुत खुश हूं आज मेरी जिंदगी का सबसे अहम दिन है इस दिन मुझे कायनात का सबसे प्यारा अनमोल तोहफा मिला, इस दिन के एहसास को शब्दो मै पिरोना मुमकिन नहीं काव्यांक्षी ऐस

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अपने ढंग से जीने दो

14 मार्च 2022
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My dearest काव्यांक्षी कैसी हो❤️मै भी अच्छी हू🤗 क्या सोच रही हूं मै? हां वही तो तुम्हे सुनाने आई हू, कि मन में क्या चल रहा है,तुम्हे तो बेझिझक सब बता द

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Happy Birthday bharti hans

14 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी आज ना मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त का b'day हैं हम मिले तो प्रतिलिपि पर थे पर पहले हमारी बात ना होती थी ज्यादा कुछ दिन पहले ही हमारी बातो क

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उम्मीदों का पन्ना

15 मार्च 2022
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हैलो प्यारी काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी, 😘मै भी अच्छी हू, बस थोड़ी तबीयत ठीक नहीं चल रही तो सबकी रचनाए पढ़ ही नही पा रही हूं, पर मेरा ये परिवार इ

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रिश्ते या व्यापार

16 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी तुम्हारी ऐसी आदत हो गई की बार बार आ जाती हूं ,तुम भी मेरी सुबह और दोपहर को चाय सी हो गई हो जरूरी सी देखो तो कैसे इतरा रही हो 😁😜

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तुम हो तो हम है

17 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी Good morning dear ☕☕ कैसी हो तुम, मै भी अच्छी हूं। अभी ज्यादा वक्त नहीं पाता गपशप का होली के काम जो है फिर कुछ दिन में शीतला अष्

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आज रंगो का त्यौहार

18 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी ,मै अच्छी हूं आज ना काव्यांक्षी रंगो का त्यौहार है, हर तरफ खुशियों की बहार है,शिकवे गिले सब भूल

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अकेलापन

18 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी              कैसी हो ,मै अच्छी हूं,काव्यांक्षी ये अकेलापन भी कैसा है , भीड़ में भी करीब होता है,               अक्सर खुद बातें करती हु, शिकायत कर रूठती खुद को ही मनाती हूं, तन्हा खुद

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जिज्ञासा मन में घर कर जाये

20 मार्च 2022
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My dearest काव्यांक्षी कैसी हो ,मै भी अच्छी हूं💕🤗 काव्यांक्षी जाने कितनी ही जिज्ञासा मन में घर कर जाती है,एक खत्म करे दुजी आकर ठहर जाती ,

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गुस्सा या प्यार

21 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी लो आ गई फिर तुम से गपशप करने 💖पता है काव्यांक्षी सबसे मुश्किल काम क्या है💖संयम रखना , जब किसी की बात अच्छी ना लगे और उसकी बात प

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💕 कैसे मन के अहसास को समझाऊं💕

22 मार्च 2022
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My dearest काव्यांक्षी 💖 Good morning sweetu😘💖 कैसी हो 💖मै भी अच्छी हूं 💕आज तुम्हे एक छोटी सी कविता सुनाती हूं 💕मै कैसे शब्दों में समाऊं 💕 कैसे म

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वादे

23 मार्च 2022
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हैलो प्यारी काव्यांक्षी काव्यांक्षी कसमे खाना वादे करना अब मोहब्बत में आम बाते सी हो गयी हैं वादें करना तो जैसे खेल सा हो गया , पल में&nbsp

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यादें

24 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी good morning डियर💓कैसी हो💓 मै भी अच्छी हूं💓sry काव्यांक्षी टाइम ही नहीं मिल पा रहा है 💓 तु

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खामोशी का असर

25 मार्च 2022
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हैलो प्यारी काव्यांक्षी शुभ दोपहरी प्यारी ❤️कैसी हो❤️मै भी अच्छी हूं❤️काव्यांक्षी पता है अक्सर लोग खामोशी को बड़े हल्के में लेते है ❤️ खामोशी कोई यू ही

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जिंदगी ऐसी क्यों है

26 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी कैसी हो , मै अच्छी नहीं हूं, कितनी भी कोशिश कर लू, जिंदगी फिर उसी जगह लाकर खड़ा कर देती है, जहां से शुरू किया , सारी कोशिशें एक ही पल में बिखर जाती है, आखिर कब तक

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डियर काव्यांक्षी

27 मार्च 2022
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डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी, मै भी अच्छी हूं, पता है आज दशा माता व्रत का दिन है, कहते है आज दशा माता के पूजन से जीवन की बुरी दशा खत्म हो जा

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डियर काव्यांक्षी

28 मार्च 2022
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हैलो प्यारी काव्यांक्षी शुभ दोपहर प्यारी😘आज तुमसे जीवन की सच्चाई के बारे में बात करनी है काव्यांक्षी ये जीवन का सच है 💓मनुष्य शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है। इस सच्चाई को ज

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