डियर काव्यांक्षी
कैसी हो प्यारी ,मै अच्छी हूं आज ना काव्यांक्षी
रंगो का त्यौहार है, हर तरफ खुशियों की बहार है,शिकवे गिले सब भूले, आज सभी यार है,अपनेपन की बरसात है,नफरत भी दूर दूर तक हर तरफ प्यार ही प्यार है,खुशियों के गीत है,प्रीत का संगीत है,शान का आज हो जाए मेल है ,ये रंगो का जो खेल है,
हां काव्यांक्षी ये त्यौहार ऐसा ही है ,शायद इस रंगो के त्यौहार की हवाओं ही अपनापन और प्यार है,इसलिए ही नफरत हार जाती प्यार की जीत होती है
दूरियों की सरहदों को मिट जाती, और सब भूलकर एक हो जाते है, पर काव्यांक्षी कुछ चीजे कभी ठीक नही होती
उसे ना रंगो के त्यौहार की हवाएं ठीक कर सकती है , ना कोई महकती फिजाएं ना उसे अपनापन बदल सकता है
कुछ जख्म के शायद कोई मरहम नहीं बने तुम उदास ना होना काव्यांक्षी तुम भी रंगो के इस त्यौहार को मनाओ मस्ती और धूम मचाओ
मिलते फिर अपना ख्याल रखना तब तक लव यू डियर💚💙💜♥️❤️💛💚💙💜♥️❤️💛💙💚
काव्या