डियर काव्यांक्षी
कैसी हो, मै कैसी हूं मेरा मन बहुत विचलित है आज कभी कभी न समझ हो नही आता, आखिर हम चाहते क्या है, मन में हजारों ख्वाहिशें पनपती है, कुछ पूरी हो जाती है , कुछ अधूरी रह जाती है, पर कभी कुछ खोने के डर से मन विचलित हो जाता है, कभी जब हालत पर जोर नहीं चले तब भी मन विचलित सा हो जाता है
कई बार मन बहुत विचलित हो जाता है और उसको शांत करने का कोई उपाय हमें नहीं मिल पाता है
ऐसे में फिर किसी काम में मन नहीं लगा पाते है, और समस्याओं में गिर जाते है, कभी उलझने बढ़ जाती है
ऐसे में काव्यांक्षी हमे जरूरत है कि पहले मन कोई शांत करने के लिए मौजूदा हालात पर सोचे और समझे की क्या करना उचित है ,जिससे किसी को परेशानी भी ना हो और हम मन को शांत भी कर ले,
जानती हूं मन को नियंत्रित करना थोड़ा कठिन है परंतु अगर कोशिश करे तो कुछ भी असंभव नही है ना मन बहुत चंचल है तथा मन में अनेकों प्रकार के ख्याल उभरने लगते हैं। सही दिशा में सोचने और अमल करने से विचलित मन को शांत करने में मदद मिलती है
बस इतना ही काव्यांक्षी बाकी तुम तो बहुत सुलझी हो तुम्हारा मन हो विचलित न हो पाता होगा तुम तो सभी के विचलित मन का सहारा हो सभी के मन को शांत कर देती हो उनकी बाते जो सुन लेती हो अपना ख्याल रखना काव्यांक्षी love you 😍😍🍫🍫
दिखावे में जो बीत रहा जीवन
देख छल फरेब हो जाता विचलित सा मन
दोष दूसरों को देते जाते है
एबना खुद के किसी को न नजर आते है
ना कद्र की किसी की
ना समझे किसी के भाव
रह ही नही गया अब किसी को किसी से लगाव
ना अपनेपन की ख्वाहिश
ना रिश्तों में बचा कोई चाव
सुविधाएं तो बढ़ रही है
पर प्यार का हो गया जीवन में आभाव
काव्या