छंद विधान~[ नगण नगण सगण गुरु गुरु] ( १११ १११ ११२ २ २ ) ११वर्ण, ४ चरण,दो चरण समतुकांत"
रथपद छंद"
सकल अवध सिय रामा जी
सुखद मिलन अभि रामा जी।
दसरथ ललन चलैया हैं
रघुवर अवध बसैया हैं।।
अगर मगर मत जानों जी
नगर मुदित रघु मानो जी।
अयन नयन बजरंगी की
नमन अवध पति संगी की।।
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी