असदुद्दीन ओवैसी की तीखी स्पीच तो सुनी होगी. मुस्लिमों के फेवर में इतना कुछ बोल जाते हैं कि उनके विवादित बयानों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है. आज कोई बयान नहीं सुनाएंगे. आज सिर्फ उनकी जवानी के किस्से हैं.
1. असदुद्दीन ओवैसी के पापा सलाहुद्दीन हैदराबाद से सांसद थे. असदुद्दीन की सियासत में नहीं क्रिकेट में दिलचस्पी थी. उन्होंने ग्रेजुएशन किया हैदराबाद के प्रतिष्ठित निजाम कॉलेज से. वो यहां की क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा थे. हरफनमौला खिलाड़ी. मगर ज्यादा ध्यान फास्ट बोलिंग पर. मगर उनके साथ खेल ने वाले बताते हैं कि असदुद्दीन की बोलिंग की सबसे खास या अजीब बात थी उनका एक्शन. परफॉर्मेंस इतनी अच्छी थी कि कभी लोकल लीग में उनका नाम वेंकटेश प्रसाद के साथ लिया जाता था. असदुद्दीन क्रिकेट के लिए क्लास बहुत बंक करते थे.
2. पिता की मर्जी थी कि बेटा वकालत की पढ़ाई करे. नेतागीरी में आने के लिए सबसे सॉलिड डिग्री. गांधी, नेहरू, जिन्ना और पटेल के जमाने से. असदुद्दीन को उनका मन न होते हुए भी लंदन रवाना कर दिया गया. लिंकन इन में पढ़ने के लिए. यहां क्रिकेट पीछे छूट गया.
3. ओवैसी को खाना बनाना नहीं आता था. लंदन में बावर्ची की सहूलियत भी नहीं थी. लोग मैगी और ऑमलेट से दिन काट लेते हैं मगर असदुद्दीन ये भी पकाना नहीं जानते थे. तब उनके लिए राहत का सबब बने क्लासमेट अभिषेक. वेस्ट बंगाल के रहने वाले अभिषेक असदुद्दीन को यारी में खाना पका खिलाते रहे बरसों बरस. दोनों की यारी सिगरेट पर हुई थी. इन्हीं दिनों असदुद्दीन चेन स्मोकिंग करने लगे थे. हालांकि बाद में उन्होंने इस बुरी लत से छुटकारा पा लिया.
4. लंदन में पॉकेट मनी कमाने के लिए सांसद पुत्र ने बाकी भारतीयों की तरह कई पार्ट टाइम काम किए. कभी स्टोर में हेल्पर बने तो कभी सफाई का काम किया. एक बार तो वो मैक्डी में भी हेल्पर बने. यहां उन्हें पहला काम पोंछा लगाने का दिया गया.
5. 1994 में असदुद्दीन ने लॉ का फाइनल एग्जाम दिया. उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी पास होने की. इसलिए पेपर निपटते ही वो शिकागो घूमने निकल पड़े. वहीं से एक दिन उन्होंने अपने यार अभिषेक को फोन किया. पूछने लगे कि क्या रिजल्ट रहा तुम्हारा? पता चला कि अभिषेक तो फेल हो गए, मगर जनाब पास हो गए. पास होने की खबर सुन पापा सलाहुद्दीन खुशी से चौड़े हो गए. उस वक्त हिंदुस्तान में रात थी. वक्त था डेढ़ बजे का. सांसद जी तभी घर के बाहर मिठाइयां बंटवाने लगे.
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