शादी ....शादी वो है जिसे लोग एक खुशी के लड्डू से जोड़ रखे है। इतना ही नही यहाँ तक यह भी कहा जाता है जो खाए वो भी ,जो न खाए वो भी पछताए। आज मेरी कहानी शादी के ऊपर ही आधारित है एक ऐसा विवाह जहाँ खुशियों की लरी लगी हुई थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ उस शादी में आप यह लेख पूर
आकांक्षा श्रीवास्तव। धागा बुनाती माँ...,बुनाती है सपनो की केसरी , समझ न पाओ मैं किसको बताऊ मैं"...बन्द कोठरी से अचानक सिसकने की दबी मध्म आवाज बाहर आने लगती हैं। कुछ छण बाद एक बार फिर मध्म आवाज बुदबुदाते हुए निकलती है..,"बेटो को देती है महल अटरिया ,बेटी को देती परदेश र
बहुत दिनों से हजारों बातों को दबाएं बैठा हुआ हूं,ये जो क्या...डिजीटल चिट्ठी चली है न अपने तो समझ से ऊपर है। चचा जान अच्छा हुआ आज आप हो नही..,नही तो देश की वास्तविकता से जूझ रही धरती माँ को तड़पते ही देखते। इस न जाने डिजीटल दुनिया में क्या है कि लोग अपनी वास्तविकता ओर पहचान से शर्म खाते हैं। चचा जान
बढ़ ही रहा है ---------------------------- यह खूंखार मंजर ----------------------------------- साल गुज़रते रहे ======तरसते रहें हम "अच्छे दिनों " को और " सबका विकास " से !!!!!!!???????? RSS को हिन्दुओं की नहीं बल्कि हिंदुत्व की चिंता सता रही है. यह आडम्बर किस लिए ????!!!!!!
उम्र के तीसरे पड़ाव में हूँ मैं .बचपन और जवानी के सारे खुबसुरत लम्हो को गुजर कर प्रौढ़ता के सीढ़ी पर कदम रख चुकी हूँ .तीन पीढ़ियों को देख लिया है या यूँ कहे की उनके साथ जी लिया है. बदलाव तो प्रक्रति का नियम है इसलिए घर परिवार, संस्कार और समाज में भी निरंतर बदलाव होत
एक दिन विध्यालय के कुछ छात्रों ने पिकनिक पर जाने की योजना बनाई | और तय किया की सभी अपने-अपने घर से खाने का सामान लेकर आएंगे |इनमें से जीतू बहुत गरीब था,जब जीतू घर पहुंचा तो उसने अपनी माँ को सब कुछ बता दिया |की मुझे पिकनिक पर जाना है और सभी दोस्त अपने घर से कुछ न कुछ खाने के सामान साथ लेकर आएंगे |बच्
स्त्री और नदी दोनों ही समाज में वन्दनीय है तब तक जब तक कि वो अपनी सीमा रेखाओं का उल्लंघन नही करती | स्त्री का व्यक्तित्व स्वच्छ निर्मल नदी की तरह है जिस प्रकार नदी का प्रवाह पवित्र और आनन्दकारक होता है उसी प्रकार सीमा रेखा में बंधी नारी आदरणीय और वन्दनीय शक्ति के रूप में परिवार और समाज में रहती है|
लड़का अधिकारी था, मां-बाप के रंग-ढंग बदल गये थे ! शादी के लिये लड़के की बोलिया लगने लगी थी, जो 40 लाख देगा वो अपनी लड़की ब्याह सकता है, जो 60 लाख देगा लड़का उसके घर का दामाद बन जायेगा, जो 1 करोड देगा लड़का उनका ! समझ नहीं आता कि वो लड़का वाकई अधिकारी था या भिखारी,
Thursday, 9 February 2017जीवन के ये रिश्ते नाते स्वार्थ से भरे है - आपकी भूमिका व कर्तव्य दो लोगों के बीच में पारस्परिक हितों का होना, बनना और बढऩा रिश्तों को न केवल जन्म देता है बल्कि एक मजबूत नींव भी प्रदान करता है, लेकिन जैसे ही पारस्परि
लेख क :- पंकज “प्रखर”कोटा (राज.) प्यारे विद्यार्थियों आपके लिए आज का लेख स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन की निम्न पंक्तियों से शुरू कर रहा हूँ ..“असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।जब तक न सफल हो, नींद चैन क
पैसा और सफलता अक्सर अपने साथ कुछ बुरी आदते लाते हैं। कुछ लोग इनसे पार पाकर अपने क्षेत्र में और समाज में ज़बरदस्त योगदान देते हैं वहीं कई शुरुआती सफलता के बाद भटक जाते हैं। एक बड़े स्तर पर आने के बाद प्रतिष्ठित व्यक्ति पर इमेज, ब्रांड मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी आ जाती है लोगो पर, अब या तो आप मेहनत और साफ़-
धन उपार्जन और आपका विवेकपंकज “प्रखर” पिछले दिनों अमीरी को इज्जत का माध्यम माना जाता रहा है।इज्जत पाना हर मनुष्य की स्वाभाविक इच्छा है। इसलिये प्रचलित मान्यताओं के अनुसारहर मनुष्य अमीरी का इच्छुक रहता है, ताकि उसे दूसरे लोग बड़ाआदमी समझें और इज्जत करें। अमीरी सीधे रास्ते नहीं आ सकती। उसके लिए टेड़े र
युवाओं का मानसिक तनाव राष्ट्र प्रगति में अवरोध (लेखक :- पंकज “प्रखर ” कोटा (राज.) कुछ दिन पहले एक नाट्य प्रस्तुति देखने का अवसर मिला जिसमे एक पात्र दुसरे पात्र से पूछता है की जीवन क्या है तो दुसरे पात्र ने उत्तर दिया “हमारी सबसे पहली और सबसे अंतिम सांस के बीच का जो समय है वो जीवन है ” जीवन के प्रत
भगवान तो छोड़िये क्या इंसान भी कहलाने लायक है यह ! “एक अच्छा चिकित्सक बीमारी का इलाज करता है , एक महान चिकित्सक बीमार का --विलियम ओसलर ।“ मध्यप्रदेश का एक शहर ग्वालियर , स्थान जे ए अस्पताल , एक गर्भवती महिला ज्योति 90% जली हुई हालत में रात 12 बजे अस्पताल में लाईं गईं , उनके साथ उनकी माँ और भाई भी
आलीशान बंगले में एक अंधी महिला ने प्रवेश किया। स्टाफ मे नई सेविका ने उत्सुकतावश हेड से पूछा। "ये कौन है?"स्टाफ हेड - "मैडम के बच्चे चीकू की देखभाल के लिए..."सेविका - "पर ये तो देख नहीं सकती? क्या मैडम या साहब को दया आ गई इस बेचारी पर और कहने भर को काम दे दिया?"स्टाफ हेड - "तुझे साहब लोग धर्मशाला वाल