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सामाजिक

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*हमारा देश भारत पर्व एवं त्योहारों का देश है , यहां वर्षपर्यंत पर्व एवं त्योहार मनाए जाते रहते हैं | सबसे विशेष बात यह हैं कि सनातन धर्म के प्रत्येक त्यौहार एवं पर्वों में मानवता के लिए एक दिव्य संदेश छुपा होता है | इन्हीं त्योहारों में प्रमुख है रंगों का त्योहार होली | होली के दिन अनेक प्रकार के रं

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*किसी भी समाज और राष्ट्र का निर्माण मनुष्य के समूह से मिलकर होता है और मनुष्य का निर्माण परिवार में होता है | परिवार समाज की प्रथम इकाई है | जिस प्रकार परिवार का परिवेश होता है मनुष्य उसी प्रकार बन जाता है इसीलिए परिवार निर्माण की दिशा में एक विकासशील व्यक्तित्व का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित होना चा

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*सृष्टि के आदिकाल में ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि करते हुए नर नारी का जोड़ा उत्पन्न किया , जिनके समागम से सन्तानोत्पत्ति हुई और सृष्टि गतिशील हुई | मानव जीवन में सन्तान उत्पन्न करके पितृऋण से उऋण हेने की परम्परा रही है | सन्तान उत्पन्न करने के लिए पुरुष एवं नारी वैवाहिक सम्बन्ध में बंधकर पति - पत्नी

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*सनातन धर्म इतना दिव्य एवं महान है कि इसकी प्रत्येक मान्यताएं अपने आप में अलौकिक हैं | जिस प्रकार सनातन की प्रत्येक मान्यता समस्त मानव जाति के लिए कल्याणकारी है उसी प्रकार सनातन धर्म में व्यक्ति की पहचान कराने के लिए गोत्र की व्यवस्था बनाई गई थी | सनातन धर्म में गोत्र

🚗 दहेज लेना कोई गुनाह नही* 💰आज के वर्तमान सत्र में दहेज लेना कोई गुनाह नहीं क्योंकि कन्या पक्ष के हमेशा यह सोचते हैं कि मेरी बेटी को ससुराल में कोई काम न करना पड़े और मेरी बेटी की शादी ऐसे घर में हो जहां पर नौकर नौकरानी कार्यरत हों और मेरी बेटी बैठकर हुकूमत चलाए अब इस क्रिया में लड़की पक्ष के गरीब

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*हमारा देश भारत आदिकाल से "वसुधैव कुटुम्बकम्" को आधार मानकर "विश्व बन्धुत्व" की भावना का पोषक रहा है | मानव जीवन में भाव एवं भावना का विशेष महत्त्व होता है | मनुष्य में भावों का जन्म उसके पालन - पोषण (परिवेश) एवं शिक्षा के आधार पर होता है | भारतीय शिक्षा पद्धति इतनी दिव्य रही है कि इसी शिक्षा एवं ज्

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*आदिकाल से धरा धाम पर नर और नारी सृष्टि के विकास में कदम से कदम मिलाकर एक साथ चलें | स्त्री एवं पुरुष को समान रूप से अधिकार प्राप्त था | यदि इतिहास का अवलोकन किया जाय तो नारी के ऊपर कभी भी अनावश्यक दबाव या कोई प्रतिबंध लगता हुआ नहीं प्रतीत होता है | प्राचीन समय में नारी का जितना सम्मान हमारे देश भार

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*इस असार संसार का वर्णन महापुरुषों , लेखकों एवं कवियों ने अपनी दिव्य लेखनी से दिव्यात्मक भाव देकर किया है | इन महान आत्माओं की रचनाओं में भिन्नता एवं विरोधाभास भी देखने को मिलता है | यदि सूक्ष्म दृष्टि से देखा जाय तो अनेक विरोधों के बाद भी इस असार संसार का सार लगभग सबने एक ही बताया है वह है :- प्रे

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*इस धराधाम पर मनुष्य का प्रादुरुभाव मैथुनीसृष्टि के द्वारा हुआ | यहाँ आकर मनुष्य विवाह बन्धन में बंधकर सन्तानोत्पत्ति करके अपने पितृऋण से उऋण होता है | सन्तान पुत्र हो चाहे पुत्री दोनों को समान सम्मान मिलता है | यदि हमारे धर्मशास्त्रों में पुत्र की महत्ता को दर्शाते हुए "अपुत्रस्तो गतिर्नास्ति" लिखा

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जीवन के अध्याय जिन्दगी में हर पल एक नई चुनौतियों को लेकर आता हैं,जो असमान संघर्षो से भरा होता हैं.इस पल को सामने पाकर कोई सोचने लगता हैं कि शायद मेरे जीवन में नया चमत्कार होने वाला हैं.अर्थात् सभी के मन में चमत्कार की आशा पैदा होने लगती हैं.चुनौतियां जो इंसानी जीवन क

अक्सर में लोगों को ये कहते सुनताहूँ कि महिलाओं या लड़कियों को लड़कों के समान आज़ादी मिलनी चाहिए। शायद आप भी इस बात से हामी भरते होंगे, पर मैं नहीं। क्योंकि हम लड़कों के लिए जिस आज़ादी शब्द का प्रयोग करते हैं। असल में वो

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"क्या ,आज भी तुम बाहर जा रहे हो ??तंग आ गई हूँ मैं तुम्हारे इस रोज रोज के टूर और मिटिंग से ,कभी हमारे लिए भी वक़्त निकल लिया करो। " जैसे ही उस आलिशान बँगले के दरवाज़े पर हम पहुंचे और नौकर ने दरवाज़ा खोला ,अंदर से एक तेज़ आवाज़ कानो में पड़ी ,हमारे कदम वही ठिठक गये। लेकिन तभी बड़ी शालीनता के साथ नौकर न

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2018 समाप्त हुवा । बदलाव , परिवर्तन निसर्ग का एक नियम है । आज विश्व काफी तीव्रगति से चल रहा है । और परिवर्तन की दौड़ मैं कई पीछे छुट रहे है तो कई काफी तेजीसे आगे भी बढ़ रहे है । समाज की एकता और प्रेम तभी आपसे में एक रूप हो सकते है जब हम इस बढ़ती तेज रफ़्तार में एक दूजे के सहायक बन एक दूजे को भी साथ लेकर

" नववर्ष मंगलमय हो " " हमारा देश और समज नशामुक्त हो " नशा जो सुरसा बन हमारी युवा पीढ़ी को निगले जा रहा है ,

जब कभी भी हम सामाजिक कुरीतियों पर चर्चा करते हैं तो आमतौर पर जाती, धर्म भेदभाव, बालविवाह, अशिक्षा जैसी कुछ कुरीतियों पर ही ध्यान जाता है, जो कि अशिछित लोगों में ही प्रभावशाली पायी जाती हैं, या यो कहें की अशिक्षा ही कुरीतियों का मूल कारण है !लेकिन क्या हम

सुबह के साढ़े आठ बज रहे थे, मैं घर के कामों में व्यस्त थी। चोर! चोर! शोर सुनकर मैं बेडरूम की खिड़की से झाँककर देखने लगी। एक लड़का तेजी से दौड़ता हुआ गली में दाखिल हुआ उसके पीछे तीन लोग थे जिसमें से एक मंदिर का पुजारी था, सब दौड़ते हुये चिल्ला रहे थे, "पकड़ो,पकड़ो चोर है काली माँ का टिकुली(बिंदी) चुर

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रहम करे अपनी प्रकृति और अपने बच्चो पर , आप से बिनम्र निवेदन है ना मनाया ऐसी दिवाली गैस चैंबर बन चुकी दिल्ली को क्या कोई सरकार ,कानून या धर्म बताएगा कि " हमे पटाखे जलाने चाहिए या नहीं?" क्या हमारी बुद्धि और विवेक बिलकु

आरोप प्रत्यारोप के बीच में me too का जो मुख्य उद्देश्य था, वह लोगों की सोच और फालतू बहसबाज़ी के बीच खो गया ।अभी अभिनेत्रियों ने पहल की है, इसलिए यह गलत लिया जा रहा है ।जो बड़े पद पर हैं इसका यह निहतार्थ नहीँ की वो साफ छवि के ही हैं , साहस का कार्य तो है ही क्योंकि आरोप लगाने के साथ आप की भी इज्जत की ब

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खाप की माप✒️लगा बैठे बिना ही मन, सँभलते राह में साथीदिलों पर ज़ोर किसका है, कहो किसका कभी भी था?मगर ललकार सहने की, कभी सोची नहीं शायदयुगल को बाँध ठूँठों में, अवज्ञा खाप का जो था।ज़मीं थी वासनाओं की, कमी कब यातनाओं की?कि निर्मम हाथ में चाबुक, दुसूती शर्ट था उसका;लगे थे काट खाने को, अभी से ही लगे कहनेकि

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https://akankshasrivastava33273411.wordpress.com/ नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की.... छैल छबीला,नटखट,माखनचोर, लड्डू गोपाल,गोविंदा,जितने भी नाम लिए जाए सब कम है। इनकी पहचान भले अलग अलग नामो से जरूर की जाए मगर अपने मोहने रूप श्याम सलौने सबको मंत्र मुग्ध कर लेते ह

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