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सत्यमेव....... (तीन अंकों में समाप्य लंबी कहानी का पहला अंक)

28 दिसम्बर 2021

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 “आज शाम को क्या कर रहे हो?” 

“कुछ ख़ास नहीं, सर.” 

“तो आज की शाम हमारे साथ बिताओ. आठ बजे
जिमखाना पहुँच जाना. इधर काम में मैं इतना व्यस्त रहा कि कहीं बाहर जाना न हो सका.
तुम आओगे तो मुझे भी बहाना मिल जाएगा. सुधा को अभी फोन करके बता दो. वह कोई अपना
प्रोग्राम न बना ले.....और उसके बिना तो तुम कहीं जाओगे नहीं.” 

सुधा की बात रैना साहब ने जानबूझ कर
छेड़ी थी. वह जानते थे कि सुधा मायके बैठी थी. जिस दिन उसने कहा था कि हीरों का हार
सहानी  को लौटाना होगा, उसी दिन वह मायके
चली गई थी. 

उसने सुधा को समझने का एक असफल प्रयास
किया था. 

“तुम जानती हो कि सहानी  ने हार क्यों दिया है?” 

‘क्यों दिया है? ज़रा मैं भी तो सुनूँ.” 

“उसका केस मेरे पास है है, मैंने बताया
था तुम्हें. उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाई होनी तय है. वह किसी तरह इस मामले से
झुटकारा पाना चाहता है. वह चाहता है कि मैं केस को दबा दूँ. मुझ पर कई प्रकार से दबाव
डाला जा रहा है. यह उपहार भी उसने इसी वजह से दिया है. अन्यथा हमारा उसके साथ क्या
लेना-देना है. वह मुझे खरीदना चाहता है पर मैं बिकाऊ नहीं हूँ.” उसने यह बात जिस
लहजे से कई उससे वह स्वयं भी चौंक गया था. 

“तुम अपने को इतना महत्व क्यों देते
हो? यह उपहार उसने मुझे दिया है.मुझे अपनी बहन समान मानता है. मेरा इतना आदर करता
है. तुम्हारे कारण वह कितनी मुसीबत में है, मुझे सब पता है. फिर भी उसने मुझे यह
उपहार दिया तो तुम्हें बुरा लग रहा है.” 

“बात वह नहीं है जो तुम समझ रही हो.
उसने मुझे कह दिया था कि दस लाख का हार वह तुम्हें दे चुका है. सिर्फ यह सोच कर कि
मैं केस को बंद करने की अनुशंसा करूँगा. अगर मैंने ऐसा न किया तो हार हमें लौटाना
होगा. इतना ही नहीं उसने धमकाया था कि अगर मैंने उसका कहा न मन तो वह ब्याज सहित
हार वापस लेना जानता है.” 

“तो मान लो उसकी बात. इतना भी नहीं कर
सकते तुम मेरे लिए? सोने की एक चेन तो तुम ने आजतक लेकर दी नहीं. अब बिना मांगे
किसी ने हीरों का हर दिया है तो तुम लौटाने के लिए कह रहे हो?.........तुम किस
प्रकार के प्राणी हो?”

“हार तो तुम्हें लौटाना ही होगा. तुम्हें अच्छा लगे या बुरा, मैं कुछ नहीं कर सकता.” 

मन ही मन वह कुढ़ भी रहा था. वह जानता
था कि बात बिगड़ती जा रही थी और उसने ऐसा नहीं चाहा था. वो जानता था कि सुधा उसके
निर्णय को सरलता से स्वीकार नहीं करेगी लेकिन वह यह भी अनुमान न लगा पा रहा था कि
वह क्या करेगी. शायद फिर मायके जाकर बैठ जाए. 

और सुधा उसी समय मायके चली गई. इतना ही
नहीं उसने फोन करके सहानी  की सब कुछ बता भी
दिया. और सहानी  ने तुरन्त रैना साहब को
सूचित कर दिया था. 

रैना साहब का काम करने के अपनी अलग शैली
थी. कार्यालय में घट रही हर बात की
जानकारी तो वह रखते ही थे, हर किसी की व्यक्तिगत बातों की जानकारी रखना भी वह
अनिवार्य समझते थे. उनका विश्वास था कि हर जानकारी कभी न कभी सफलता की सीढ़ी बनाई
जा सकती है. 

“सर, सुधा तो मायके गई हुई है,” न
चाहते हुए भी वह कह बैठा. परन्तु रैना साहब के हावभाव में कोई परिवर्तन न आया.
बोले, “कोई बात नहीं. मैं भी तो अकेला ही आऊँगा. लेकिन देर मत करना. तुम तो जानते
ही हो, मैं ठीक नौ बजे डिनर लेना पसंद करता हूँ.” 

वो अच्छी तरह जानता था कि रैना साहब
उसे जिमखाना क्लब क्यों बुला रहे थे. सहानी  को हार लौटा कर उसने स्पष्ट कर दिया था कि उसके
विरुद्ध कार्यवाई रोकी या दबाई नहीं जायेगी. रैना साहब को यह बात चुभ गई थी.
उन्होंने मंत्री जी को आश्वासन दे रखा था कि मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा और उन पर
कोई आंच नहीं आएगी. “सर, मैंने तो पहले भी कई बार सहानी  को फटकार लगाईं थी,” रैना साहब ने मंत्री जी से
कहा था. “इसने अपनी लापरवाही से हम सब को मुसीबत में डाल दिया है. लड़का मेहनती पर
थोडा ना-समझ है. वास्तव में अनुभव की कमी है. धीरे-धीरे सब सीख जाएगा. आप
निश्चिन्त रहें. मैं सब संभाल लूंगा.” 

मंत्री जी के गले से एक ऐसी आवाज़ निकली
थी जिसका कुछ भी अर्थ लगाया जा सकता था. रैना साहब चौकस हो गए थे. 

“क्या लोगे?” रैना साहब ने बैठते ही
पूछा. वह अभी जिमखाना क्लब का सदस्य न बना था. बनना भी नहीं चाहता था, अन्यथा जिस
पद पर वह था, तुरंत सदस्यता पा सकता था. 

“जूस, सर.” 

“अरे यहाँ तो औरतें भी जूस नहीं
पीतीं.” 

“मुझे पता है, पर आप मुझे क्षमा करें.” 

“जीवन में इतनी अनम्यता भी अच्छी नहीं
होती. हमारा व्यवहार समय और वातावरण के अनुकूल होना चाहिए. इतने अड़ियल बने रहोगे
तो पीछे छूट जाओगे या फिर....” उन्होंने रुक कर उसे घूर कर देखा और फिर कहा, “टूट
जाओगे. थोडा समझबूझ से काम लेना सीखो.” 

“आपकी नसीहत समझने का प्रयास करूँगा,
पर सर, अभी तो जूस से संतोष करूँगा.” 

“यही तो सारी समस्या है. तुम कहते तो
कि तुम प्रयास करोगे, परन्तु तुम्हारा
व्यवहार तो वैसा ही रहता है. अब सहानी  की बात ही लो. तुम जानते हो वह मंत्री जी के भाई
का साला है, मंत्री जी तो उसे अपना छोटा भाई ही समझते हैं. पर तुम हो कि अपनी ज़िद
पर अड़े हो.उसके विरुद्ध कार्यवाही हो भी गई तो देश में कौन सी क्रान्ति आ जायेगी?
एक बात समझ लो, इस देश में जैसा होता रहा है, वैसा ही होता रहेगा. मान लो मंत्री
जी ने त्यागपत्र दे भी दिया तो क्या बदल जायेगा? इस मंत्री की जगह कोई दूसरा आ
जायेगा. उसके भाई का साला न होगा तो उसका अपना साला होगा या फिर बेटा या भतीजा. यह मंत्री जी तो भले इंसान है अगला मंत्री
क्रिमिनल बैकग्राउंड का भी हो सकता है. तब क्या करोग?” 

“आप शायद गलत समझ रहे हैं. मैं कोई
क्रांति नहीं करना चाहता. बस नियमों के अनुसार अपना कम करना चाहता हूँ. ऐसे ही
संस्कार मुझे अपने पिता से मिले हैं. इस केस में आप जैसा चाहते हैं मैं वैसा
करूँगा, बस आप लिखित आदेश दे दें.” 

रैना साहब ने उसे घूर कर देखा और कहा,
“मेरी उमर के हो जाओगे तो तुम्हें समझ आएगा कि हम तो बस कठपुतलियाँ हैं. आदेश कोई
देता है, हुक्म किसी और का चलता है. तुम्हें क्या लगता है, मैं विभाग का अध्यक्ष
हूँ तो सब कुछ मेरे कहने से होता है? नहीं श्रीमान, ऐसा बिलकुल भी नहीं है. यहाँ
हम सब प्यादे हैं. वास्तव में हमारी स्थिति तो शतरंज के प्यादों से भी बुरी है,
शतरंज का प्यादा आखिरी घर पहुँच कर वज़ीर तो बन जाता है. हम वज़ीर बन कर भी प्यादे ही
रहते हैं. तुम भाग्यशाली हो, नियमों की बात कर सकते हो, ईमानदारी का डंका पीट सकते
हो. मंत्री जी का सामना तो मुझे करना पड़ता है. जवाबदेही तो मेरी है.” 

“...............” 

“अब चुप रहने से बात खत्म हो जायेगी
क्या? मैंने मंत्री जी को आश्वासन दिया है कि सहानी  के विरुद्ध कोई कार्यवाई नहीं होगी. अब निर्णय
तुम्हारे हाथ में है. हाँ, तुम चाहो तो मैं बीस  में बात तय कर सकता हूँ.” 

“आपको कितने देगा?” वह आवेश में कह तो
बैठा पर उसी पल उसे लगा कि उसने बहुत बड़ी भूल कर दी थी. रैना साहब से शत्रुता मोल
लेकर उसने अपनी मुसीबत बड़ा दी थी. 

“देगा नहीं, दे दिए हैं-एक करोड़!” रैना
साहब ने बिना हिचकिचाहट के कहा. 

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पाँच वर्ष से लेकर 29 वर्ष की आयु केबच्चों और युवा लोगों की मृत्यु का मुख्य कारण रोग या भुखमरी या मादक पदार्थों कीलत या साधारण दुर्घटनाएँ नहीं है. इन बच्चों और युवकों की मृत्यु का मुख्य कारण है सड़क दुर्घटनायें.सरकारी आंकड़ों पर अगर विश्वास क

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अलीपुर बम केस

17 दिसम्बर 2018
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श्री अरविन्द अलीपुर बम केस में एक आरोपी थे. अपनीपुस्तक, ‘टेल्स ऑफ़ प्रिज़न लाइफ’, में उन्होंने इस मुक़दमे का एक संक्षिप्त वृत्तांतलिखा है. यह वृत्तांत लिखते समय उन्होंने ब्रिटिश कानून प्रणाली पर एक महत्वपूर्णटिपण्णी की है.उन्होंने लिखा है कि इस कानून प्रणाली का असली उद्देश्ययह नहीं है की वादी-प्रतिवादि

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लघुकथा-एक

19 दिसम्बर 2018
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तीव्र गति से चलती स्कूल-वैन चौराहे पर पहुंची. बत्तीलाल थी. वैन को रुक जाना चाहिये था. परन्तु सदा की भांति चालक ने लाल बत्ती कीअवहेलना की और उसी रफ्तार से वैन चलाता रहा.दूसरी ओर से सही दिशा में चलता एक दुपहिया वाहन बीच मेंआ गया. वैन उससे टकरा कर आगे ट्राफिक सिग्नल से जा टकराई और पलट गई.देखते-देखते कई

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लघुकथा-दो

21 दिसम्बर 2018
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उस युवक का इतना ही दोष था कि उसने उन दो बदमाशों को एकमहिला के साथ छेड़छाड़ करने से रोका था. वह उस महिला को जानता तक नहीं था, बस यूँही,किसी उत्तेजनावश, वह बदमाशों से उलझ पड़ा था.भरे बाज़ार में उन बदमाशों ने उस युवक पर हमला कर दियाथा. एक बदमाश के हाथ में बड़ा सा चाक़ू था, दूसरे के हाथ में लोहे की छड़.युवक ने

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लघुकथा-तीन

22 दिसम्बर 2018
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‘बेटा, थोड़ा तेज़ चला. आगे क्रासिंग पर बत्ती अभी हरी है,रैड हो गयी तो दो-तीन मिनट यहीं लगजायेंगे.’‘मम्मी, मेरे पास लाइसेंस भी नहीं है. कुछ गड़बड़ हो गयी.....’‘अरे तुम समझते नहीं हो, हमारी किट्टी में रूल है की जोभी पाँच मिनट लेट होगा उसे गिफ्ट नहीं मिलेगा.’ ‘तो पहले निकलना था न, सजने-सवरने में तो.....

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लघुकथा-चार

26 दिसम्बर 2018
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लड़की ने कई बार माँ से दबी आवाज़ में उस लड़के की शिकायतकी थी पर माँ ने लड़की की बात की ओर ध्यान ही न दिया था. देती भी क्यों? जिस लड़केकी वह शिकायत कर रही थी वह उसके अपने बड़े भाई का सुपुत्र थे, चार बहनों का इकलौता लाड़लाभाई. पर लड़की के लिए स्थिति असहनीय हो रही थी. उसकी अंतरात्माविद्रोह कर रही थी. अंततः उस

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लघुकथा- पाँच

28 दिसम्बर 2018
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लघुकथा- चारनेताजी अपने चिर-परिचित गंभीर शैली में लोगों को संबोधितकर रहे थे, ‘सरकार ने जो यहाँ बाँध बनाने का निर्णय लिया है वह यहाँ के किसानों केविरुद्ध के साजिश है. बाँध बना कर नदी का पानी ऊपर रोक लिया जायेगा. फिर उस पानीसे बिजली बनाई जायेगी और बिजली बनाने के बाद वह प

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लघुकथा-छह

4 जनवरी 2019
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‘बच्चे, उस बाड़ से दूर रहना, उसे छूना नहीं. उसमें बिजलीचल रही है.’‘लेकिन यह बाड़ यहाँ क्यों है? इसमें बिजली क्यों चल रहीहै.’‘यह सब हमारी सुरक्षा के लिये है.’‘हमारी सुरक्षा? किस से?’वृद्ध एकदम कोई उत्तर ने दे पाए. कुछ सोच कर बोले,‘बच्चे, यह बात तो मैं भी समझ नहीं पाया.’‘वह हमें मूर्ख बना रहे हैं.’‘शायद

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लघुकथा-सात

12 जनवरी 2019
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1 जनवरी 20..आतंकवादियों ने सेना की एक बस पर अचानक हमला कर दिया. बसमें एक भी सैनिक नहीं था. बस में स्कूल के कुछ बच्चे पिकनिक से लौट रहे थे. एकबच्चा मारा गया, पाँच घायल हुए.सारा नगर आक्रोश और उत्तेजना से उबल पड़ा. लोग सड़कों परउतर आये; पहले एक नगर में, फिर कई नगरों में. हर कोई सरकार को कोस रहा था. हरसमा

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मृत्युदंड

17 जनवरी 2019
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वह एक निर्मम हत्या करने का दोषी था. पुलिस ने उसकेविरुद्ध पक्के सबूत भी इकट्ठे कर लिए थे. पहले दिन ही जज साहब को इस बात का आभास हो गया था किअपराधी को मृत्यदंड देने के अतिरिक्त उनके पास कोई दूसरा विकल्प न होगा. लेकिन जिसदिन उन्हें दंड की घोषणा करनी थी वह थोड़ा विचलित हो गये थे. उन्होंने आज तक किसीअपराध

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एक लघु कथा

20 जनवरी 2019
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‘यह तीसरी लड़की है जो तुमनेपैदाकी है. इस बार तो कम से कम एक लड़का जन्मती,’ उसकीआवाज़ बेहद सख्त थी.एक कठोर, गंदीअंगुली शिशु को टटोलने लगी; यहाँ, वहां. भय की नन्ही तरंग शिशु के नन्हें हृदय में उठी और उसेआतंकित करती हुई कहीं भीतर ही समा गई. अपने-आपसे संतुष्ट अंगुली हंस दी. सब जानते हुए भी, अपने मेंसिकुड़

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प्रतिशोध-- एक कहानी

23 जनवरी 2019
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होटल में प्रवेश करते ही दिनेश ने अमर कोदेख लिया. उनकी नज़रें मिलीं पर दोनों ने ऐसा व्यवहार किया कि जैसे वह एक दूसरे कोपहचानते नहीं थे. परन्तु अधिक देर तक वह एक दूसरे की नकार नहीं पाये.‘बहुत समय हो गया.’‘हाँ, दस साल, पाँच महीने और बाईस दिन.’‘तुम ने तो दिन भी गिन रखे हैं?’‘क्यों? तुम ने नहीं गिन रखे?’‘

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निमंत्रण

25 जनवरी 2019
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‘क्या तुम्हें पूरा विश्वासहै कि यह निमंत्रण इस ग्रह के निवासियों के लिये है? मुझे तो लगता है कि किसी भीग्रह के वासी पृथ्वी-वासियों को अपने यहाँ नहीं बुलाना चाहेंगे!’‘क्यों? क्या खराबी है इनजीवों में?’‘तुम्हें पूछना चाहिए कि क्याखराबी नहीं है इनमें!’एलियंस का अन्तरिक्ष-यान अभीभी पृथ्वी से कई लाख मील

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लघुकथा

26 जनवरी 2019
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लघुकथाजब उन्होंने उसकी पहलीअजन्मी बेटी की हत्या करनी चाही तो उसने हल्का सा विरोध किया था. वैसे तो वह स्वयंभी अभी माँ न बनना चाहती थी. उसकी आयु ही कितनी थी-दो माह बाद वह बीस की होने वालीथी. उन्होंने उसे समझाने का नाटक किया था और वह तुरंत समझ गयी थी. लेकिन उसके विरोध ने उन्हेंक्रोधित कर दिया था. किसी

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आँगन का पेड़

3 फरवरी 2019
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घरके आँगन में लगा यह पेड़ मुझ से भी पुराना है. मेरेदादा जी ने जब यह घर बनवाया था, तभी उन्होंने इसे यहाँ आँगन मेंलगाया था. मेरा तो इससे जन्म का ही साथ है. यहमेरा एक अभिन्न मित्र-सारहा है. इसकीछाँव में मैं खेला हूँ, सुस्तायाहू, सोया हूँ. इसकी संगत में मैंने जीवन की ऊंच-नीचदेखी है. मेरे हर सुख-दुःखका स

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लघुकथा

7 फरवरी 2019
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लघुकथासारादिन तो वह अपने-आप को किसी न किसी बात में व्यस्त रखता था; पुराने टूटे हुए खिलौनोंमें, पेंसिल के छोटे से टुकड़े में, एक मैले से आधे कंचे में या एक फटी हुई फुटबालमें. लेकिन शाम होते वह अधीर हो जाता था. लगभगहर दिन सूर्यास्त के बाद वह छत पार आ जाता था और घर से थोड़ी दूर आती-जाती रेलगाड़ियोंको देखत

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मतदातों से एक निवेदन-अगली सरकार मज़बूत सरकार

12 फरवरी 2019
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सबसे पहले यह स्पष्ट करना अनिवार्य होगा कि यह अपीलमज़बूत सरकार चुनने के लिये है, मोदी सरकार चुनने के लिये नहीं. अगर आपको लगता हैकि कांग्रेस एक मज़बूत सरकार दे सकती है तो उसे भरपूर बहुमत देकर जितायें. और अगरआप समझते हैं कि बीएसपी, या टीएम्सी या एएपी या कोई अन्य दल या दलों का समूह मज़बूतसरकार दे सकता है त

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मतदातों से एक निवेदन-अगली सरकार मज़बूत सरकार-२

14 फरवरी 2019
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लेख के पहले भाग में मैंने यह तर्क दिया था कि देश कोसिर्फ एक मज़बूत सरकार ही सुरक्षित रख सकती है. देश को तोड़ने के प्रयास में कई शक्तियाँसक्रिय हैं, इसलिए चौकस रहना हमारे लिए एक मजबूरी ही है.आम आदमी को यह बात समझनी होगी कि शक्तिशाली लोग, धनी लोगकहीं भी, कभी भी जाकर बस सकते हैं. पर ऐसा विकल्प आम आदमी के

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छतिसिंहपोरा नरसंहार

21 मार्च 2019
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क्या कल आपने किसी मीडिया चैनल पर या किसी समाचार पत्रमें छतिसिंहपोरा नरसंहार के विषय में एकशब्द भी सुना या पढ़ा? क्या किसी ह्यूमन-राइट्स वाले को इस नरसंहार की बात करतेसुना? वह लोग जो आज़ादी के नारे लगाते है या वह नेता जो उनकेसमर्थन में खड़े हो जाते हैं या वह जो आये दिन नक्सालियों के लिए आवाज़ उठाते हैं

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जागो मतदाता, जागो

23 मार्च 2019
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दो एक वर्षों से कई राजनेता सेना के जवानों का अपमानकरने की होड़ में लगे हैं. इन में से एक भी राजनेता ऐसा नहीं है जो सियाचिन की ठंडया रेगिस्तान की चिलचिलाती धूप में आधा घंटा भी रह पाए. जिन कठिनायों का सामनासीमा पर तैनात एक जवान करता है उसका इन्हें रत्ती भर भी अहसास नहीं है. और आश्चर्य की बात तो यह कि इ

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सत्यमेव....... (तीन अंकों में समाप्य लंबी कहानी का पहला अंक)

28 दिसम्बर 2021
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<p> “आज शाम को क्या कर रहे हो?” </p> <p>“कुछ ख़ास नहीं, सर.” </p> <p>“तो आज की शाम हमा

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सत्यमेव....... (तीन अंकों में समाप्य लंबी कहानी का दूसरा अंक)

29 दिसम्बर 2021
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<p> वह स्तब्ध हो गया. वह तय न कर पाया कि रैना<br> साहब सत्य कह रहे थे या व्यंग्य कर रहे थे.&nbs

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सत्यमेव....... (तीन अंकों में समाप्य लंबी कहानी का अंतिम अंक)

30 दिसम्बर 2021
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<p> उसे ध्यान आया कि जब सहानी उससे बात कर रहा था उसे फोन पर किसी के हँसने की<br> आवाज़ भी

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ट्रेन

4 जनवरी 2022
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सारा दिन वह अपने-आप को किसी न किसी बात में व्यस्त रखता था; पुराने टूटे हुए खिलौनों में, पेंसिल के छोटे से टुकड़े में, एक मैले से आधे कंचे में या एक फटी हुई फुटबाल में. लेकिन शाम होते वह अधीर हो जाता था

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नए साहब का आदेश

5 जनवरी 2022
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 नए साहब नौ बजे ही कार्यालय पहुँच गये. उनका पहला दिन था और वह किसी को सूचना दिए बिना ही आ गये थे. लेकिन नौ बजे तक तो सफाई कर्मचारी भी न आते थे. निर्मल सिंह ही अगर नौ बजे पहुँच जाता तो वही बड़ी बात थ

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अपना भी नाम होगा (बच्चों के लिए कहानी)

16 जनवरी 2022
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 लंबू और छोटू चोर थे. परन्तु आजतक उन्होंने छोटी-मोटी चोरियाँ ही की थीं. इस कारण अन्य चोर उनका मज़ाक उड़ाते थे.  एक दिन छोटू ने लंबू से कहा, “भाई, नाम और दाम कमाने का सुनहरा अवसर मिल रहा है.”  “कैसे?

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सहजो वाणी

23 जनवरी 2022
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 हमारे देश में मीरा बाई से लगभग सभी लोग परिचित हैं. उनके कुछ भजनों को तो शिक्षा संस्थानों ने पाठ्य क्रम में भी स्थान दिया है. परन्तु राजपुताना की और संत थीं जिनके विषय बहुत कम लोग जानते हैं. अधिकाँश

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लालची बंदर (बच्चों के लिए कहानी)

26 जनवरी 2022
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 एक नदी के किनारे एक मंदिर था. मंदिर के निकट ही एक विशाल पेड़ थे जिस पर बंदरों की एक टोली रहती थी. मोती उस टोली का सरदार था.  हर मंगलवार के दिन मंदिर में खूब भीड़ होती थी. उस दिन पास के गाँव के सभी ल

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वाजिद वाणी

29 जनवरी 2022
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  वाजिद के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. शायद वह राजपुताना के रहने वाले एक गरीब पठान थे. ऐसी मान्यता है कि वाजिद एक बार शिकार करने गये. एक हिरणी का पीछा कर रहे थे. हिरणी अचानक उछली. पल भर के

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अकेलो जाय रे

26 फरवरी 2022
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 अकेलो जाय रे  वाजिद के कुछ अमूल्य वचन फिर सांझा कर रहा हूँ.  टेढ़ी पगड़ी बाँध झरोखा झांकते  तांता तुरग पिलाण चहूँटे डाकते  लारे चढ़ती फौज नगारे बाजते  वाजिद ये नर गए विलाय सिंह ज्यूँ गाजते.  दो-दो

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