मुकंदी लाल जी झल्लाये हुए आये और लगभग चिल्लाते हुए बोले, ‘यह आप ने क्या किया?’
हम थोड़ा चौंके, ‘अरे इतने खफ़ा क्यों हैं? ऐसा क्या कर दिया हम ने?’
‘आप की बात कौन कर रहा है. वैसे भी आपकी क्या औकात है कि आप कुछ कर पायें. मैं तो इस आम आदमी पार्टी की बात कर रहा हूँ. अब उनके नेता कह रहे हैं कि अगर उनकी पार्टी दिल्ली एमसीडी में सत्ता में आई तो वह हाउस टैक्स समाप्त कर देंगे.’
‘यह तो अच्छी बात है. क्या आप को हाउस टैक्स भरना अच्छा लगता है.’
‘आप पूरी बात तो समझते नहीं, केजरीवाल जी लोगों का हाउस टैक्स का बकाया भी माफ़ कर देंगे.’
‘तो?’
‘हम मूर्ख हैं जो वर्षों से समय से पहले ही टैक्स जमा करा रहे हैं? एक बार भी टैक्स भुगतान में चूक नहीं की. अब लग रहा है कि बहुत बड़ी भूल कर बैठे. हम ने भी दो-चार साल का टैक्स बकाया रखा होता तो हमारा भी बकाया टैक्स माफ़ हो जाता.’
‘आप की बात में तर्क तो है. हम लोग अच्छे नागरिक बनने की होड़ में लगे रहे, नियमों का पालन करते रहे, पर लाभ होगा उन्हें जो सीना ठोक कर कानून की अवहेलना करते रहे.’
‘हमें तो नियमों का पालन करने की सज़ा मिल रही है.’
‘हमारे एक जानकार हैं. इनकम टैक्स वालों से उनका पाला पड़ता ही रहता है. एक दिन कह रहे थे कि अगर कोई आदमी समय पर टैक्स अदा करे, समय पर रिटर्न भरे तो इनकम टैक्स वाले हाथ धो कर उसके पीछे पड़ जाते हैं. लेकिन जो व्यक्ति सालों तक टैक्स जमा नहीं कराता, किसी नोटिस का जवाब नहीं देता, किसी नियम-कानून की परवाह नहीं करता उसके सामने सरकार हाथ जोड़ कर खड़ी हो जाते है. निवेदन करती है कि भाई, बीस प्रतिशत ही टैक्स दे दो, न तुम्हें कोई पेनल्टी लगेगी, न तुम से कोई सवाल-जवाब किये जायेंगे. लगता है हमारे मित्र ठीक ही कह रहे थे.’
‘हम ने तो सोच लिया है कि अब से इंकम टैक्स भी न जमा करायेंगे. क्या पता अगले चुनाव के बाद केंद्र में ‘आप’ की सरकार बन जाए और ‘आप’ सरकार इनकम टैक्स के बकाया को भी माफ़ कर दें.’
‘अरे ऐसा......’ हमारी बात सुने बिना ही मुकंदी लाल जी दनदनाते हुए चल दिए.