यह केवल अपनी जिंदगी मैं उन सपनों को संजय हुए हुए हैं, जो नींद लगते ही एक नए दृश्य से हमें आत्मविभोर कराती है। यही तो बचपन के सपनों से भरे नैना है, जो हर व्यक्ति अपने बचपन में किसी ने किसी स्वरूप में अवश्य देखते हैं| घर छोटे-छोटे कवेलुओ से बना हुआ है, जो मकान की ऊपरी सिरे पर लकड़ियों की कतार में श्रंखला के बीच अर्ध गोलाकार संरचना के रूप में विद्यामान होती है। जहां दो कवेलुओ को समीपस्थ रखा जाता है और एक कवेलु को उनके ऊपर ठीक विपरित स्वरूप मे रखा जाता है। इस तरह का क्रमबद्घ स्वरूप है, जो किसी घर को धूप तथा पानी से बचाने मे सहायक होती है। ये घर भी ठीक देश के समान ही अपनी प्रतिमान संरचना बनाती है। ऐसे ही देश की सुरक्षा के लिये हर पल सैनिको की फौज देश की बॉर्डर पर शत्रुपक्ष से सतर्क तथा संघर्ष करके हमारे देश को आतरिक रूप से सुख, शांति की सुरक्षा देते है, ठीक उसी प्रकार घर की छत, दीवार भी हमे आँधी- तूफ़ान तथा धूप-बारिश से सुरक्षा दिलाता है। मां अपनी साड़ी के पल्लू को संभालते हुऎ अपने सिर को ढ़क्कर घर के बाहर आंगन में घूमने लगी| नारी शब्द ही तो स्वयं ऎक सम्मानिय हे, जो सर्वोच्च स्थान को प्रतिलेखित करती है | अपने आप को संस्कारो के जिन अस्तित्व मे धारण किऎ है। सच कहे जिंदगी ही नियमो से भरी श्रंखलाबाद को पालन कर नीति सिखा जाती है।जब जब ऎक कदम आगे बढ़ते जाते है , पैर मे पहनी पायल अपनी चुनचुन की ध्वनि से वातावरण को संगीतमय रूप में आबाद कर जाती है| कई प्राकृतिक रूप से कोय़ल, तोते और गौरैया भी इन्हीं स्वर में अपनी तान मिलाने का प्रयत्न करती है| कुछ ही पल के लिए मानो धरती का यह छोटा सा गांव बिल्कुल स्वर्ग सा बन गया है| रंग बिरंगी पंछी अनाज के दानों को चुंगते हुए, शायद जिंदगी के नए अंदाज को जीने की पहेली छेड़ जाती है| जिनकी नन्ही सी चोच हल्की सी भूरी और नीली विचित्र संरचना में अक्सर मिट्टी के कणो को भी स्पर्श किया करती है|आंगन में कुछ फूल के पौधों को कतार बद्ध लगी हुई है| अक्सर मां अपने हाथों से उन्हीं सुबह-शाम पानी दिया करती थी|अक्सर पानी के बुलबुले हमें क्षणिक पल का अहसास कराती है| हमारे जीवन में सुखी दुखी भी छणिक बुलबुलों की तरह होती है, जिनका निर्माण और विनाश निरंतर ही होता रहता है| मां रोज सुबह 6:00 बजे उठ कर आंगन में गोबर से लिपाई पुताई किया करती है| यह सुगंध बड़ी ही सोंधी सी महक का आभास कराती है| वहीं भोर के समय मुर्गे की बांग के साथ ही खूबसूरत सी सुबह क़ी शुरुआत होती है| सचमुच ओस की बूंद पत्ती पर हीरे के मोती से दृश्य होती है, जो अपना चमचमाती सी रोशनी में अपनी खुबसुरती को चारो ओर बिखरा करती है| यह दृश्य बिल्कुल रात के अंधेरे में टिमटिमाते तारों के समान ही दिखता है, जो अपने आप को आभा की नवीनतम चमक में पीरो जाती है|अक्सर सुंदरता को जीवन मे थोडा उच्च शीर्ष मिल जाता हे, मगर इंसे भी कुछ पायदान ऊपर स्वभाव, व्यवहार सचाई इमादारी और निस्वार्थ हौना विशेष: माना जाता हे| यही गुण तो अक्सर एक आदर्श व्यक्तित्व को जन्म दे जाती है, जिन की परछाई और अस्तित्व लाखों लोगों मैं भी एक विशेष स्वरुप का पदार्पण कर जाती है| 12 साल की लड़की अंदर रसोई घर से आवाज लगाई, मां दाल हो चुकी है, जल्दी आओ | उसी समय माँ भी रसोई घर में आई और कहां, निशा बेटी दाल तो हो चुकी है अब ऐसा करो चूल्हे पर रोटी बना लो| अभी निशा की उम्र ज्यादा नहीं थी मगर वो अपनी मां की रसोई घर में मदद किया करती थी और हमेशा कोशिश किया करती थी कि मां को कोई काम ना करना पड़े | अभी कुछ दिन पहले ही मां का गांव के अस्पताल में इलाज हुआ था इसलिए निशा सोचती थी कि मां हमेशा आराम करें | मगर माँ अपनी आदत से मजबूर थी,बीमार होने के बावजूद भी पौधों में पानी देना,पक्षियों को दाना खिलाना,गाय को चारा और पानी देना इत्यादि कार्यों में अपने आप को व्यस्त किया करती थी| अक्सर निशा माँ को डाटा करती थी कि मां आप आराम किया करो | कभी-कभी तो अपने नन्हे हाथों से मां के हाथ जबरदस्ती पकड़कर पलंग पर लिटा देती थी और फिर नन्हें हाथों से उनके पैर और मस्तक को दबाया करती थी | बच्चों के लिए माता पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा पुण्य होता है,यह सुकून और सुख पूर्वक समय होता है | मां ने कहा निशा बेटी अब रहने दो तुम थक गई होगी,सुबह से ही घर का पूरा काम कर रही हो | जल्दी से खाना खा लो और कुछ देर आराम कर लो | निशा ने तुरंत कहा मां आपको खिलाऎ बिना मैं कैसे अभी खाना खा सकती हूं | सचमुच लड़कियां संसार में सबसे भिन्नात्मक संरचना है जो अपने बारे में सोचने से पहले अक्सर दूसरों के बारे में सोचा करती है | सच कहू तो मुझे एक बात का बहुत दुख होता है कि कुछ लोग लड़कियों को जन्म से पहले ही गर्भाशय में भ्रूण हत्या कर देते हैं | यह कहीं न कही हमारे संस्कारों का अपमान है,जहां पर हम नारी को देवी का स्वरूप मानते हैं, तो हमें इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि किसी भी कन्या की जन्म से पहले भ्रूण हत्या कर दी जाए | कहीं ना कहीं हम उज्जवल और सुनहरे भविष्य की हत्या करते हैं क्योंकि संसार की संरचना और पीढ़ी दर पीढ़ी संतति का मुख्य श्रेय नारी का ही होता है जिनके बिना भविष्य में इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है | निशा ने मां के लिए रसोई घर मैं एक छोटी सी चटाई बिछाई और मां को बिठाया फिर थाली को धोने लगी | वही एक गिलास पानी भरकर एक छोटे से बर्तन में पहले मां के हाथ धुलाये फिर थाली में दाल चावल रोटी सब्जी परोसने लगी |