इंडियन आर्मी के सम्मान का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह एक सौ पच्चीस करोड़ भारतीयों के दिलों की धड़कनों में दिन-रात दौड़ती है। युद्ध काल के अतिरिक्त शांति काल में किसी प्राकृतिक आपदा बाढ़ , भूकंप आदि के समय भारतीय सेना के जवान ईश्वरीय दूत की तरह हमारे बीच हाजिर होकर, हमारे जान-माल की रक्षा के साथ-साथ गिरते मनोबल बढ़ाने को बढ़ाते है। साम्प्रदायिक तनाव के समय आम नागरिक सेना की तैनाती होते ही अपने को सुरक्षित अनुभव करने लगता है। भारतीय फ़ौज की एक हमदर्द वाली अंतर्राष्ट्रीय छवि किसी से छुपी नहीं। हमारे लिए यह भी गर्व का विषय है कि पाकिस्तान जैसे देश की तरह भारतीय सेना की कभी भी कोई भी राजनैतिक मह्त्वकांशा नहीं रही व् सफल लोकतंत्र को फलने-फूलने दिया। सेना ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध रखा है। यही कारण है जब भी सेना का कोई जवान आतंकियों का मुकाबला करते हुए शहीद होता है तो एक सौ पच्चीस करोड़ भारतीयों का दिल रो उठता है । भारतीय जनता अपनी सेना के देवदूतों को यूं अकारण ही शहीद होते नहीं देख सकती । उड़ी हमले में सेना की जवानों की शहादत ने देश की जनता में रोष की लहर पैदा कर दी थी। परन्तु जिस प्रकार सेना के बहादुर जवानों ने POK में आतंकी लांच पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक कर , उन्हें नष्ट किया है उससे हर भारतीय का सीना फूल कर छत्तीस इंच का हो गया है। इसमें जहां सेना के जवानों का कमाल है, वहीं इसका श्रेय देश के वतर्मान राजनैतिक नेतृत्व को भी जाता हैं। एक ओर जहाँ देश की जनता सेना व् वर्तमान राजनैतिक नेतृत्व साथ है , वहीं कुछ नेताओं को इस सर्जिकल स्ट्राइक से अपनी राजनैतिक जमीन हिलती नजर आ रही है। इसी लिए वो मीडिया में सबूत मांग रहें है, कुछ नेता दलाली जैसे शब्दों का प्रयोग कर जनता के दिलों को दुखा, क्रोध को बढा रहें है। सर्जिकल स्ट्राइक का पोस्ट मोर्टेम करने के लिए सबूत मांगना कुछ नेताओं का कुवे का मेंढ़क होना दर्शाता है। हाथ कंगन को आरसी क्या , पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या , की तरह बौखलाए पाकिस्तान, POK में होते प्रदर्शनों व् विश्व में मिले समर्थन से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारी बहादुर सेना को सर्जिकल स्ट्राइक में शत प्रतिशत सफलता मिली है, व् इस बार तीर सही निशाने पर लगा है । सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक सौ पच्चीस करोड़ भारतीयों की भावना देखते हुए अब समय आ गया है कि अब जम्मू एंड कश्मीर में भी कुछ छोटे-छोटे सुधार किये जायें ,जो सर्जिकल स्ट्राइक जैसे हालात से निपटने में सहायक होंगें। वहां की महिलाओं व् उनके बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाएं। राज्य से बाहर विवाहित महिलाओं व् उनके परिवार व् बच्चों की समस्या पर गौर किया जाये , राज्य में दशकों से रह रहे लोगों को स्थानीय निकाय के चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिया जाए। राज्य विधान सभा की सीटों का जनसख्या के हिसाब से पुनः निर्धारण किया जाए। जम्मू के लोगों की नाराजगी दूर की जाए। किसी रेखा को मिटाये बगैर जिस प्रकार बराबर में बड़ी रेखा खींचकर छोटा किया जा सकता है , ठीक उसी प्रकार सहमति से धारा 370 को समाप्त न कर , नयी धारा जोड़कर , राज्य के भटके लोगों को देश की मुख्य धारा में लाया जाए। ऐसा करना सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे वाला कदम होगा । रोजगार की दृष्टि से जम्मू एंड कश्मीर उधोग धंधों को किस प्रकार बढ़ावा दिया जाये पर विचार कर , ठोस कदम उठाया जाए। जयहिंद जय भारत !