मॉर्निंग
वॉक , इवनिंग वॉक तो सभी ने सुना है, पर “मेट्रो-वॉक”
भी हो सकती है , यह 01.06.2018 को घटित हुआ। शाम लगभग 6-7
के बीच आंधी के कारण दिलशाद-रिठाला मेट्रो लाइन पर लाइन नंबर-1 में
रूकावट पैदा होने से मेट्रो सर्विस में रुकावट पैदा हो गई। मेट्रो
सेवा काफी लंबे अंतराल से रिठाला से तीस हजारी के बीच
ही चली।
शाहदरा
, दिलशाद गार्डन आदि स्थानों पर जाने वाले यात्रियों को
काफी असुविधा हुई। भारी भीड़ के कारण तीस हजारी
से उचित सार्वजनिक यातायात का साधन न मिलने के कारण सैकड़ों
की संख्या में पैदल यात्री बस
अड्डे पुल से शास्त्री पार्क ,सीलमपुर की ओर “मेट्रो-वॉक”
करने लगे।
पॉजिटिव
सोच ने ही
इस पैदल मार्च को मेट्रो-वॉक का नाम दिया । जिसमें हल्दी लगी न फिटकरी रंग चोखा आया ।
देखते
ही देखती सैकड़ों की संख्या में ऑफिस
से घर लौटते लोग मेट्रों -वॉक का अटूट हिस्सा बन गए।
यमुना
पुल से रात्रि लगभग नौ बजे गुजरते हुए शांत
यमुना नदी की ओर से हवा के ठन्डे झोंके यमुना
मैया के आर्शीवाद से कम न लग रहे थे। कुछ लोग बीच-बीच
में पानी , ठंडा से अपनी थकान मिटाने के पटरी पर बैठे थे । लोग
पिकनिक जैसा मजा लेने पर उतारू थे।
ऐसा
लग रहा था मानों सभी मेट्रो वॉक से
सुखद स्वास्थ्य लेने का मौक़ा ढूंढ रहे थे। जो मेट्रो की
खराबी ने उन्हें प्रदान कर दिया। सकारात्मक सोच का ये ही
तो लाभ होता है। ठीक इसी कहावत की तरह - गीदड़
जब गिर जाये खाई में , तो सोचे आज की रात यहीं विश्राम
सही। निश्चित ही यह मेट्रो वॉक अदभुत व् अकल्पनीय थी ।आशा
है आज सभी की मेट्रो वॉक सुखद रही होगा।
कल का दिन हम सब के लिए शुभ हो। इसी के साथ- शुभ रात्रि।