पानी, बिजली, सड़क, सीवर, परिवहन, शिक्षा, हेल्थ, राशन, बुजुर्ग पेंशन आदि दिल्ली-सरकार के पास है । 6 माह से अधिक का समय बीत जाने पर भी आम जनता को उपरोक्त विभागों में कोई भी प्रभावी कार्य नजर नहीं आता । राज्य स्तर की समस्या के लिए भी रटा-रटाया जवाब होता है – “मोदी जिम्मेदार है “।
जनता ने उपरोक्त कामों के लिए जिम्मेदारी दिल्ली-सरकार को दी है, तो जनता केंद्र को क्यों जिम्मेदार माने? दिल्ली में प्याज के दामों को लेकर चर्चा जोरों पर है। लोग शीला सरकार को याद कर रहें है । जिसने अपने समय में प्याज, दाल, आटे के दामों पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण कर, जिम्मेदारी को आगे बढ़कर वहन किया। वर्तमान सरकार इसमें अप्रभावी नजर आती है। लोगों को जो कारण नजर आता है, वह है सरकार का ध्यान राज्य की समस्या पर कम, केंद्र की राजनीती पर ज्यादा है। इसी लिए प्याज, दाल आदि के दामों में नियंत्रण अप्रभावी है।
कुछ ईमानदार लोग इसी का लाभ उठा रहे है। इन दिनों एक विधान सभा में चर्चा गर्म है कि किस प्रकार ईमानदारी कुछ किलों प्याज पर कुर्बान हो गयी । हुआ यूं , किसी दुकानदार को रात्रि के समय ईमानदार लोगों ने प्याज की बोरी चोरी करते पकड़ लिया। ईमानदार-विंग के लोग दुकानदार को शिकायत की धमकी दे ब्लैक मेलिंग करने लगे। मरता क्या न करता, दुकानदार ने उपहार व भेंट स्वरूप पांच-पांच किलों प्याज ईमानदार लोगों के घर पर पहुंचा दी। लोगों ने बात को दबा दिया । इस प्रकार डॉलर- रूपए एक्सचेंज रेट से महंगी प्याज ईमानदारी पर भारी पड गयी । ठीक ही सरकार से फ्री में मिला तेल , कुप्पी नहीं तो पल्ले में मेंल। निश्चित ही लेन-देन की दुनिया में प्याज की दिखावटी ईमानदारी पर बलिहारी होने को मन करता है। जिसमें मनसा वाचा कर्मा से दिखावटी ईमानदारी की सच्ची तश्वीर झलकती है। शायद इसी लिए ट्रकों के पीछे लिखा नजर आता है - सौ में से निन्यानवे बेईमान , फिर भी मेरा भारत महान । जय हिन्द जय भारत ।