जुड़ने का नाम ही जीवन है। मानव शरीर करोड़ों सेल्स से जुड़ कर बना है। नेता हो, अभिनेता हो, गरीब हो, अमीर हो या साधारण आदमी या खास आदमी हर कोई कहीं न कहीं, किसी न किसी से जुड़ा है। कोई भगवान् से जुड़ा है, कोई रोजगार से जुड़ा है। जब से नेताजी गरीब आदमी से जुड़ अमीर होने लगे, आम आदमी से जुड़ खास आदमी होने लगे, जमीन से जुड़ जमींदार होने लगे, भृष्टाचार से जुड़ भष्टाचारी होने लगे, तब से नेताओं में यूनिक चीज से जुड़ने की होड़ सी लगी है। नेताओं, अफसरों के कुर्सी से जुड़ने की मिशाल अकसर दी जाती है। इसी अनोखी कड़ी में उत्तर प्रदेश में खाट सभा से जुड़ने की पहल कर युवराज ने अच्छों-अच्छों की खाट खड़ी करने की खबरे मीडिया में सुर्खियां बटोर रही है। लोग जिस खाट को रात में “यूज”, दिन में “थ्रो” कर भूल जाते है । आज उस खाट को सम्मान दिया जाना निश्चित ही चर्चा का विषय है। खाट के इतिहास पर नजर डाले तो इसका जिक्र मुहावरों, लोकोयुक्तियों में खूब मिलता है। जिससे सिध्द होता है कि खाट का अविष्कार करोड़ों वर्ष पुराना है। डराने के लिए खाट खड़ी करने की धमकी देना आम बात है। निठल्ले के लिए कब तक खाट तोड़ता रहेगा, कायर के खाट के नीचे छुपना , ज्यादा उम्र के कुँवारे के लिए कब तक चारपाई के दोनों ओर से उतरेगा , खाट के नीचे आग जलाना आदि-आदि कहावते, मुहावरे खाट से जुड़ने का पत्यक्ष प्रमाण है। हिंदी सिनेमा भी राम दुलारी मायके गई, खटिया हमारी खड़ी कर गई, सरकाय लो खटिया ज्यादा लगे जैसे गानों से सराबोर हो खाट की लोकप्रियता को दर्शाता है। खाट बांस व् लकड़ी के चार पायों का वो अद्भुत जुगाड़ या चौपाया ( चारपाई ) है ,जिसमें लोहे का प्रयोग नहीं किया जाता। अलग-अलग क्षेत्रों में खाट को चारपाई, मंझी आदि नामों से भी पुकारते है। इसे बुनने में भाभड़ से बने बाणों का प्रयोग किया जाता है। जिसकी बुनाई छकड़ी या नोकड़ी में होती है। कसाव के लिए नीवार सन, भाभड़ या जूट आदि की मोटी रस्सी होती है। नीवार की ओर का सिरा पायता (पैर की ओर) व् दूसरा सिरा सिरहानाआ ( सिर की ओर ) कहलाता है। सामाजिक नियम के अनुसार सम्मान के लिए बुजर्ग सिरहाने की ओर बैठता है, कम उम्र का व्यक्ति पायते की ओर बैठता है। बुजुर्ग के साथ सिरहाने बैठने पर बुजुर्ग का अपमान माना जाता है। घर में किसी सदस्य के स्वर्ग सिधारने पर खाट को उलटा खड़ा कर दिया जाता है । खाट सस्ती, टिकाऊ होने के साथ-साथ भारी संख्या में लघु रोजगार को भी देती है। इस पर सोने से कमर दर्द को लाभ मिल सकता है । यूं तो खाट का प्रयोग रात के समय सोने में किया जाता है । कभी-कभी गरीब लोग इसकी आड़ बनाकर नहाने में इसका प्रयोग करते है। पापड़ सुखाते है। गावों में चौपालों,पंचायत में खाट का जिक्र होता आया है । परन्तु राजनीती में खाट का प्रयोग करने का एकमात्र श्रेय युवराज को ही जाता है, जिसकी शुरूआत पहली बार उत्तर प्रदेश से हुई। प्रयोग एकदम सफल जान पड़ता है, कारण सभा के बाद जिस प्रकार लोग खटिया खड़ी कर रहे थे, उससे प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश की जनता निश्चित ही नेताओं की खाट खड़ी करके ही दम लेगी। ऊंट किस करवट बैठे यह तो आने वाला समय ही बताएगा । फिलहाल खाट से ठाठ का सपना तो पाला ही जा सकता है। ऐसे में भला दुविधा किस बात की । कहावत है- दुविधा में दोनों गये माया मिली न राम।