न्यूज-पेपर्स
में हाल के दिनों में न्यूज आयी कि रेलवे की 90,000 रिक्तियों
(vacancies) के लिए 2.50 करोड़ उम्मीदवारों ने आवेदन किया।
यदि सभी आवेदकों को 500 रूपये के आवेदन शुल्क वाला उम्मीदवार
मान लिया जाए तो रेलवे के पास लगभग 1250 करोड़ की भारी भरकम
रकम आवेदन शुल्क जमा हो गई।
अधिसंख्य
युवा रोजगार सुरक्षा, उन्नति के सुअवसर आदि लाभों के कारण सरकारी नौकरी
को ही अपनी पहली पसंद के रूप में चुनते है।
सरकारी नौकरी के लिए आवेदन पत्रों की अत्याधिक संख्या
को देख , यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। परन्तु सरकारी नौकरी की
संख्या कम होने के कारण व् युवाओं की अत्याधिक संख्या
को देख यहां यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि सरकारी नौकरी
की स्तिथि ऊँट के मुहं में जीरा के समान है।
यहाँ अनार सौ बीमार वाले हालत हैं।
निरंतर
लागू होते पे कमीशनों ने सरकार पर आर्थिक बोझ लाद ,कमर
तोड कर रख दी। केंद्र व् राज्य सरकारें चाह कर भी नई
भर्ती नहीं कर पा रहीं है। इससे एक ओर जहां युवा बेरोजगार
है वहीं सरकार में युवा व् टेक सेवी कर्मचारियों की भारी कमी है।
कर्मचारियों की कमी को पूरा करने लिए जहां रिटयरमेंट की आयु बढ़ाई जा
रही है। सेवानिवृत कर्मचारी को
पुनः काम पर रखा जा रहा है। परन्तु सरकारों के इन कदमों से युवाओं का भविष्य चौपट
हो रहा है।
सरकार के पास एक उपाय यह है कि युवाओं को 5—10 वर्ष की अवधि
तक देश सेवा के लिए फिक्स मासिक वेतन भत्ते जैसे Rs.15000- Rs.20000
पर नियुक्ति किया जाए। निर्धारित अवधि पूर्ण पर ऐसे कर्मचारियों को नियुक्त
पद के बराबर पूर्ण वेतनमान प्रदान किया
जाए।
इस
कदम से देश में युवा बेरोजगारी कम होगी । सरकार में
युवा टेलेंट आएगा। साथ ही नए वेतनमानों का सरकारों पर अधिक आर्थिक भार भी न
पड़ेगा। कुशल वर्क फ़ोर्स बढ़ने से सरकार की कायर्कुशलता बढ़ेगी ।
इस
नीति से सामाजिक, आर्थिक व् राजनैतिक लाभ भी होगा। युवा को देश सेवा का अवसर
मिलेगा ,जिसमें वो अपने टेलेंट का योगदान
दे सकेगा ।
देश
के नीति निर्धारकों को इस विषय पर विचार करना चाहिए। सचमुच में
यह कदम सबके साथ-सबके विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
जयहिंद
! जय भारत !