देश में जहां हर गावं, हर घर में बिजली मिलने की धूम मची है,
वहीं दिल्ली में बिजली का नया कनेक्शन के लिए उपभोगता
को प्राइवेट बिजली कम्पनी ( जैसे BSES यमुना पॉवर लिमिटेड, जिसमें 49%
हिस्सेदारी दिल्ली सरकार व् 51% हिस्सेदारी BSES की है)
के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।
इसका कारण यह है कि DERC अधिनियम 2017 के तहत दिल्ली में 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग में
नया कनेक्शन के लिए अब फायर
सेफ्टी क्लीरेंस की आवश्यकता है । ऐसे में यदि बिल्डिंग की ऊंचाई 15 मीटर से कुछ इंच भी अधिक है
तो बिजली कनेक्शन मिलना असंभव है।
नवभारत टाइम्स- 16 May,19 - "मेरी कॉलोनी: ईस्ट
दिल्ली : मेरा शहर " में छपी रिपोर्ट के अनुसार केवल इसी कारण केवल जमनापार में ही 6,000 से
अधिक बिल्डिंग में अन्धेरा छाया हुआ है। पूरी दिल्ली का आंकड़ा तो और अधिक
है। इस प्रकार बिजली न मिलने वाले पीड़ित परिवार
के सदस्यों की संख्या लगाएं लाखों बैठती है। अब तो लोग यह भी कह रहे है-
" आज झुग्गी में कनेक्शन लेना आसान है परन्तु बिल्डिंग या
फ्लेट कनेक्शन लेना बड़ा मुशिकल है ।
DERC का नियम पूरी दिल्ली में लागू है।
परन्तु इसके लागू करने की कोई तारीख भी नहीं है। अर्थात इस नियम से पहले
बनी पुरानी बिल्डिंग पर भी लागू है। गूगल सर्च करने पर एक NRI
ने दर्द शेयर किया, जिसमें इस नियम से पहले से बनी बिल्डिंग में बिजली
कनेक्शन निष्क्रिय (defunct) होने पर, नया कनेक्शन
को बिल्डिंग की ऊंचाई को आधार बनाकर देने से मना कर दिया गया, जब की
पुरानी बिल्डिंग में अन्य उपभोगताओं के कनेक्शन लगे हुए है ।
निश्चय ही इस नियम ने प्राइवेट बिजली वितरण कंपनी
को बिजली देने के मामले में दिल्ली नगर निगम से भी ज्यादा
शक्तिशाली व् अधिकार सपंन्न बना दिया है। जिसकी आड़ में
भ्रष्टाचार पनपने का संदेह होता है। नया
कनेक्शन देने से पहले बिल्डिंग ऊंचाई की इंच /फुट में पैमाइस की
जा जाती है। उपभोगता डरा रहता है कि बिल्डिंग
की ऊंचाई कही एक आध इंच ऊपर न हो जाए ।
वैसे ऐसा नहीं है कि इस
नियम के लागू होने के बाद 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग में नए
बिजली कनेक्शन न दिए गए हों । जो इस तरह की बिल्डिंग में नए कनेक्शन दिए गए
है वो किसी घाल-मेल की ओर इशारा करते है ।
दिल्ली सरकार को जनहित में बिजली
आवेदकों की इस समस्या की ओर ध्यान देने की
तुरंत आवश्यकता है। " बिजली हाफ-पानी माफ़" पर चुनाव जीत कर
आने वाली जुझारू केजरीवाल सरकार जो बात-बात पर
अपने अधिकारों को लेकर कोर्ट में जाने के लिए जानी जाती है
,आखिर बिजली आवेदकों की समस्या से अब तक अनजान कैसे रह
सकती है, यही सोचकर-सोचकर आम आदमी परेशान है।
आज के दौर में बिजली, मूल-भूत अति
महत्वपूर्ण जीवन रक्षक आवश्यकता की श्रेणी में आती है। दिल्ली जैसे महानगर में तो इसके बिना जीवन की
कल्पना करना भी असम्भव सा है ।
अतः बिजली
के अधिकार से लोगों को नियमों
की आड़ लेकर वंचित करना, निश्चय ही सरकार की विफलता की ओर इशारा कर रहा है ।
इस गलत नियम के कारण ,बीमार, वृद्ध, महिला , बच्चों की शिक्षा
व् परिवार के सदस्यों की मानसिक व् आर्थिक स्तिथि पर बुरा प्रभाव
पड़ रहा है। बिजली के नए कनेक्शन के लिए इस तरह की मारा- मारी देखकर लोगों को दिल्ली में
डेसू ( DESU-) की याद
आ रही है , जो नियम क़ानून के कारण
अनधिकृत कालोनी में बिजली देने में असमर्थ था। इसी
कारण बिजली चोरी से उसे भयंकर घाटा उठाना पड़ता
था।
दिल्ली सरकार को बिजली के नए कनेक्शन की समस्या को हल करने
के लिए कदम उठाने चाहिए।