इक दिन ऐसा आएगा।
भारत देश खिल जायेगा।।
समाज में व्याप्त कुरीतियां
समाज से दूर हो जायेगी ।
नन्हा सूरज चांद सितारे संग
जमीं पर उतर कर आयेगा।।
धर्म, जाति, राजनीति के नाम पर
जनता को नहीं ठगा जायेगा।
सोने की चिड़िया मेरा भारत
विश्व गुरु बन जग में छा जायेगा।।
फूलों की खुशबू से महकता भारत
गुल गुलशन बन खिल जायेगा।
प्रेम मुहब्बत में जनता होगी
नफ़रत, घृणा, युद्ध सब खत्म हो जाएगा।।
दुख सुख दोनों में इंसानियत ईमानदारी होगा
गरीब अमीर का भेद जहां से मिट जायेगा।।
हम रहें ना रहें इस दुनिया में अंश लेकिन
हमारी संतति लोक तंत्र को मजबूत कर जायेंगी।
जनतंत्र का शासन होगा भारत भूमि पर
खुशियों का सूरज नवगीत गुनगुनायेगा।।