जज्बातों के भंवर में
उलझती जा रही हूं मैं।
अरमानों के अभाव में
जिये जा रही हूं मैं।।
ऐतबार के ऐतबार में
छली जा रही हूं मैं।
जिन्दगी तुझे हर कदम पे
बर्दाश्त किए जा रही हूं मैं।।
इम्तिहान देते देते थक गई हूं मैं।
बोझिल हृदय के साथ साथ
बोझिल हो गई हूं मैं।।
तरस खा मुझ पर ऐ जिन्दगी
थोड़ी देर ठहर ले अब तू जिंदगी।।
इम्तिहान लेते लेते तू थक गई होगी।
सांस ले लें फिर आजमाना मुझे तू जिंदगी।।
पांखड का साम्राज्य फैला है चहुंओर।
मन घबराता है हर पल जिन्दगी।।
सब छोड़ कर कहीं चल ना दूं मैं अंश
हमें हमेशा याद करेंगी तू जिंदगी।।
हमें हमेशा याद करेंगी तू जिंदगी।।।