फाल्गुन मास में शिव शम्भू ने
मां गौरी संग खेलना चाहा रंग गुलाल।
दल बल लेकर कैलाशी चले
पत्नी गौरा से मिलने ससुराल।।
हृदय उमंग से भर भर जाता
पांवों में लगा वायु वेग।
नंदी भृंगी संग गण,भूत, पिशाच
भस्म रमाए शिव शम्भू महेश।।
फाल्गुन मास में कामदेव रति संग
प्रेम की पराकाष्ठा में बढ़ाते प्रीत।
शिव पार्वती के विरह में
निभाने चलें प्रीत की रीत।।
सारा जहां उमंगित हो डोला
देव भूमि हिमाचल में
गूंजा खुशियों का गीत।
शिव पार्वती संग रंग खेलें
मन में उमंगित हो गई प्रीत।।
तबसे धरती पर होली की मस्ती
हर हृदय में उठती खिलती।
बच्चे, बूढ़े और जवान
हर उम्र में छाई फाल्गुन की मस्ती।।
कृष्ण संग राधा ने भी खेली थी
फूलों की होली।
बरसाने में तबसे चलती है
लठ्ठमार होली।।
फाल्गुन मास मस्ती का आलम।
जिसमें डूबे हरेक तन मन।।