एक इंसान के तौर पर मैंने सीखा कि आपको दूसरे इंसान के व्यवहार के हिसाब से खुद कीसोच को एडजस्ट करना पड़ता है।-अश्विनी कुमार मिश्रा
वक्त की पुरानी अलमीरा से एक याद.. वक्त आने जाने का नाम है लेकिन आप अपने काम से वक्त के हिस्से से कुछ यादें संभाल कर रखते हैं। यही यादें हैं जो आपको बदलाव का आइना दिखाती है। कमरें के कोने से लेकर छत की धूप तक ले जाता था यह काम। खैर काम तो सर्द दर्द है। यही काम ही तो नहीं हो पा रहा था। काम का रोना ही
कोरोना काल में ऐसा भी क्या आर्थिक संकट की एक या दो महीने का बेकअप भी नहीं है। मार्च से पहले करोड़ों-अरबों का बिज़नेस करने वाले भी छाती पीट रहे है कि धंधा चौपट हो गया है। सोचने वाली बात है कि जब हाई क्लास बिज़नेस करने वालों के ये हाल है तो उन बेचारे दैनिक दिहाड़ी वालों का क्या हाल होगा। जिनमे से ज्यादातर
अज्ञान अज्ञान जैसाशत्रु दूसरा नहीं - चाणक्य अपने शत्रु सेप्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो - ईसा अज्ञानी होनामनुष्य का असाधारण अधिकार नहीं है बल्कि स्वयं को अज्ञानी जानना ही उसकाविशेषाधिकार है - राधाकृष्णन अशिक्षित रहनेसे पैदा ना होना अच्छा है क्योंकि अज्ञान ही सब विपत्ति का मूल है अज
गुप्त रहस्य छिपाये रखिएन दूसरों से इतने खुल जाइये कि दूसरों को आपमें कुछ आकर्षण ही नहीं रहे, न इतने दूर ही रहिये कि लोग आपको मिथ्या अभिमानी या घमंडी समझें। मध्य मार्ग उचित है। दूसरों के यहाँ जाइये, मिलिए किन्तु अपनी गुप्त बातें अपने तक ही सीमित रखिए। “आपके पास बहुत सी उपयोगी मंत्रणायें, गुप्त भेद, ज