बैठ जाइए. बैठ जाइए. धड़कते सीने पर से हाथ हटा लीजिए. माथे का पसीना पोंछ लीजिए. सूखते गले को थोड़ी रूह-अफज़ा की तरावट दीजिए. अब थोड़ा सा ‘महेंद्र सिंह धोनी’ होकर (कूल यार!) हमारी बात सुन लीजिए. ऊपर जो हेडिंग आप पढ़ के यहां दौड़े-दौड़े आए हैं, वो बात हम नहीं कह रहे हैं. श्रीलंका के पुराने कप्तान अर्जुना रणतुंगा के ख़यालात हैं ये. वही रणतुंगा जिन्होंने अपनी कप्तानी में 1996 में श्रीलंका को वर्ल्ड कप जितवाया था. रणतुंगा कह रहे हैं कि उन्हें श्रीलंका की हार से बहुत धक्का लगा था उस वक़्त. अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट कर के बोले, “मैं उस वक़्त इंडिया में कमेंट्री कर रहा था. जब हम हारे, तब मैं बहुत निराश हुआ. फिर मुझे शक भी हुआ (फिक्सिंग का). हमें इस बात की जांच करनी चाहिए कि श्रीलंका की टीम को उस वक़्त क्या हुआ था?” हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रणतुंगा ये भी बोले कि मैं अभी सब कुछ नहीं बताऊंगा, लेकिन एक दिन भांडा फोड़ दूंगा. पता नहीं किस दिन के लिए बचा के रख रहे अपना परमाणु बम रणतुंगा साहब. उनका कहना है कि खिलाड़ी अपने सफ़ेद कपड़ों के नीचे की गंद छुपा नहीं पाएंगे. 6 साल हो गए हैं वर्ल्ड कप का फाइनल हुए. रणतुंगा साहब को अब याद आया है कि मामला गड़बड़ था. खैर, आया सो आया, लेकिन ये भी तो नहीं बता रहे कि ऐसा वो काहे वास्ते बोल रहे? शक़ की कोई वजह भी तो होती है. (खबरदार जो किसी ने ये कहा कि ख़बरों में बने रहने की चाहत!). अर्जुना रणतुंगा साहब को कोई सीरियसली ले न ले, हमने ले लिया है. उनके इल्ज़ामात के बाद हमने मैच के हाइलाइट्स फिर से देखे. हमें भी लगने लगा है कि ये मैच फिक्स था. ये रही उसकी 5 वजहें: उस वक़्त अपने प्राइम फॉर्म में चल रहे महेला जयवर्धने ने सेंचुरी ठोकी थी उस दिन. वो घर से ही ‘फिक्स’ कर के आए थे कि शतक ज़रूर मारेंगे. ऐसा किया भी. हालांकि उनकी ये फिक्सिंग श्रीलंका के किसी काम न आई. सचिन और मलिंगा ने अंबानी के घर बैठ कर ये वाली फिक्सिंग की थी. ‘मुंबई इंडियंस’ के लिए दोनों ही खेल ते थे. मलिंगा ने सचिन से कहा, भाई आप आउट हो जाओ, आपने तो वैसे भी ढेर लगा रखा है रनों का. आप यहां आउट हो जाओ, मैं आईपीएल जितवा दूंगा मुंबई इंडियंस को. सचिन मान गए और जानबूझकर आउट हो गए. विराट को लपक कर थाम लिया था दिलशान ने. हवा में उड़ते हुए. तमाम भारतीय समर्थकों के प्राण हलक में आ फंसे थे. दरअसल दिलशान उस दिन अपने हाथों में गोंद मलकर आए थे. जैसे ही विराट ने गेंद सामने मारी, फच्च से दिलशान के हाथों में आ कर ‘फिक्स’ हो गई. सहवाग जैसे मुखर (मुंह और बल्ले दोनों से) खिलाड़ी के साथ खेलते हुए गौतम गंभीर उतना ज़्यादा फोकस खुद पर नहीं बना पाए कभी. ऐसे में उस बड़े स्टेज पर वो सोच कर आए थे कि इस प्रॉब्लम को ‘फिक्स’ कर देना है. जड़ से मिटाना है. ऐसी बावली इनिंग खेल गया वो आदमी उस दिन कि जीत के मुहाने पर टीम को ला छोड़ा. ये आदमी है असली सूत्रधार. इसने वर्ल्ड कप के पहले मैच से ही ये बात ‘फिक्स’ कर ली थी कि टीम को जितवा के ही दम लेगा. सारे दांव खेले इसने. अच्छी कप्तानी की, शानदार बैटिंग की, उम्दा विकेटकीपिंग की. इतनी ग्रैंड लेवल की फिक्सिंग की बंदे ने कि कप लेकर ही आया. और वो आख़िरी छक्का! वो तो शानदार नमूना था ‘कप-फिक्सिंग’ का. उसी छक्के से ये ‘फिक्स’ हुआ कि कप को इंडिया के लड़ाके थामेंगे. दोस्तो, अपने लड़कों ने ढेर सारी मेहनत की थी उस साल. ये ‘फिक्स’ कर लिया था कि जीतना ही है वर्ल्ड कप. उसी फिक्सिंग का नतीजा था वानखेड़े का वंडर. बाकी फिक्सिंग के इल्ज़ाम तो कोई भी बंदा ‘फिक्स’ के हवाले होकर लगा सकता है (इस वाले ‘फिक्स’ का मतलब नशेड़ियों से पूछिए) बाकी ये वीडियो देख के यादें ताज़ा कर लीजिए 2 अप्रैल 2011 की. वाह!महेला जयवर्धने का शतक
सचिन का विकेट
दिलशान का कैच
गंभीर की गंभीरतम इनिंग
धोनी का छक्का