हर साल 22 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, इस दिन पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत किसने, कब और क्यों की? क्या है पृथ्वी दिवस 2023 की थीम। साथ ही दे
जब भी जलवायु परिवर्तन की बात होती है । ना जाने कहाँ से उस विशाल अजगर की कहानी ज़ेहन में तैरने लगती है ,जो इतना विशाल था जितना स्वयं में एक टापू हो। जिसकी सुषुप्त अवस्था में उसके तन पर हरे भरे मैदान को
हरियाली रूपी सौन्दर्यो से माँ वसुंधरा सुसज्जित थी। वृक्षो के आवरण से माँ धरती सुरक्षित थी। ना वायुमंडल का ताप बढ़ रहा था ना ओजोन लेयर की चिंता थी। सोढ़ी सी मिट्टी की खुशबू में कट रही अलबेली जिंदगी थ
हम हमेशा यह सोचते हैं यह दुनिया किसने बनाई,
इतना सुंदर संसार की र
पर्यावरण की सुरक्षा औरसंरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए पूरे विश्व में 5 जून को “विश्व पर्यावरणदिवस” के रूप में मनाया जाता है । इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्तराष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972में की थी । इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वार
प्रकृति और जीवन विश्व के दो महाद्वीपों के कुछ हिस्सों में हाथियों का साम्राज्य है। एशिया महाद्वीप में ऍलिफ़स और उसके संतान मैक्सिमस, इन्डिकस और सुमात्रेनस का साम्राज्य है और अफ्रीका में लॉक्सोडॉण्टा और उसके संतान अफ़्रीकाना और साइक्लोटिस का। गर्मियों के दिन शुरू होने वाले थे। मैक्सिमस, इन्डि
सागर की लहरें...सागर की लहरें किनारे से बार-बार टकरातीचीखती उफान मारती रह-रहकर इतरातीमन की बेचैनी विह्वलता साफ झलकतीसदियों से जीवन की व्यथा रही छिपाती पर किनारे पहुँचते ही शांत सी हो जातीवह अनकही बात बिना कहे लौट जातीअपने स्पर्श से मन आल्हादित कर जातीसंग खेलने के लिए उत्साहित हो उकसातीजैसे ही हाथ बढ़
यह फूल इस सृष्टि का अनमोल उपहार है। कितना सुंदर, मनमोहक और आकर्षक है। वास्तव में प्रकृति की दी हुई हर चीज सुंदर होती है। जिसमें फूलों की तो बात ही कुछ और होती है। रंग विरंगे फूल अपने रंग रूप और सुगंध को फैला देते हैं। जिससे प्रकृति के रूप सौंदर्य में और अधिक निखार आ जाता है। जबकि इन फूलों का जीवन स
हरे भरे पेड़ों पर ही तो पंछी गाते गान सुरीला जी हाँ,मिल जुलकर यदि वृक्षारोपण करते रहे तो पर्यावरण प्रदूषण की समस्या कोई समस्या नहींरह जाएगी... आइये मिलकर संकल्प लें कि हर वर्ष कम से कम एक वृक्ष अवश्य आरोपितकरेंगे और अकारण ही वृक्षों की कटाई न स्वयं करेंगे न किसी को करने देंगे... पर्यावरणदिवस सभी को व
*पंचतत्त्वों से बने मनुष्य को इस धरा धाम पर जीवन जीने के लिए मनुष्य को पंचतत्वों की आवश्यकता होती है | रहने के लिए धरती , ताप के लिए अग्नि , पीने के लिए पानी , सर ढकने के लिए आसमान , एवं जीवित रहने के लिए वायु की आवश्यकता होती है | मनुष्य प्रत्येक श्वांस में वायु ग्रहण करता है | श्वांस लेने के लिए
प्रत्येक गृहस्थी में रोज सब्जियों व फलों के छिलके फेंके जाते हैं जोकचरे के साथ पर्यावरण में गन्दगी फैलाते हैं; गैस पैदा करते हैं और सड़ कर नष्ट होजाते है. थोड़े से ही ध्यान और कष्ट से इन छिलकों को घर में ही compost में बदलसकते हैं. यह कम्पोट आपके घरेलु बाग़ में ही काम आ
प्रकृति की, स्तब्धकारी ख़ामोशी की, गहन व्याख्या करते-करते, पुरखा-पुरखिन भी निढाल हो गये, सागर, नदियाँ, झरने, पर्वत-पहाड़, पोखर-ताल, जीवधारी, हरियाली, झाड़-झँखाड़,क्या मानव के मातहत निहाल हो गये?नहीं!... कदापि नहीं!!औद्योगिक क्राँति, पूँजी का ध्रुवीकरण, बेचारा सहमा सकुचाया मा
विश्व पर्यावरण दिवसमनुष्य ही नहीं समस्तप्राणीमात्र – सृष्टि के समस्त जीव - इस स्वयंभू शाश्वत और विहंगम प्रकृति का अंगहै | इसी से समस्त जीवों की उत्पत्ति हुई है | प्रकृति के विकास के साथ ही हम सबकाभी विकास होता है यानी विकास यात्रा में हम प्रकृति के सहचर हैं – सहगामी हैं |प्रदूषित पर्यावरण के द्वारा
हम चार मंजिला बिल्डिंग के सबसे निचले वाले माले में रहते हैं। यूँ तो सरकारी मकानों में सबसे निचले वाले घर की स्थिति ऊपरी मंजिलों में रहने वाले लागों के जब-तब घर-भर का कूड़ा-करकट फेंकते रहने की आदत के चलते कूड़ेदान सी बनी रहती है, फिर भी यहाँ एक सुकून वाली बात जरूर है कि बागवानी के लिए पर्याप्त जगह न
रहम करे अपनी प्रकृति और अपने बच्चो पर , आप से बिनम्र निवेदन है ना मनाया ऐसी दिवाली गैस चैंबर बन चुकी दिल्ली को क्या कोई सरकार ,कानून या धर्म बताएगा कि " हमे पटाखे जलाने चाहिए या नहीं?" क्या हमारी बुद्धि और विवेक बिलकु
शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने यहां स्वर्ण मंदिर की सामुदायिक रसोई में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए बायोगैस संयंत्र लगाने का फैसला किया है. स्वर्ण मंदिर के रोजाना मामलों से निपटने वाली संस्था एसजीपीसी ने आज कहा कि इस धार्मिक स्थल को पर्यावरण अनुकूल बनाने
मध्य प्रदेश की प्रियंका भदोरिया ने शादी से पहले ससुराल वालों के सामने एक ऐसी डिमांड रख दी जिसे सुनकर सबके कान खड़े हो गए.प्रियंका ने अपने ससुराल वालों से साफ कह दिया कि जब तक वे 10 हजार पौधे नहीं लगाएंगे, वो शादी नहीं करेंगी. ससुराल वालों को ये सुनना थोड़ा अजीब जरूर लगा ल
World Environment Dayविश्व पर्यावरण दिवस आज “विश्व पर्यावरण दिवस” मनाया जा रहा है और सुबह से ही पर्यावरण की सुरक्षा तथा वृक्षारोपण के सम्बन्ध में Forwarded Messages विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर घूम रहे हैं | पर्यावरण की रक्षा के लिए कई
हर साल 5 जून को ’विश्व पर्यावरण दिवस’ ( World Environment Day) मनाया जाता है । यह दिन पर्यावरण के ज्वलंत मुद्दों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का प्रमुख साधन है ।इतिहास