अर्धचंद्र मस्तक पर साजे
पञ्चमं स्कन्दमाता सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी, परापराणां परमा
हम हमेशा यह सोचते हैं यह दुनिया किसने बनाई,
इतना सुंदर संसार की र
वेद आर्यावर्त एवम् सनातन धर्म के आधारभूत प्राचीनतम ग्रन्थ हैं। महर्षि कृष्ण द्वैपायन
तृतीय और चतुर्थ नवरात्र कल आश्विन शुक्ल तृ
जटा जूट शेखरम्,
ग्रीवा भुजंग महेश्वरम्
शीश गंग, भाल चंद्र,
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
🙏🙏🙏🙏शुभ नवरात्री 🙏🙏🙏🙏 हृदय को तेरा मंदिर बनाकर ,तेरी छवि बसाऊं मन को
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