तृतीय और चतुर्थ नवरात्र
कल आश्विन शुक्ल तृतीया और चतुर्थी दोनों ही हैं… वास्तव में तो आज प्रातः 10:49 पर तृतीया तिथि का आरम्भ हो चुका है जो कल प्रातः 7:49 तक रहेगी… उसके बाद चतुर्थी तिथि का आगमन होगा जो दस तारीख को सूर्योदय से पूर्व 4:55 पर ही
समाप्त हो जाएगी… अर्थात चतुर्थी को सूर्योदय प्राप्त न होने के कारण चतुर्थी की हानि हो गई है... अतः माँ भगवती के तृतीय रूप चन्द्रघंटा और चतुर्थ रूप कूष्माण्डा - दोनों रूपों की उपासना कल ही की जाएगी... माँ चन्द्रघंटा तथा कूष्माण्डा के रूप में माँ भगवती सबके सारे कष्ट दूर कर हम सबका शुभ करें यही कमाना है... कात्ययानी...
