16 जून 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म आदिपुरूष आजकल खूब सुर्खियां बटोर रही है जिसके पीछे का कारण इसके पात्रों का चरित्र चित्रण और उनके द्वारा बोले गए डायलॉग हैं।
फिल्म के टीजर के समय भी पूरे देशभर में फिल्म का जमकर विरोध किया गया जिसको मद्देनजर रखते हुए फिल्म को सिनेमाघरों में लाने से पहले निर्माता द्वारा उसको ठीक करने की बात सामने आई थी । आदिपुरुष में पहले से ही 500 करोड़ रुपए लगाए जा चुके थे और उसको ठीक करने के लिए 100 करोड़ की अतिरिक्त लागत लगी लेकिन फिर भी दर्शकों को इस फिल्म से निराशा ही प्राप्त हुई ।
विवाद का कारण:
आदिपुरुष भारतीय सनातन की एतिहासिक कथा रामायण से प्रेरित होकर बनाई है और इस फिल्म के सभी पात्र भी रामायण के पात्र को ही दर्शाते हैं जैसे अभिनेता प्रभास - राघव (श्री राम), सैफ अली खान- लंकेश (रावण) और अभिनेत्री कृति सेनन - सीता (जानकी) आदि और इसी कारणवश कहीं न कहीं इस फिल्म की तुलना रामायण से की जा रही है ।
दर्शकों को इसके पात्रों की वेशभूषा , भाषा का प्रयोग और फिल्म में प्रयोग किए गए VFX कदापि नहीं भाए हैं उनका कहना है कि रावण की लंका काले पत्थर कैसे हो सकती है और रावण के दस सिर तो थे लेकिन पाँच ऊपर और पाँच नीचे ये कैसे हो सकता है।
वहीं फिल्म के डायलॉग राइटर (मनोज मुंताशीर शुक्ला) का काम लोगों को बिलकुल पसंद नहीं आ रहा है क्योंकि फिल्म में बहुत ही निज स्तरीय भाषा का प्रयोग किया गया है। जैसे,
1: कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का , आग भी तेरे बाप की, और जलेगी भी तेरे बाप की।
2: मेरे एक सपोले ने तेरे शेषनाग को लंबा कर दिया, अभी तो पूरा पिटारा बाकी है।
3: जो हमारी बहनों को देखेगा उसकी लंका लगा देंगे।
4: तेरी बुआ का बगीचा है जो घूमने चला आया।
दर्शकों के अनुसार अगर बात की जाए सीता हरण वाले दृश्य की तो फिल्म में लंकेश माता जानकी को चमगादड़ जैसे दिखने वाले भयावय जीव के ऊपर बांधकर हरण करके लंका लेके गया था जिसको देखने के बाद दर्शकों को इस दृश्य पर भी आपत्ति जताई है।
लेकिन इन सब के बाद भी फिल्म ने अच्छी खासी कमाई कर ली है दर्शकों में इस फिल्म को देखने के लिए काफी जिज्ञासा भी दिखाई दे रही है।
फिल्म के विपरीत प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मनोज शुक्ला ने डायलॉग को बदलने का फैसला लिया है, लेकिन इससे पहले ही नेपाल की राजधानी काठमांडू में भारतीय फिल्मों पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि उनके अनुसार यह फिल्म रामायण और उनकी भावनाओं के साथ खेलने जैसा है।
निष्कर्ष: हमारा भारत देश हिंदू (सनातन) धर्म को पूर्णरूप से अपना इतिहास और अपना स्वाभिमान मानता है और देश के प्रत्येक वासी अपने इतिहास को अपने परंपरागत रूप में ही स्वीकार करते हैं और यदि कोई इसके साथ किसी भी प्रकार का परिवर्तन या नवीनीकरण किया जाता है तो उसको सभी अपने स्वाभिमान के साथ अनुचित मानते हैं जिसके कारण इन विषयों पर फिल्म बनाने के लिए अत्यधिक सहजता और कुशलता का होना आवश्यक है।