आज का विषय राष्ट्रीय बालिका दिवस
वर्तमान समय में देश की बेटियों ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। प्रतिदिन देश की बेटियाँ हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर देश का नाम रोशन कर रही है। ऐसे में समाज में बेटियों को बराबरी का हक़ दिलाने एवं सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन किया जाता है। आज भी देश में बेटियों के जन्म को लेकर विभिन प्रकार की सामाजिक धारणाएँ व्यापत है जिसका खामियाजा मासूम बच्चियों को भुगतना पड़ता है। विभिन सामाजिक अंधविश्वासों एवं सामाजिक भ्रांतियों के कारण लम्बे समय से बालिका शिशु के जन्म को समाज में अभिशाप माना जाता रहा है। इसका परिणाम यह है की कन्या शिशु को जन्म से पूर्व ही कोख में मार दिया जाता है। वही कई बालिकाओं को जन्म के बाद लड़को के समान अधिकार प्राप्त नहीं होते एवं लैंगिक भेदभाव के कारण उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं अन्य अवसरों हेतु बराबरी का अधिकार नहीं दिया जाता है। ऐसे में बालिकाओं को अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में विभिन समस्याओ से जूझना पड़ता है और इसलिए राष्ट्रीय बालिका दिवस के माध्यम से जागरूकता के द्वारा देश की बालिकाओं की स्थिति को और बेहतर करने के प्रयास किए जाते है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की गई थी। इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 को भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी। इसलिए, भारतीय इतिहास, महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में चुना गया था।
राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य देश में बालिकाओ के अधिकार के प्रति जागरूकता फैलाना है। भ्रूण हत्या, बालिकाओं के जन्म को लेकर फैले अन्धविश्वास एवं लड़कियों को लड़कों के मुकाबले कमतर आँकना एवं उन्हें विभिन क्षेत्र में बराबरी के हक़ से वंचित रखने जैसे मुद्दों को इस दिवस के माध्यम से उठाया जाता है।
इस दिवस के माध्यम से लैंगिक आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने एवं समाज के हर क्षेत्र में बालिकाओं को बराबरी का हक़ देने के लिए विभिन कार्यक्रम संचालित किए जाते है। बालिका दिवस के माध्यम से सभी नागरिकों को बालिकाओं की शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने एवं बेटियों को भी बराबरी का हक़ देने के लिए विभिन जागरूकता कार्यक्रम एवं योजनाएँ संचालित की जाती है।
लेख का अंत एक कविता से करते हैं ......
फूलों सी नाज़ुक, चाँद सी उजली मेरी गुड़िया।
मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी सी दुनिया।।
सरगम से लहक उठता मेरा आंगन।
चलने से उसके, जब बजती पायलिया।।
जल तरंग सी छिड़ जाती है।
जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया।।
गद -गद दिल मेरा हो जाये।