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आत्म साक्षात्कार - एक अनोखा साक्षात्कार

22 अक्टूबर 2024

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अस्पताल के कमरे में हल्का अंधेरा था। मशीनों की बीप-बीप की आवाज़ें वातावरण को और भी गंभीर बना रही थीं। रामेश्वर, जो 75 वर्ष के थे, अपने जीवन की अंतिम सांसें गिन रहे थे। परिवारजन बाहर बैठे थे, लेकिन रामेश्वर अब उनसे अलग, एकांत में थे। उनकी आँखें बंद थीं, लेकिन मन जागरूक था।

अचानक, कमरे में एक ठंडी हवा चली, और जब रामेश्वर ने अपनी आँखें खोलीं, तो उनके सामने एक दिव्य आकृति खड़ी थी। गहरे काले वस्त्र, मुकुट पर चमकते नगीने, और हाथ में एक विशाल गदा। यह कोई और नहीं, बल्कि यमराज थे।
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रामेश्वर ने घबराते हुए कहा, “आप… आप कौन हैं?”

यमराज ने गंभीरता से कहा, “मैं यमराज हूँ। तुम्हारा समय आ गया है, रामेश्वर। तुम्हें अब मेरे साथ चलना होगा।”

रामेश्वर की आँखों में डर था, “क्या यह मेरा अंत है?”

यमराज ने सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ, लेकिन जाने से पहले, कुछ सवाल हैं जिनके जवाब तुमसे चाहिए।”

रामेश्वर ने गहरी साँस ली और कहा, “सवाल? किस तरह के सवाल?”

यमराज ने अपनी गदा जमीन पर टिकाते हुए कहा, “सबसे पहला सवाल—तुमने जीवन में सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानी?”

रामेश्वर ने कुछ सोचते हुए उत्तर दिया, “मैंने अपने परिवार का पालन-पोषण किया, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दी, और अपने व्यवसाय को ऊँचाइयों तक पहुँचाया। मैंने हमेशा मेहनत की और समाज में अपनी पहचान बनाई।”

यमराज ने गंभीर होकर कहा, “ये तो भौतिक उपलब्धियाँ हैं। लेकिन क्या तुमने कभी आत्म-संतोष या मन की शांति के बारे में सोचा?

रामेश्वर थोड़ा असहज होते हुए बोले, “सच कहूँ, तो नहीं। मैंने हमेशा दूसरों की जरूरतों को प्राथमिकता दी, पर अपने मन की शांति के बारे में ज्यादा नहीं सोचा।”

यमराज ने फिर सवाल किया, “तुमने कभी अपने जीवन के असली उद्देश्य को समझने की कोशिश की? जीवन का मतलब सिर्फ परिवार और काम ही नहीं होता, रामेश्वर।”

रामेश्वर चुप हो गए। उन्होंने गहरी साँस ली और कहा, “मैंने सोचा था कि परिवार का ख्याल रखना और समाज में प्रतिष्ठा बनाना ही सब कुछ है।”

यमराज ने गहरी आवाज़ में पूछा, “क्या तुम्हें याद है कि तुम्हारे जीवन में ऐसा कोई क्षण आया हो, जब तुमने किसी को बिना स्वार्थ के मदद की हो? निस्वार्थ प्रेम और सेवा ही असली जीवन है।”

रामेश्वर ने कुछ देर सोचकर कहा, “मैंने कई बार दूसरों की मदद की, लेकिन वह भी एक जिम्मेदारी की तरह लगा, जैसे कुछ पाने के लिए ही किया हो।”

यमराज ने धीरे से हंसते हुए कहा, “यह ही तो असली कमी है। तुमने हमेशा दूसरों के लिए किया, लेकिन भीतर से नहीं, बल्कि एक सामाजिक कर्तव्य के रूप में।”

रामेश्वर की आँखों में अफसोस झलकने लगा। उन्होंने पूछा, “तो क्या मैंने सारा जीवन गलत दिशा में बिताया?”

यमराज ने उत्तर दिया, “गलत नहीं, पर अधूरा। तुमने अपने जीवन को एक बाहरी दुनिया में बिताया, लेकिन कभी अपने भीतर की ओर नहीं देखा। आत्म-साक्षात्कार ही सच्ची उपलब्धि है।”

रामेश्वर ने कुछ आश्चर्य से पूछा, “आत्म-साक्षात्कार? इसका क्या मतलब है?”

यमराज ने समझाते हुए कहा, “आत्म-साक्षात्कार का मतलब है, अपने भीतर झांकना। अपने असली रूप को पहचानना। यह जानना कि जीवन केवल भौतिक सुखों और प्रतिष्ठा का नहीं, बल्कि अपने अंतर्मन की शांति और दूसरों की निस्वार्थ सेवा का नाम है।”

रामेश्वर की आँखों में आँसू आ गए। रामेश्वर ने सिर झुकाकर कहा, “अब मुझे यह समझ आ रहा है। लेकिन क्या अब बहुत देर हो गई है? क्या मैं कुछ बदल सकता हूँ?”

यमराज ने कहा, “तुमने जीवन की असली सच्चाई को पहचाना, और यही सबसे महत्वपूर्ण बात है। तुम चाहो, तो मैं तुम्हें जीवन वापस दे सकता हूँ।”

रामेश्वर ने चौंकते हुए कहा, “आप मुझे जीवन वापस देंगे? मतलब, मैं फिर से जी सकता हूँ?”

यमराज ने सिर हिलाया, “हाँ, तुम फिर से जी सकते हो, लेकिन अब वह जीवन तुम्हारी समझ के साथ होगा। तुम अपने गलतियों को सुधार सकते हो, आत्मा की शांति और सच्ची सेवा के साथ अपना जीवन जी सकते हो।”

रामेश्वर कुछ देर तक सोचते रहे। उनकी आँखों में एक अलग ही चमक आई। उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा, “यमराज, अब मैं समझ चुका हूँ कि जीवन का असली अर्थ क्या है। लेकिन अब मैं जीवन को पुनः प्राप्त नहीं करना चाहता। मैंने जो सीखा है, उसे अपने अंत के साथ स्वीकार कर सकता हूँ। मैंने जीवन की कठिनाइयों और उपलब्धियों का अनुभव किया है। अब मैं शांति से मृत्यु को गले लगाना चाहता हूँ।”

यमराज ने गौर से रामेश्वर को देखा और फिर मुस्कराते हुए कहा, “तुमने सही निर्णय लिया है, रामेश्वर। मृत्यु कोई अंत नहीं है, यह एक नई शुरुआत है। तुम्हारा आत्म-साक्षात्कार तुम्हें अगले जीवन में मार्गदर्शन देगा।”

रामेश्वर ने शांत स्वर में कहा, “अब मुझे कोई डर नहीं है, यमराज। मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूँ।”

यमराज ने अपना हाथ रामेश्वर की ओर बढ़ाया, और रामेश्वर ने बिना किसी भय के वह हाथ थाम लिया। यमराज के साथ वह आत्मा अब एक नई यात्रा पर निकल पड़ी—लेकिन इस बार, पूरी शांति और संतुष्टि के साथ।
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रचनाएँ
मेरी दैनिक लेखनी
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दैनिक लेखन के लिए समर्पित
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राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 25 जनवरी

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बजट से मिडिल क्लास की उमीदें

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       महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के पीछे कई कारण हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण भगव

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मातृभाषा का अर्थ :   मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ हैं, माँ की भाषा। जिसे बालक माँ के सानिध्य में रह कर सहज रूप से सुनता और सीखता है। ध्यान योग बात यह है कि मातृभाषा को बालक माता-पिता, भाई-बहन अन्य परिवार

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दौड़ अभी बाकी है|

9 मार्च 2023
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आज का विषय : निरंतरता ही सफलता की कुंजी है  | कहानी के रूप में..... आज शुक्ला जी बेटा चार साल बाद घर वापस आ रहा है उनका बेटा विदेश में अपने कारोबार को स्थापित करने गया था और आज उनका बेटा (सार्थक)

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भारतीय शैक्षणिक डिग्रियों को ऑस्ट्रेलिया में मान्यता

10 मार्च 2023
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आज का विषय : भारतीय शैक्षणिक डिग्रियों को ऑस्ट्रेलिया में मान्यता दी जाएगी   भारत अपनी भविष्यवादी शिक्षा नीतियों के चलते दुनिया भर में अलग पहचान स्थापित कर रहा है। इसका ताजा उदाहरण भारत के दौरे पर

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AI का युग - चैट जीपीटी

17 मार्च 2023
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आज का विषय : चैटजीपीटी चैटजीपीटी एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भाषा मॉडल है जो प्राकृतिक भाषा प्रोग्रामिंग (NLP) में उपयोग किया जाता है। यह GPT-3.5 आर्किटेक्चर पर आधारित है जो ओपन ला

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ख़ुशी का सार

20 मार्च 2023
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खुशी एक ऐसी भावना है जो हमारे मन को संतुष्ट करती है और हमें जीवन के अनुभवों से खुश रखती है। यह हमारे मन और शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह हमें स्वस्थ और सकारात्मक बनाती है। खुशी के मनो

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यह बचपन फिर लौट कर आता नहीं

27 मार्च 2023
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आज का विषय: अलविदा बचपनएक कविता के रूप में......खिलखिलाती सी एक उम्र को जी लियाएक मुस्कराहट से हर गम को पी लियाऊँगली थाम के अब कोई चलाता नहींयह बचपन फिर लौट कर आता नहींन भूख की चिंता थी और न थी कल की

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पिता की पीड़ा

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आज एक पिता अपने मन की भावना को लिख रहा है है जिसने अपनी बेटी की दुर्दशा को शब्दों में व्यक्त किया है।नटखट सी थी वो थोड़ी, थोड़ी शैतान थी।बेटी नहीं थी वो मेरी नन्ही सी जान थी।थोड़ी सी थी वो चंचल थोड़ी

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आदिपुरुष एक फिल्म या भावना

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16 जून 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म आदिपुरूष आजकल खूब सुर्खियां बटोर रही है जिसके पीछे का कारण इसके पात्रों का चरित्र चित्रण और उनके द्वारा बोले गए डायलॉग हैं।फिल्म के टीजर के समय भी प

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संदेशखाली घटना

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पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखाली पिछले दो माह से सुर्खियों में है. ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद अब टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर महिलाओं पर अत्याचार करने और उनका यौन उत्

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गोपाल जन्मोत्सव

26 अगस्त 2024
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गोपाल का जन्म हुआ, मथुरा नगरी आई बहार,कंस के कारागार में, छाया आनंद का संसार।यशोदा के नंदलाला, वसुदेव-देवकी के लाल,तोड़ दीं सब बेड़ियाँ, खुल गए बंदीगृह के ताल।कृष्णा की लीला न्यारी, माखन-चोर बन खेले र

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सरिता की मुस्कान

12 सितम्बर 2024
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सरिता एक घरेलू महिला थी ,सरीता के चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान होती थी। एक ऐसी मुस्कान, जिसे देखकर कोई भी कह सकता था कि वह दुनिया की सबसे खुशहाल महिला है। लेकिन उसकी मुस्कान का सच सिर्फ वही जानती थी। सरी

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भारत के अनमोल रत्न: रतन नवल टाटा

10 अक्टूबर 2024
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रतन नवल टाटा का निधन भारत और दुनिया भर में उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने अपनी लगन, मेहनत और समाज के प्रति जिम्मेदारी के भाव से न केवल टाटा समूह बल्

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बहराइच हिंसा

16 अक्टूबर 2024
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बहराइच में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने पूरे क्षेत्र में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। यह घटना तब शुरू हुई जब एक धार्मिक जुलूस के दौरान दूसरे समुदाय के लोगों से विवाद की स्थिति उत्पन

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शरद पूर्णिमा

16 अक्टूबर 2024
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शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व शरद ऋतु क

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कसक अधूरे प्रेम की....

17 अक्टूबर 2024
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घर के आंगन में रोहित की तस्वीर के सामने एक दिया जल रहा था। हर चेहरा उदास, हर आँख नम, और हर दिल भारी था। नीति को घेरे हुए रोहित की माँ और बहनें उसे ताने दे रही थीं, मानो उसकी वजह से ही सब कुछ बर्बाद हो

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संगिनी

21 अक्टूबर 2024
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नोट: कहानी उस समय पर आधारित है जब सती प्रथा प्रचलित थी।एक छोटे से गांव में एक हृदयविदारक दृश्य उभर रहा था। सात साल की छोटी सी बच्ची, जिसके सिर से बाल हटाकर उसे विधवा घोषित कर दिया गया था,समाज के ठेकेद

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आत्म साक्षात्कार - एक अनोखा साक्षात्कार

22 अक्टूबर 2024
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अस्पताल के कमरे में हल्का अंधेरा था। मशीनों की बीप-बीप की आवाज़ें वातावरण को और भी गंभीर बना रही थीं। रामेश्वर, जो 75 वर्ष के थे, अपने जीवन की अंतिम सांसें गिन रहे थे। परिवारजन बाहर बैठे थे, लेकिन राम

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पटाखों पर बैन: स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक जरूरी कदम

23 अक्टूबर 2024
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दिवाली और अन्य त्यौहार देश भर में धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में आतिशबाजी करना एक पुरानी परंपरा रही है, लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे यह समझ में आने लगा है कि पटाखे न केवल ह

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यादों का सूना संसार

25 अक्टूबर 2024
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गांव के एक छोटे से घर में, सुनीता अपनी यादों के सहारे ज़िन्दगी गुजार रही थी। उसका एकलौता सहारा, उसका बेटा रोहित, एक हादसे में उससे हमेशा के लिए दूर हो गया था। हर दिन का एक-एक पल जैसे उसे उन पुरानी याद

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