है प्यार तो मेरी एक शर्त को मंजूर कर ||
बेशर्त हो प्यार ये शर्त भी मंजूर कर ||
हो कुछ दरमियाँ वास्ते तेरे मेरे,
करके बयाँ अब हर कमी को दूर कर |
वादों का एक कारवाँ लिखते हैं चल,
जो लिख गया सो आज वो बदले ना कल |
होगी मिसाल हर वादे तेरे मेरे,
चल वादे निभा और ताउमर मगरूर कर |
आंखों में अंगिनत लम्हे सजा,
जिन लम्हों को ये आंखें देती रज़ा |
सजते रहे लम्हे यूंही तेरे मेरे,
बेख्याली से उन लम्हों को मशहूर कर |
क्या है लिखा इन हाथों की लकीर मे,
मुस्कुरा दे तू जरा नसीब के अधीर में |
कुछ इस तरह लिख गए नसीब यूं तेरे मेरे,
कर यकीन साथ दे और प्यार भरपुर कर |
है प्यार तो मेरी एक शर्त को मंजूर कर ||
बेशर्त हो प्यार ये शर्त भी मंजूर कर ||