"तितास एकटी नदीर नाम" एक साहित्यिक उपन्यास है जो पाठकों को एक दुखद और मोहक यात्रा पर ले जाता है, बांगलादेश में तितास नदी के किनारे स्थित एक दूरस्थ गांव के निवासियों के जीवन के माध्यम से। प्रसिद्ध बंगा
किशोर कुमार, भारतीय प्लेबैक गायक, अभिनेता और बहुमुखी कलाकार, ने भारतीय मनोरंजन के दुनिया में अपना अविस्मरणीय प्रतीक छोड़ दिया। 4 अगस्त, 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्मे अभास कुमार गांगुली, किशोर
गोस्वामी तुलसीदास जयंती एक महत्वपूर्ण और शुभ अवसर है जिसे विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है गोस्वामी तुलसीदास, मशहूर संत, कवि और दार्शनिक की माननीय याद में। ज्येष्ठ (श्रावण-भाद्रपद) मास के शुक्ल पक्ष
नारायण देबनाथ, एक नाम जिसका सृजनात्मकता और नवाचार के साथ संज्ञान जुड़ा हुआ है, भारतीय कॉमिक्स की दुनिया में अपने अमिट निशान छोड़ चुके हैं। 8 नवम्बर 1925 को वेस्ट बंगाल के हावड़ा, शिबपुर में पैदा हुए द
नारायण देबनाथ, एक नाम जिसका सृजनात्मकता और नवाचार के साथ संज्ञान जुड़ा हुआ है, भारतीय कॉमिक्स की दुनिया में अपने अमिट निशान छोड़ चुके हैं। 8 नवम्बर 1925 को वेस्ट बंगाल के हावड़ा, शिबपुर में पैदा हुए द
कादंबरी देवी, 14 जुलाई 1858 को, 19वीं सदी के भारतीय बंगाल के साहित्यिक और सांस्कृतिक मंजर में एक रहस्यमय और प्रभावशाली महिला थीं। वह मशहूर बंगाली लेखक और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ ठाकुर की भाभी
एक कहानी मेरी शुरू करता हूं आज से, मैं बीटेक की पढ़ाई खत्म करने के बाद खुद को जॉब के लिए तैयारियों में लगा हुआ था ओर साथ ही साथ मैं उसके प्रेम में पड़ चुका था। अब मैं घर से पुनः उसी जगह आ चुका था जहा
एक ही बंशी एक ही मुंशी सारे जगत में शान्ति का शंखनाद श्रेय है उनको लहराने का उनके खातिर बना हिन्दी खास परिहास लिबास जैसे गोदान में पाया कंसी एक ही बंशी एक ही मुंशी। यही उनकी कर्मभूमि व रंगभू
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ, आसमान से बरसती है, रख लेता हूँ, मुझ खाकसार को, क्या कायदा, क्या अदब, ये तो राम की रहमत है, लिख लेता हूँ। (C) @दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम्"
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यहां कहानी बहुत ही ज्यादा नई नहीं है परन्तु बहुत ज्यादा पुरानी भी नहीं है। आज से नहीं जब से मानवजाति का इतिहास में इतिहासकार ने जो लिखा है तब से आज तक हमने अपने बुजुर्ग से नानी से या दादी
Story एक लड़का था। जो खुशी खुशी अपनी मस्त जिंदगी जी रहा था । ना कोई टेंसिन ना ही कोई दुख । उसकी बहुत अच्छी जिंदगी गुजार रही थी ।और घर में इकलौता होने के कारण लाडला भी था। वो क्लास 10th में पढ़ रहा था
कुछ तो थाकुछ तो था तेरे पास मेराजो मेरा होते - होते रह गयातू बना था किसी और के लिएबस मेरा होते - होते रह गया!लगता तो था चांद से बुलाया गया तूज़मीं पे मेरे लिए उतारा गया थानैनों में कई ख़्वाब सजाएमुझे
इस दीवाली शोक, निराशा, बरबादी थी झोली में।हाथों से रज,आंखों से आंसू बरसे रंगोली में।।...बेटी का संसार लुट गया, दीपों का त्योहार लुट गया।बेबस थे सब, कर न सके क
जो समझते हैं कि मैं झुक जाऊंगा, रहमो-करम से,है गलतफहमी उन्हें, मैं नीम की डाली नहीं हूं।हूं नरम दिल से मगर, हूं दृढ़ हमेशा उसूलों पर,खोखले उन्माद में, बज जाय वो ताली नहीं हूं।।...जो समझते हैं कि मैं र
मैं ज़मीन से जुड़ा, अकिंचन, अविरत हूं, अनुप्रास नहीं हूं,जैसा हूं अक्षरशः वैसा, अनुपूरक सम्भाष नहीं हूं।।कर्मण्येवाधिकारस्ते, में
तेरा साथ है तो, है हर मोड़ मंजिल,ये राहों के कंकड़ सताते नहीं हैं।जो है हाथ में हाथ तेरा सफर में तो, कभी दुःख के बादल भी छाते नहीं हैं।।न मैं दे सका तुझको जीवन सुनहरा,न तू
हर्फ चुन-चुन के, सजाने की रस्म बाकी है।लिखी गई ना अभी तक, वो नज़्म बाकी है।।...सफे सियाह हुए, हसरतें भुनाने में।नजर से दूर है जो, अहले - चमन
जो मेरे साथ हमेशा, मेरा सहारा है।सदा समीप ही पाया, कि जब पुकारा है।।...मिल के गुजरे हैं साथ जिसके ये चालीस बरस।सिर्फ हमसाया नहीं, हमसफर हमारा है।।
आप चाहों तो मेरी जिंदगी में दुख और दर्द का भंडार लिख देनाबस इतनी सी दया करना हमपेउस दुख और दर्द को सहने की . शक्ति दे देना ।🤗💪🏻✍🏻रितिका🌹❣️